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Asian Games: आयोजन के विलंब से हुआ नेहा को फायदा, तय समय पर होते खेल तो भाग भी नहीं ले पाती रजत पदक विजेता

स्पोर्ट्स डेस्क, अमर उजाला, हांगझोऊ Published by: शक्तिराज सिंह Updated Wed, 27 Sep 2023 09:49 AM IST
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सार

एशियाई खेलों का आयोजन अगर पिछले साल अपने मूल कार्यक्रम के अनुसार होता तो नेहा भारतीय टीम का हिस्सा नहीं होती, क्योंकि उस समय रितिका डांगी इस स्पर्धा में देश की नंबर एक खिलाड़ी थीं।

Neha benefited from the delay in Asian Games, the silver medal winner was unable to participate in 2022
नेहा ठाकुर - फोटो : सोशल मीडिया
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चीन में कोविड-19 महामारी के कारण एशियाई खेलों को जब एक साल के लिए टाला गया तो यह कई खिलाड़ियों के लिए निराशाजनक रहा लेकिन भारतीय सेलर (पाल नाविक) नेहा ठाकुर के लिए यह फैसला वरदान साबित हुआ। नेहा ने मंगलवार को यहां हांगझोऊ खेलों में लड़कियों की डिंगी आईएलसीए-4 स्पर्धा में रजत पदक जीतकर इस खेल में देश के लिए पदकों का खाता खोला। 
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एशियाई खेलों का आयोजन अगर पिछले साल अपने मूल कार्यक्रम के अनुसार होता तो नेहा भारतीय टीम का हिस्सा नहीं होती, क्योंकि उस समय रितिका डांगी इस स्पर्धा में देश की नंबर एक खिलाड़ी थीं। एशियाई खेलों में जगह बनाने वालीं रितिका हालांकि आईएलसीए-4 स्पर्धा के लिए जरूरी 17 साल की आयु सीमा को पार कर गई और उनकी जगह टीम में नेहा को शामिल किया गया। नेहा ने पिछले साल अबू धाबी में एशियाई चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता था। 
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नेशनल सेलिंग (पाल नौकायन) स्कूल (एनएसएस) के कोच अनिल शर्मा ने कहा, ‘ एशियाई खेलों में रितिका को हिस्सा लेना था लेकिन दुर्भाग्य से वह आयु सीमा को पार कर गई। वह इस साल 18 बरस की हो गई।’ नेहा राष्ट्रीय चयन ट्रायल में हिस्सा लेने वाली एनसीसी की तीन खिलाड़ियों में से एक थी। शर्मा ने कहा, ‘ नेहा ने तीन महीने के लिए स्पेन में अभ्यास किया और इस दौरान उन्होंने काफी सुधार की। हम उसे सेलिंग के ओलंपिक वर्ग महिला आईएलसीए-6 में रितिका के साथ रखने की योजना बना रहे हैं। 

उम्मीद है कि वह अगले साल पेरिस ओलंपिक के लिए क्वालिफाई कर पाएगी। हमारा अगला लक्ष्य यही है।’ नेहा का अभियान 11 रेस की स्पर्धा में कुल 32 अंक के साथ खत्म हुआ। उनका नेट स्कोर हालांकि 27 अंक रहा जिससे वह थाईलैंड की स्वर्ण पदक विजेता नोपासोर्न खुनबूनजान के बाद दूसरे स्थान पर रहीं। किसान पिता के लिए आसान नहीं था तीन साल बेटी को परिवार से दूर भेजना

नेहा के पिता मुकेश कुमार किसान हैं और उनके लिए अपनी सबसे बड़ी बेटी को तीन साल पहले परिवार से दूर सेलिंग अकादमी में भेजने का फैसला काफी मुश्किल भरा था। मुकेश ने कहा, ‘ खेती में मुझे हर साल नुकसान हो रहा है। इस साल भी सूखे जैसी स्थिति है और मुझे नहीं लगता की मैं अपनी लागत निकाल पाउंगा। वह (नेहा) बचपन में हमेशा बहुत महत्वाकांक्षी रही है और प्रतिभा-खोज कार्यक्रम में चुने जाने के बाद मैंने सोचा कि उसके सपने को पूरा करने का मौका मिलना चाहिए।’ मुकेश ने कहा, ‘उसके दो भाइयों ने भी उसे बहुत प्रेरित किया था और मैं उसके लिए वास्तव में खुश हूं। उसकी मां शुरुआत में उसे हमसे दूर भेजने के लिए तैयार नहीं थी। लेकिन अब हर कोई खुश है और हमारे गांव में हर कोई उसके बारे में बात कर रहा है।’
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