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Delhi Half Marathon: 'अपने बीमार भाई के चेहरे पर खुशी के लिए पूरा जोर लगाया', जीत के बाद बोले मटाटा
स्पोर्ट्स डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: स्वप्निल शशांक
Updated Sun, 12 Oct 2025 03:09 PM IST
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सार
मटाटा ने इस जीत के बाद कहा, 'यह जश्न… मैं अपने और अपने भाई के लिए मना रहा हूं। मुझे लग रहा था कि यहां मेरी जगह मेरा भाई दौड़ रहा है। वह बीमार है तो मैंने सोचा की उसकी चेहरे पर खुशी के लिए पूरी ताकत झोंक देनी चाहिये।'

मटाटा
- फोटो : PTI
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विस्तार
कीनिया के एलेक्स मटाटा ने रविवार को यहां वेदांता दिल्ली हाफ मैराथन में पुरुष वर्ग का खिताब जीतने के बाद कहा कि वह अपने बीमार भाई के चेहरे पर खुशी लाने के लिए दौड़ के दौरान खुद को प्रेरित कर रहे थे। मटाटा पिछले साल इस हाफ मैराथन में उपविजेता रहे थे। उन्होंने इस बार 59 मिनट 50 सेकंड के समय के साथ अपनी दौड़ पूरी की।
मटाटा ने इस जीत के बाद कहा, 'यह जश्न… मैं अपने और अपने भाई के लिए मना रहा हूं। मुझे लग रहा था कि यहां मेरी जगह मेरा भाई दौड़ रहा है। वह बीमार है तो मैंने सोचा की उसकी चेहरे पर खुशी के लिए पूरी ताकत झोंक देनी चाहिये।' उस 27 वर्षीय धावक ने इथियोपिया के बोयलिग्न तेशागर (1:00:22) और अपने हमवतन जेम्स किपकोगई (1:00:25) को पीछे छोड़ते हुए जीत दर्ज की।
उन्होंने पिछले साल के मुकाबले इस साल की परिस्थितियों को बेहतर करार देते हुए कहा, 'यह एक शानदार अनुभव था, मुझे ट्रैक की अच्छी जानकारी थी, तो मैंने खुद से कहा, ‘दौड़ पूरी होने तक जोर लगाते हैं’ और मैंने योजनाबद्ध तरीके से ऐसा किया और जीत दर्ज करने में सफल रहा।'
उन्होंने कहा, 'इस बार का अनुभव बेहतर था क्योंकि पिछली बार की तुलना में गर्मी और उमस कम थी।' मटाटा को परिस्थितियां दौड़ के अनुकूल लगी लेकिन महिलाओं की दौड़ में शीर्ष पर रहने वाली इथियोपिया की लिलियन कासैट रेंगरुक ने कहा कि मुश्किल परिस्थितियों के चलते बेहतर समय निकालना मुश्किल हो गया था। उन्होंने (1:07.20 सेकंड) रेस जीतने के बाद कहा, 'उमस… बहुत ज्यादा गर्मी थी। मुझे खुद को संभालना पड़ा ताकि थकान हावी नहीं हो।'

मटाटा ने इस जीत के बाद कहा, 'यह जश्न… मैं अपने और अपने भाई के लिए मना रहा हूं। मुझे लग रहा था कि यहां मेरी जगह मेरा भाई दौड़ रहा है। वह बीमार है तो मैंने सोचा की उसकी चेहरे पर खुशी के लिए पूरी ताकत झोंक देनी चाहिये।' उस 27 वर्षीय धावक ने इथियोपिया के बोयलिग्न तेशागर (1:00:22) और अपने हमवतन जेम्स किपकोगई (1:00:25) को पीछे छोड़ते हुए जीत दर्ज की।
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उन्होंने पिछले साल के मुकाबले इस साल की परिस्थितियों को बेहतर करार देते हुए कहा, 'यह एक शानदार अनुभव था, मुझे ट्रैक की अच्छी जानकारी थी, तो मैंने खुद से कहा, ‘दौड़ पूरी होने तक जोर लगाते हैं’ और मैंने योजनाबद्ध तरीके से ऐसा किया और जीत दर्ज करने में सफल रहा।'
उन्होंने कहा, 'इस बार का अनुभव बेहतर था क्योंकि पिछली बार की तुलना में गर्मी और उमस कम थी।' मटाटा को परिस्थितियां दौड़ के अनुकूल लगी लेकिन महिलाओं की दौड़ में शीर्ष पर रहने वाली इथियोपिया की लिलियन कासैट रेंगरुक ने कहा कि मुश्किल परिस्थितियों के चलते बेहतर समय निकालना मुश्किल हो गया था। उन्होंने (1:07.20 सेकंड) रेस जीतने के बाद कहा, 'उमस… बहुत ज्यादा गर्मी थी। मुझे खुद को संभालना पड़ा ताकि थकान हावी नहीं हो।'