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Archery: ढाका हवाई अड्डे पर घंटों फंसे रहे भारतीय तीरंदाज, तकनीकी खराबी के कारण उड़ान रद्द, जानें पूरा मामला
स्पोर्ट्स डेस्क, अमर उजाला, ढाका
Published by: स्वप्निल शशांक
Updated Tue, 18 Nov 2025 03:15 PM IST
सार
23 सदस्यीय दल में कई सीनियर खिलाड़ी- अभिषेक वर्मा, ज्योति सुरेखा और ओलंपियन धीरज बोम्मादेवरा भी शामिल थे। उड़ान में लगातार देरी और एयरलाइन की ओर से स्पष्ट जानकारी न मिलने के चलते स्थिति और बिगड़ती गई।
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ज्योति सुरेखा वेन्नम
- फोटो : Social Media
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विस्तार
एशियाई चैंपियनशिप से लौट रहे भारतीय तीरंदाजों के लिए ढाका से दिल्ली की यात्रा एक बेहद परेशान करने वाला अनुभव साबित हुई। तकनीकी खराबी के कारण उड़ान रद्द होने के बाद भारतीय दल को लगभग 10 घंटे तक ढाका एयरपोर्ट पर फंसा रहना पड़ा, जबकि शहर में दंगों और तनाव का माहौल था।
23 सदस्यीय दल में कई सीनियर खिलाड़ी- अभिषेक वर्मा, ज्योति सुरेखा और ओलंपियन धीरज बोम्मादेवरा भी शामिल थे। उड़ान में लगातार देरी और एयरलाइन की ओर से स्पष्ट जानकारी न मिलने के चलते स्थिति और बिगड़ती गई।
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23 सदस्यीय दल में कई सीनियर खिलाड़ी- अभिषेक वर्मा, ज्योति सुरेखा और ओलंपियन धीरज बोम्मादेवरा भी शामिल थे। उड़ान में लगातार देरी और एयरलाइन की ओर से स्पष्ट जानकारी न मिलने के चलते स्थिति और बिगड़ती गई।
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रात दो बजे तक एयरपोर्ट पर इंतजार, फिर अचानक उड़ान रद्द
भारतीय दल रात साढ़े नौ बजे दिल्ली जाने वाली फ्लाइट के लिए एयरपोर्ट पहुंचा था। बोर्डिंग के बाद उन्हें बताया गया कि विमान में तकनीकी खराबी है और उड़ान नहीं भरेगी। ढाका की सड़कों पर हिंसा बढ़ रही थी, इसलिए टीम एयरपोर्ट के अंदर ही सुरक्षित स्थान पर रुकी रही। लेकिन रात दो बजे एयरलाइन ने सूचना दी कि उड़ान रद्द की जा रही है और उस रात कोई वैकल्पिक फ्लाइट उपलब्ध नहीं है।
भारतीय दल रात साढ़े नौ बजे दिल्ली जाने वाली फ्लाइट के लिए एयरपोर्ट पहुंचा था। बोर्डिंग के बाद उन्हें बताया गया कि विमान में तकनीकी खराबी है और उड़ान नहीं भरेगी। ढाका की सड़कों पर हिंसा बढ़ रही थी, इसलिए टीम एयरपोर्ट के अंदर ही सुरक्षित स्थान पर रुकी रही। लेकिन रात दो बजे एयरलाइन ने सूचना दी कि उड़ान रद्द की जा रही है और उस रात कोई वैकल्पिक फ्लाइट उपलब्ध नहीं है।
बिना सुरक्षा स्थानीय बस में भेजा गया
समस्या तब और गंभीर हो गई जब टीम एयरपोर्ट से बाहर निकली। दंगों की स्थिति के बावजूद एयरलाइन ने टीम को बिना किसी सुरक्षा के एक खिड़कीहीन स्थानीय बस में भेज दिया। लगभग आधे घंटे की यात्रा के बाद उन्हें एक अस्थायी लॉज में ठहराया गया। अभिषेक वर्मा के मुताबिक, वह स्थान लॉज से ज्यादा एक धर्मशाला जैसा था। बदहाल कमरों, गंदे शौचालयों और बेहद कमजोर व्यवस्थाएं थीं। उन्होंने बताया, 'महिलाओं के लिए एक कमरे में छह बिस्तर थे, और सिर्फ एक शौचालय, जो बेहद गंदा था। यह कोई होटल नहीं था।' दल में दो नाबालिग खिलाड़ी भी शामिल थे, ऐसे में सुरक्षा की कमी चिंता का बड़ा कारण थी।
समस्या तब और गंभीर हो गई जब टीम एयरपोर्ट से बाहर निकली। दंगों की स्थिति के बावजूद एयरलाइन ने टीम को बिना किसी सुरक्षा के एक खिड़कीहीन स्थानीय बस में भेज दिया। लगभग आधे घंटे की यात्रा के बाद उन्हें एक अस्थायी लॉज में ठहराया गया। अभिषेक वर्मा के मुताबिक, वह स्थान लॉज से ज्यादा एक धर्मशाला जैसा था। बदहाल कमरों, गंदे शौचालयों और बेहद कमजोर व्यवस्थाएं थीं। उन्होंने बताया, 'महिलाओं के लिए एक कमरे में छह बिस्तर थे, और सिर्फ एक शौचालय, जो बेहद गंदा था। यह कोई होटल नहीं था।' दल में दो नाबालिग खिलाड़ी भी शामिल थे, ऐसे में सुरक्षा की कमी चिंता का बड़ा कारण थी।
सुबह फिर एयरपोर्ट वापसी, दिल्ली पहुंचने में भी देरी
सुबह सात बजे टीम को फिर एयरपोर्ट ले जाया गया। हालांकि उन्हें बाद में नई उड़ान मिली, लेकिन दिल्ली पहुंचने पर भी खिलाड़ियों को परेशानी का सामना करना पड़ा। कई तीरंदाज अपनी कनेक्टिंग फ्लाइ, हैदराबाद और विजयवाड़ा के लिए पकड़ नहीं पाए और उन्हें महंगी टिकट लेकर नई बुकिंग करनी पड़ी।
सुबह सात बजे टीम को फिर एयरपोर्ट ले जाया गया। हालांकि उन्हें बाद में नई उड़ान मिली, लेकिन दिल्ली पहुंचने पर भी खिलाड़ियों को परेशानी का सामना करना पड़ा। कई तीरंदाज अपनी कनेक्टिंग फ्लाइ, हैदराबाद और विजयवाड़ा के लिए पकड़ नहीं पाए और उन्हें महंगी टिकट लेकर नई बुकिंग करनी पड़ी।
एयरलाइन पर गंभीर आरोप
अभिषेक वर्मा ने एयरलाइन को कड़े शब्दों में जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा, 'उन्हें पता था कि शहर में दंगे चल रहे हैं। फिर भी हमें स्थानीय बस में भेजा गया। अगर कुछ हो जाता तो जिम्मेदार कौन होता?' वर्मा ने यह भी बताया कि अगर एयरलाइन ने सुबह की फ्लाइट की पुष्टि पहले कर दी होती, तो टीम रातभर एयरपोर्ट पर ही रुकना पसंद करती।
अभिषेक वर्मा ने एयरलाइन को कड़े शब्दों में जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा, 'उन्हें पता था कि शहर में दंगे चल रहे हैं। फिर भी हमें स्थानीय बस में भेजा गया। अगर कुछ हो जाता तो जिम्मेदार कौन होता?' वर्मा ने यह भी बताया कि अगर एयरलाइन ने सुबह की फ्लाइट की पुष्टि पहले कर दी होती, तो टीम रातभर एयरपोर्ट पर ही रुकना पसंद करती।