Paralympics: शीतल देवी की प्रतिभा के कायल हुए आनंद महिंद्रा, याद दिलाया पुराना वादा, कहा- आप मेरी प्रेरणा हैं
पेरिस पैरालंपिक में शनिवार (31 अगस्त) को शीतल देवी को कंपाउंड ओपन वर्ग के व्यक्तिगत मुकाबलें में महज एक अंक के अंतर से हार का सामना करना पड़ा था।
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पेरिस पैरालंपिक में शनिवार (31 अगस्त) को शीतल देवी को कंपाउंड ओपन वर्ग के व्यक्तिगत मुकाबलें में महज एक अंक के अंतर से हार का सामना करना पड़ा था। रोमांचक प्री क्वार्टर फाइनल में उनका सामना चिली की मारियाना जुनिगा से हुआ, जिन्होंने भारतीय तीरंदाज को 137-138 के स्कोर से हरा दिया। शीतल भले ही क्वार्टर फाइनल में पहुंचने से चूक गईं लेकिन उनकी प्रतिभा ने देशवासियों का दिल जीत लिया।
बिना बाजुओं के शीतल देवी पैरों से तीरंदाजी करती हैं। उनकी इस प्रतिभा के कायल दिग्गज उद्योगपति आनंद महिंद्रा ने अपना पुराना वादा याद दिलाया। महिंद्रा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर शीतल का वीडियो पोस्ट करते हुए उनकी तारीफ में कसीदे पढ़े।
इस दौरान महिंद्रा ने उन्हें अपना पुराना वादा भी याद दिलाया जिसमें उन्होंने शीतल को मनचाही कार चुनने के लिए कहा था, जिसे उनके हिसाब से कस्टमाइज भी कराया जाएगा। आनंद महिंद्रा ने लिखा- असाधारण साहस, प्रतिबद्धता और कभी हार न मानने का जज्बा पदकों से जुड़ा नहीं है.. शीतल देवी, आप देश और पूरी दुनिया के लिए प्रेरणा की किरण हैं। लगभग एक साल पहले, आपकी अदम्य भावना को सलाम करते हुए मैंने आपसे हमारी रेंज से किसी भी कार को स्वीकार करने का अनुरोध किया था। हम आपके नेविगेशन को सक्षम करने के लिए इसे कस्टमाइज करेंगे। आपने सही कहा कि जब आप 18 साल की हो जाएंगी तो आप यह प्रस्ताव स्वीकार कर लेंगे, जिसे आप अगले साल स्वीकार करेंगी। मैं आपसे वह वादा पूरा करने के लिए उत्सुक हूं और निसंदेह कोई और मेरा मंडे मोटिवेशन नहीं हो सकता।
Extraordinary courage, commitment & a never-give-up spirit are not linked to medals…#SheetalDevi, you are a beacon of inspiration for the country—and the entire world.
— anand mahindra (@anandmahindra) September 2, 2024
Almost a year ago, as a salute to your indomitable spirit, I had requested you to accept any car from our… pic.twitter.com/LDpaEOolxA
उद्योगपति आनंद महिंद्रा का यह पोस्ट अब सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बना हुआ है। बता दें कि शीतल पैरों से तीरंदाजी करती हैं। महज 17 साल की उम्र में उन्होंने अपने प्रदर्शन से सभी के दिल में घर कर लिया है। शीतल ने एक इंटरव्यू में बताया था कि उनका बचपन से लिखना, खेलना, पढ़ना और पेड़ पर चढ़ना, सब पैरों से होता आया है। पैर ही उनके हाथ हैं। पहले वह किश्तवाड़ में पड़ते गांव लोईधार में दोस्तों के साथ फुटबॉल खेलती थी और लकड़ी का धनुष बनाकर उसे पैरों से चलाती थीं, उन्हें नहीं मालूम था कि बाद में यही खेल उनकी जिंदगी बन जाएगा।