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फीफा विश्व कप 2026: ड्रॉ में स्पेन-अर्जेंटीना और फ्रांस-इंग्लैंड को फायदा! सेमीफाइनल से पहले नहीं होगी भिड़ंत
स्पोर्ट्स डेस्क, अमर उजाला, न्यूयॉर्क
Published by: स्वप्निल शशांक
Updated Wed, 26 Nov 2025 11:24 AM IST
सार
फीफा के मुताबिक, इस नए सिस्टम का उद्देश्य है लगातार अच्छा प्रदर्शन करने वाली टीमों को रैंकिंग के आधार पर फायदा देना। साथ ही बड़े मुकाबलों को अंतिम चरण तक सुरक्षित रखना।
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फीफा विश्व कप 2026
- फोटो : ANI
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विस्तार
फीफा ने अगले साल होने वाले 2026 फुटबॉल वर्ल्ड कप के ड्रॉ को लेकर बड़ा अपडेट जारी किया है। फीफा विश्व कप 2026 के लिए ड्रॉ अगले सप्ताह जारी होना है। इस ड्रॉ में पहली बार टेनिस-स्टाइल नॉकआउट ब्रैकेट सिस्टम लागू किया जाएगा, जिसके तहत दुनिया की शीर्ष चार टीमें स्पेन, अर्जेंटीना, फ्रांस और इंग्लैंड को अलग-अलग हिस्सों में रखा जाएगा। इसका मतलब है कि अगर ये चारों टीमें अपने ग्रुप में पहला स्थान हासिल करती हैं, तो वे सेमीफाइनल से पहले एक-दूसरे के खिलाफ नहीं खेलेंगी।
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क्यों किया गया यह बदलाव?
फीफा के मुताबिक, इस नए सिस्टम का उद्देश्य है लगातार अच्छा प्रदर्शन करने वाली टीमों को रैंकिंग के आधार पर फायदा देना। साथ ही बड़े मुकाबलों को अंतिम चरण तक सुरक्षित रखना। इसे टूर्नामेंट को प्रतिस्पर्धात्मक और संतुलित बनाने में मदद मिलेगी। फीफा ने बयान में कहा, 'दो अलग-अलग रास्ते तैयार किए गए हैं ताकि शीर्ष टीमों के बीच संतुलन बना रहे और योग्य प्रदर्शन को सम्मान मिले।'
फीफा के मुताबिक, इस नए सिस्टम का उद्देश्य है लगातार अच्छा प्रदर्शन करने वाली टीमों को रैंकिंग के आधार पर फायदा देना। साथ ही बड़े मुकाबलों को अंतिम चरण तक सुरक्षित रखना। इसे टूर्नामेंट को प्रतिस्पर्धात्मक और संतुलित बनाने में मदद मिलेगी। फीफा ने बयान में कहा, 'दो अलग-अलग रास्ते तैयार किए गए हैं ताकि शीर्ष टीमों के बीच संतुलन बना रहे और योग्य प्रदर्शन को सम्मान मिले।'
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ग्रुप स्टेज से लेकर नॉकआउट तक नई संरचना
इस बार वर्ल्ड कप 48 टीमों वाला होगा, जो इतिहास में पहली बार है। कुल 12 ग्रुप होंगे, हर ग्रुप में चार टीमें रहेंगी। ड्रॉ इस तरह डिजाइन किया जाएगा कि एक ही महाद्वीप की दो गैर-यूरोपीय टीमें एक ग्रुप में नहीं हो सकतीं। साथ ही यूरोपीय टीमों की संख्या प्रत्येक ग्रुप में अधिकतम दो तक सीमित रहेगी।
इस बार वर्ल्ड कप 48 टीमों वाला होगा, जो इतिहास में पहली बार है। कुल 12 ग्रुप होंगे, हर ग्रुप में चार टीमें रहेंगी। ड्रॉ इस तरह डिजाइन किया जाएगा कि एक ही महाद्वीप की दो गैर-यूरोपीय टीमें एक ग्रुप में नहीं हो सकतीं। साथ ही यूरोपीय टीमों की संख्या प्रत्येक ग्रुप में अधिकतम दो तक सीमित रहेगी।
VIP उपस्थिति के साथ होगा ऐतिहासिक ड्रॉ
ड्रॉ पांच दिसंबर को वॉशिंगटन डी.सी. के कैनेडी सेंटर में होगा, जिसमें विशेष अतिथि के रूप में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप मौजूद रहेंगे। यह पहला मौका है जब किसी वर्ल्ड कप ड्रॉ में राजनीतिक और खेल के इतने बड़े चेहरे एक साथ मंच साझा करेंगे।
ड्रॉ पांच दिसंबर को वॉशिंगटन डी.सी. के कैनेडी सेंटर में होगा, जिसमें विशेष अतिथि के रूप में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप मौजूद रहेंगे। यह पहला मौका है जब किसी वर्ल्ड कप ड्रॉ में राजनीतिक और खेल के इतने बड़े चेहरे एक साथ मंच साझा करेंगे।
अब तक क्वालिफाई कर चुकी टीमें और संभावित खतरे
42 टीमें अब तक क्वालिफाई कर चुकी हैं, जिनमें ईरान और हैती भी शामिल हैं, बावजूद इसके कि उनका अमेरिका से राजनीतिक तनाव है। इस बार सबसे दिलचस्प स्थिति यह है कि चार बार की चैंपियन इटली, जो कम रैंकिंग के कारण पॉट-चार में हो सकती है, बड़ी टीमों के लिए शुरुआत से ही चुनौती बन सकती है।
42 टीमें अब तक क्वालिफाई कर चुकी हैं, जिनमें ईरान और हैती भी शामिल हैं, बावजूद इसके कि उनका अमेरिका से राजनीतिक तनाव है। इस बार सबसे दिलचस्प स्थिति यह है कि चार बार की चैंपियन इटली, जो कम रैंकिंग के कारण पॉट-चार में हो सकती है, बड़ी टीमों के लिए शुरुआत से ही चुनौती बन सकती है।
पॉट के आधार पर अब तक क्वालिफाई कर चुकी टीमों का विभाजन
ड्रॉ में टीमों को उनकी रैंकिंग और क्वालिफिकेशन स्टेटस के आधार पर चार पॉट में रखा गया है।
पॉट 1 (टॉप सीड टीम्स): स्पेन, अर्जेंटीना, फ्रांस, इंग्लैंड, ब्राजील, पुर्तगाल, नीदरलैंड, बेल्जियम, जर्मनी, संयुक्त राज्य (यूएसए), मेक्सिको, कनाडा।
पॉट 2: क्रोएशिया, मोरक्को, कोलंबिया, उरुग्वे, स्विट्जरलैंड, जापान, सेनेगल, ईरान, दक्षिण कोरिया, इक्वाडोर, ऑस्ट्रिया, ऑस्ट्रेलिया
पॉट 3: नॉर्वे, पनामा, मिस्र, अल्जीरिया, स्कॉटलैंड, पराग्वे, ट्यूनिशिया, आइवरी कोस्ट, उज्बेकिस्तान, कतर, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका
पॉट 4: जॉर्डन, केप वर्डे, घाना, कुराकाओ, हैती, न्यूजीलैंड, यूरोपीय प्लेऑफ विजेता 1, यूरोपीय प्लेऑफ विजेता 2, यूरोपीय प्लेऑफ विजेता 3, यूरोपीय प्लेऑफ विजेता 4, इंटरकॉन्टिनेंटल प्लेऑफ विजेता 1, इंटरकॉन्टिनेंटल प्लेऑफ विजेता 2।
ड्रॉ में टीमों को उनकी रैंकिंग और क्वालिफिकेशन स्टेटस के आधार पर चार पॉट में रखा गया है।
पॉट 1 (टॉप सीड टीम्स): स्पेन, अर्जेंटीना, फ्रांस, इंग्लैंड, ब्राजील, पुर्तगाल, नीदरलैंड, बेल्जियम, जर्मनी, संयुक्त राज्य (यूएसए), मेक्सिको, कनाडा।
पॉट 2: क्रोएशिया, मोरक्को, कोलंबिया, उरुग्वे, स्विट्जरलैंड, जापान, सेनेगल, ईरान, दक्षिण कोरिया, इक्वाडोर, ऑस्ट्रिया, ऑस्ट्रेलिया
पॉट 3: नॉर्वे, पनामा, मिस्र, अल्जीरिया, स्कॉटलैंड, पराग्वे, ट्यूनिशिया, आइवरी कोस्ट, उज्बेकिस्तान, कतर, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका
पॉट 4: जॉर्डन, केप वर्डे, घाना, कुराकाओ, हैती, न्यूजीलैंड, यूरोपीय प्लेऑफ विजेता 1, यूरोपीय प्लेऑफ विजेता 2, यूरोपीय प्लेऑफ विजेता 3, यूरोपीय प्लेऑफ विजेता 4, इंटरकॉन्टिनेंटल प्लेऑफ विजेता 1, इंटरकॉन्टिनेंटल प्लेऑफ विजेता 2।
टूर्नामेंट में ग्रुप लिमिटेशन
यूरोप की अधिकतम दो टीमें ही एक ग्रुप में होंगी। अन्य महाद्वीपों की टीमें अपनी ही महाद्वीप की टीम के साथ एक ही ग्रुप में नहीं रखी जाएंगी। अमेरिका अपनी मेजबानी की शुरुआत 12 जून 2026 को पॉट तीन की टीम के खिलाफ करेगा, फिर पॉट दो और पॉट चार की टीम से भिड़ेगा।
नए ड्रॉ फॉर्मेट ने वर्ल्ड कप को पहले से ज्यादा रणनीतिक और रोमांचक बना दिया है। बड़ी टीमें शुरुआत में भले ही आसान दिखें, लेकिन नॉकआउट चरण में कई संभावित ब्लॉकबस्टर मुकाबले देखने को मिल सकते हैं। खासकर अगर पॉट चार से आने वाली कोई टीम इटली जैसी दिग्गज हो।
यूरोप की अधिकतम दो टीमें ही एक ग्रुप में होंगी। अन्य महाद्वीपों की टीमें अपनी ही महाद्वीप की टीम के साथ एक ही ग्रुप में नहीं रखी जाएंगी। अमेरिका अपनी मेजबानी की शुरुआत 12 जून 2026 को पॉट तीन की टीम के खिलाफ करेगा, फिर पॉट दो और पॉट चार की टीम से भिड़ेगा।
नए ड्रॉ फॉर्मेट ने वर्ल्ड कप को पहले से ज्यादा रणनीतिक और रोमांचक बना दिया है। बड़ी टीमें शुरुआत में भले ही आसान दिखें, लेकिन नॉकआउट चरण में कई संभावित ब्लॉकबस्टर मुकाबले देखने को मिल सकते हैं। खासकर अगर पॉट चार से आने वाली कोई टीम इटली जैसी दिग्गज हो।