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Mann Ki Baat: शहडोल के उस गांव की कहानी, जो बना फुटबॉल का 'टैलेंट हब', जर्मनी में ट्रेनिंग की मिली पेशकश

स्पोर्ट्स डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: स्वप्निल शशांक Updated Sun, 31 Aug 2025 12:03 PM IST
सार

प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी बताया कि शहडोल के जिस गांव की उन्होंने चर्चा की थी, वहां वह दो साल पहले गए थे। वहां के फुटबॉल खिलाड़ियों से उन्होंने मुलाकात की थी और उनकी जीवन यात्रा ने उन्हें भी गहराई से प्रभावित किया था। यह गांव फुटबॉल के प्रति अपने जुनून और सामूहिक प्रयासों के लिए जाना जाता है।

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Shahdol’s Tribal Football Spirit Wins Global Attention: German Coach Offers Training to Local Players
पीएम मोदी मन की बात - फोटो : मन की बात
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विस्तार
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने लोकप्रिय रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' के 125वें एपिसोड में एक प्रेरणादायक किस्सा साझा किया जो न केवल देश बल्कि विदेशों में भी चर्चा का विषय बन गया है। प्रधानमंत्री मोदी ने बताया कि हाल ही में वे प्रसिद्ध पॉडकास्टर लेक्स फ्रीडमैन के साथ एक पॉडकास्ट में शामिल हुए थे। बातचीत के दौरान उन्होंने मध्य प्रदेश के शहडोल जिले के एक गांव और वहां के युवाओं के फुटबॉल के प्रति जुनून का जिक्र किया था। प्रधानमंत्री ने कहा कि आज के समय में पॉडकास्ट सुनने और देखने का फैशन तेजी से बढ़ रहा है और विभिन्न विषयों पर दुनिया भर के लोग चर्चा करते हैं। इसी क्रम में जब उन्होंने शहडोल के फुटबॉल प्रेमियों का जिक्र किया, तो यह बात जर्मनी तक जा पहुंची।
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'पूरी दुनिया का ध्यान भारत की तरफ है'
पीएम मोदी ने कहा, 'मेरे प्यारे देशवासियो, आज पूरी दुनिया का ध्यान भारत की तरफ है। भारत में छिपी संभावनाओं पर दुनिया-भर की नजर है। इसी से जुड़ा एक सुखद अनुभव मैं आपसे साझा करना चाहता हूं। आपको पता है कि आजकल पॉडकास्ट का बहुत फैशन है। विभिन्न विषयों से जुड़े पॉडकास्ट को भांति-भांति के लोग देखते और सुनते हैं। बीते दिनों में भी कुछ पॉडकास्ट में शामिल हुआ था। ऐसा ही एक पॉडकास्ट दुनिया के बहुत मशहूर पॉडकास्टर लेक्स फ्रीडमैन के साथ हुआ था। उस पॉडकास्ट में बहुत सारी बातें हुईं और दुनिया-भर के लोगों ने उसे सुना भी और जब पॉडकास्ट पर बात हो रही, तो बातों-बातों में ऐसे ही मैंने एक विषय उठाया था।'
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'जर्मनी के खिलाड़ी ने पॉडकास्ट को सुना'
पीएम ने बताया, 'जर्मनी के एक खिलाड़ी ने उस पॉडकास्ट को सुना और उसका ध्यान मैंने उसमें जो बात बताई थी उस पर केंद्रित हो गया। उन्होंने उस टॉपिक से इतना कनेक्ट किया कि पहले उन्होंने उस टॉपिक पर रिसर्च की, और फिर जर्मनी में भारतीय दूतावास से संपर्क किया और उन्होंने चिट्ठी लिखकर बताया कि वो इस विषय को लेकर भारत से जुड़ना चाहते हैं।'

'शहडोल के फुटबॉल के क्रेज का वर्णन किया'
पीएम ने बताया, 'आप सोच रहे होंगे कि मोदी जी ने पॉडकास्ट में ऐसा कैसा विषय कह दिया, जो जर्मनी के एक खिलाड़ी को प्रेरित कर गया, ये कौन-सा विषय था, मैं आपको याद कराता हूं। मैंने पॉडकास्ट में बातों-बातों में मध्य प्रदेश के शहडोल के फुटबॉल के क्रेज से जुड़ा एक गांव का वर्णन किया था। दरअसल दो साल पहले मैं शहडोल गया था, वहां के फुटबॉल खिलाड़ियों से मिला था। पॉडकास्ट के दौरान एक सवाल के उत्तर में मैंने शहडोल के फुटबॉल खिलाड़ियों का भी जिक्र किया था।'

'कोच डिएतमार बेइयर्सडोर्फर ने भी सुना पॉडकास्ट'
पीएम ने बताया, 'यही बात जर्मनी के फुटबॉल खिलाड़ी और कोच डिएतमार बेइयर्सडोर्फर ने भी सुनी। शहडोल के युवा फुटबॉल खिलाड़ियों की जीवन यात्रा ने उन्हें बहुत प्रभावित और प्रेरित किया। सही में किसी ने कल्पना भी नहीं की थी कि वहां के प्रतिभाशाली football खिलाड़ी दूसरे देशों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करेंगे। अब जर्मनी के इस कोच ने शहडोल के कुछ खिलाड़ियों को जर्मनी की एक अकादमी में ट्रेनिंग देने की पेशकश की है।'

'कुछ युवा-साथी ट्रेनिंग कोर्स के लिए जर्मनी जाएंगे'
पीएम ने बताया, 'इसके बाद मध्य प्रदेश की सरकार ने भी उनसे संपर्क किया है। जल्द ही शहडोल के हमारे कुछ युवा-साथी ट्रेनिंग कोर्स के लिए जर्मनी जाएंगे। मुझे यह देखकर भी बहुत आनंद आता है कि भारत में फुटबॉल की लोकप्रियता निरंतर बढ़ रही है। मैं फुटबॉल प्रेमियों से आग्रह करता हूं कि जब समय मिले वे शहडोल जरूर जाएं और वहां हो रहे खेल क्रांति को करीब से देखें।'

शहडोल का वह गांव: फुटबॉल की धड़कन
प्रधानमंत्री द्वारा वर्णित गांव का नाम बुढार है, जो शहडोल जिले में स्थित है। यह गांव वर्षों से आदिवासी समुदाय का केंद्र रहा है और यहां की युवा पीढ़ी फुटबॉल को सिर्फ खेल नहीं, बल्कि एक जुनून की तरह जीती है। गांव की मिट्टी में ही खेल की खुशबू है और बच्चों की पहली पसंद फुटबॉल है। कई वर्षों से यहां के स्थानीय शिक्षक और सामाजिक कार्यकर्ता बच्चों को फुटबॉल के लिए प्रेरित करते आए हैं। संसाधनों की कमी के बावजूद बच्चों ने बांस की छड़ी से गोल पोस्ट बनाकर, पुराने जूतों में अभ्यास कर अंतर-जिला प्रतियोगिताओं में अपनी प्रतिभा दिखाई है।

यहां का 'बुढार फुटबॉल क्लब' एक प्रकार से इस क्षेत्र की शान बन चुका है। अब जबकि विश्व स्तर पर उनके प्रयासों को मान्यता मिल रही है, यह गांव आदिवासी युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बन रहा है। यह पूरी कहानी एक बार फिर यह साबित करती है कि भारत के ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है, बस जरूरत है उसे पहचानने और अवसर देने की। प्रधानमंत्री मोदी द्वारा साझा किया गया यह प्रेरणादायक अनुभव न केवल शहडोल, बल्कि पूरे भारत के लिए गर्व की बात है।
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