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Paralympics: शीतल देवी और राकेश कुमार की जोड़ी ने मिश्रित टीम तीरंदाजी में जीता कांस्य, भारत को मिला 13वां पदक

स्पोर्ट्स डेस्क, अमर उजाला, पेरिस Published by: शोभित चतुर्वेदी Updated Mon, 02 Sep 2024 11:07 PM IST
सार

भारत का पेरिस पैरालंपिक में यह 13वां पदक है। भारत अब तक इन खेलों में दो स्वर्ण, पांच रजत और छह कांस्य पदक जीत चुका है। शीतल और राकेश की जोड़ी सेमीफाइनल में शूटऑफ में ईरान की फातिमा हेमाती और हादी नोरी की जोड़ी से हार गई थी।

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Sheetal devi and Rakesh Kumar Para Archery Pair win Bronze medal in Mixed team compound event at Paralympics
पेरिस पैरालंपिक - फोटो : ANI
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विस्तार
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शीतल देवी और राकेश कुमार की पैरा तीरंदाजी जोड़ी ने मिश्रित टीम कंपाउंड ओपन कांस्य पदक मुकाबले में इटली की एलोनोरा सारती और मातेओ बोनासिना की जोड़ी को 156-155 से हराकर कांस्य पदक अपने नाम किया। भारत का पेरिस पैरालंपिक में यह 13वां पदक है। भारत अब तक इन खेलों में दो स्वर्ण, पांच रजत और छह कांस्य पदक जीत चुका है। शीतल और राकेश की जोड़ी सेमीफाइनल में शूटऑफ में ईरान की फातिमा हेमाती और हादी नोरी की जोड़ी से हार गए थे। भारत के लिए पैरालंपिक में तीरंदाजी का पदक सिर्फ हरविंदर सिंह ने तीन साल पहले टोक्यो में जीता था। हरविंदर भी कांसा लाए थे। 
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भारत को जीत तब मिली जब 17 वर्ष की शीतल का शॉट रिविजन के बाद अपग्रेड कर दिया गया। चार तीर बाकी रहते भारतीय जोड़ी एक अंक से पिछड़ रही थी लेकिन आखिर में संयम के साथ खेलते हुए जीत दर्ज की।
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करीब आकर फाइनल से चूकी थी भारतीय जोड़ी
भारतीय जोड़ी फाइनल में जगह बनाने के करीब पहुंच गई थी लेकिन ईरानी टीम की शानदार वापसी और एक जज द्वारा स्कोर के रिविजन के बाद उन्हें पराजय का सामना करना पड़ा था। स्कोर 152-152 से बराबर होने के बाद मुकाबला शूटऑफ में गया। ऐसा लग रहा था कि भारतीय जोड़ी ने जीत दर्ज कर ली है जब ईरानी टीम ने चौथे तीर पर नौ स्कोर किया तब जज ने समीक्षा के बाद उसे 10 करार दिया। इससे मुकाबला शूटऑफ तक गया। शूटऑफ में दोनों टीमों ने परफेक्ट स्कोर किया लेकिन फातिमा का तीर बीचोंबीच लगा जिससे ईरानी टीम ने फाइनल में जगह बनाई। 

इससे पहले शीतल और राकेश ने क्वार्टर फाइनल में तियोडोरा ऑडी आयुदिया फेरेलिन और केन स्वेगुमिलांग की इंडोनेशिया की जोड़ी को आसानी से 154-143 से हराया था। मिश्रित कंपाउंड ओपन वर्ग में शीतल और राकेश की शीर्ष वरीय जोड़ी ने सेमीफाइनल तक के सफर के दौरान शानदार फॉर्म दिखाई जिसे कांस्य पदक मुकाबले में भी बरकरार रखा।

शीतल का जन्म 2007 में फोकोमेलिया नामक एक दुर्लभ जन्मजात विकार के साथ हुआ था जिसके कारण उसके अंग अविकसित रह जाते हैं। इस बीमारी के कारण उसके हाथ पूरी तरह से विकसित नहीं हो पाए। 39 वर्षीय राकेश को रीढ़ की हड्डी में चोट लगी थी और 2009 में इससे उबरने के बाद उन्हें अहसास हुआ कि अब उन्हें जीवन भर व्हीलचेयर पर रहना होगा जिससे वे अवसाद में चले गए और यहां तक कि उन्होंने आत्महत्या करने के बारे में भी सोचा। रविवार को राकेश पुरुषों के कंपाउंड ओपन वर्ग के कांस्य पदक मुकाबले में चीन के ही जिहाओ से एक अंक से हार गए थे।
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