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जब हौसले ने थामे धनुष: पेड़ पर चढ़ने से पदक जीतने तक, तीरंदाज शीतल की जिंदगी 'असंभव' से 'अजेय' बनने की कहानी
स्पोर्ट्स डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: Mayank Tripathi
Updated Sat, 08 Nov 2025 03:58 PM IST
सार
पेरिस पैरालंपिक 2024 में मिश्रित टीम कंपाउंड स्पर्धा में कांस्य पदक जीतने वाली शीतल को तुर्किये की पेरिस पैरालंपिक चैंपियन ओजनूर क्यूर गिर्डी से प्रेरणा मिली जो विश्व स्तर पर सक्षम तीरंदाजों की स्पर्धाओं में भी भाग लेती हैं।
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शीतल देवी
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
भारत की स्टार एथलीट शीतल देवी ने गुरुवार को बड़ी उपलब्धि हासिल कर ली। उन्होंने जेद्दा में होने वाले आगामी एशिया कप चरण तीन के लिए भारत की सक्षम जूनियर टीम में जगह बनाकर इतिहास रच दिया। विश्व कंपाउंड चैंपियन शीतल के लिए एक सक्षम अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता के लिए भारतीय टीम में शामिल होना एक और ऐतिहासिक उपलब्धि है। शीतल अमर उजाला के संवाद में भी शामिल हो चुकी हैं और उन्होंने अपनी भावुक कहानी का जिक्र किया था। आइये जानते हैं...
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शीतल देवी
- फोटो : ANI
ओजनूर क्यूर गिर्डी से मिली प्रेरणा
पेरिस पैरालंपिक 2024 में मिश्रित टीम कंपाउंड स्पर्धा में कांस्य पदक जीतने वाली शीतल को तुर्किये की पेरिस पैरालंपिक चैंपियन ओजनूर क्यूर गिर्डी से प्रेरणा मिली जो विश्व स्तर पर सक्षम तीरंदाजों की स्पर्धाओं में भी भाग लेती हैं। जम्मू-कश्मीर की शीतल ने हांगझोऊ पैरा एशियाई खेलों में दो स्वर्ण और एक रजत जीते थे। शीतल कुमारी दुनिया की पहली महिला तीरंदाज हैं, जो हाथ नहीं होने के बावजूद तीरंदाजी में कमाल कर रही हैं।
पेरिस पैरालंपिक 2024 में मिश्रित टीम कंपाउंड स्पर्धा में कांस्य पदक जीतने वाली शीतल को तुर्किये की पेरिस पैरालंपिक चैंपियन ओजनूर क्यूर गिर्डी से प्रेरणा मिली जो विश्व स्तर पर सक्षम तीरंदाजों की स्पर्धाओं में भी भाग लेती हैं। जम्मू-कश्मीर की शीतल ने हांगझोऊ पैरा एशियाई खेलों में दो स्वर्ण और एक रजत जीते थे। शीतल कुमारी दुनिया की पहली महिला तीरंदाज हैं, जो हाथ नहीं होने के बावजूद तीरंदाजी में कमाल कर रही हैं।
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शीतल देवी
- फोटो : ANI
बचपन में लकड़ी के धनुष से खेलती थीं शीतल
पिछले साल अमर उजाला के साथ बातचीत में शीतल ने अपने जीवन से जुड़े कई खुलासे किए थे। इस दौरान 16 साल की शीतल की मासूमियत झलक रही थी। शीतल ने बताया कि वह बचपन से ही हर काम पैर से करती हैं। बचपन में वह अपने भाई बहनों के साथ फुटबॉल भी खेलती थीं और बाकी खेलों में भी व्यस्त रहती थीं। चंचल स्वभाव की शीतल कभी शांत नहीं बैठती थीं। वह दोस्तों के साथ मिलकर लकड़ी का धनुष बनाती थीं और उसके साथ भी खेलती रहती थीं। लकड़ी का धनुष बहुत हल्का होता था और उसे उठाना भी बेहद आसान होता था।
पिछले साल अमर उजाला के साथ बातचीत में शीतल ने अपने जीवन से जुड़े कई खुलासे किए थे। इस दौरान 16 साल की शीतल की मासूमियत झलक रही थी। शीतल ने बताया कि वह बचपन से ही हर काम पैर से करती हैं। बचपन में वह अपने भाई बहनों के साथ फुटबॉल भी खेलती थीं और बाकी खेलों में भी व्यस्त रहती थीं। चंचल स्वभाव की शीतल कभी शांत नहीं बैठती थीं। वह दोस्तों के साथ मिलकर लकड़ी का धनुष बनाती थीं और उसके साथ भी खेलती रहती थीं। लकड़ी का धनुष बहुत हल्का होता था और उसे उठाना भी बेहद आसान होता था।
शीतल देवी
- फोटो : ANI
हाथ न होने के बावजूद पेड़ पर जाती थीं
शीतल अपने दोस्तों के साथ पेड़ पर भी चढ़ जाती थीं। वह सामान्य बच्चों की तरह ही पेड़ पर चढ़ जाती थीं, जबकि बचपन से उनके दोनों हाथ नहीं हैं। उनका गांव पहाड़ी इलाके में है और पेड़ से गिरने पर गंभीर चोट लगने का खतरा रहता है, लेकिन उन्हें खुद पर इतना भरोसा है कि वह आसानी से पेड़ पर चढ़ जाती हैं। शीतल का एक वीडियो भी वायरल हुआ था, जिसमें वह पैर से पानी की बोतल को उछालती हैं और एकदम सीधे खड़ी कर देती हैं। वहीं, उनके दोस्त हाथ से उछालने पर भी बोतल को सीधे नहीं खड़ा कर पाते।
शीतल अपने दोस्तों के साथ पेड़ पर भी चढ़ जाती थीं। वह सामान्य बच्चों की तरह ही पेड़ पर चढ़ जाती थीं, जबकि बचपन से उनके दोनों हाथ नहीं हैं। उनका गांव पहाड़ी इलाके में है और पेड़ से गिरने पर गंभीर चोट लगने का खतरा रहता है, लेकिन उन्हें खुद पर इतना भरोसा है कि वह आसानी से पेड़ पर चढ़ जाती हैं। शीतल का एक वीडियो भी वायरल हुआ था, जिसमें वह पैर से पानी की बोतल को उछालती हैं और एकदम सीधे खड़ी कर देती हैं। वहीं, उनके दोस्त हाथ से उछालने पर भी बोतल को सीधे नहीं खड़ा कर पाते।
शीतल देवी
- फोटो : ANI
शीतल की बेमिसाल कहानी
शीतल ने पिछले साल एशियाई पैरा खेलों में दो स्वर्ण सहित तीन पदक जीते थे। वह साल 2023 की सर्वश्रेष्ठ एशियाई युवा एथलीट भी चुनी गई हैं। 16 साल की शीतल का निशाना कमाल का है और आने वाले समय में उनसे कई पदकों की उम्मीद है। शीतल ने बताया कि जब उन्होंने तीरंदाजी में अपना करियर बनाने का फैसला किया तो शुरुआत में उन्हें धनुष उठाने में बहुत परेशानी होती थी, क्योंकि इसका वजन काफी ज्यादा होता है। हालांकि, जब उनके कोच को यह पता चला कि शीतल पैर से ही पेड़ पर चढ़ जाती हैं तो उन्हें यकीन हो गया कि यह लड़की कुछ भी कर सकती हैं। कोच ने शीतल को मेहनत करने के लिए प्रेरित किया और अब वह देश के लिए कमाल कर रही हैं।
शीतल ने पिछले साल एशियाई पैरा खेलों में दो स्वर्ण सहित तीन पदक जीते थे। वह साल 2023 की सर्वश्रेष्ठ एशियाई युवा एथलीट भी चुनी गई हैं। 16 साल की शीतल का निशाना कमाल का है और आने वाले समय में उनसे कई पदकों की उम्मीद है। शीतल ने बताया कि जब उन्होंने तीरंदाजी में अपना करियर बनाने का फैसला किया तो शुरुआत में उन्हें धनुष उठाने में बहुत परेशानी होती थी, क्योंकि इसका वजन काफी ज्यादा होता है। हालांकि, जब उनके कोच को यह पता चला कि शीतल पैर से ही पेड़ पर चढ़ जाती हैं तो उन्हें यकीन हो गया कि यह लड़की कुछ भी कर सकती हैं। कोच ने शीतल को मेहनत करने के लिए प्रेरित किया और अब वह देश के लिए कमाल कर रही हैं।