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VPN पर रार: दो कंपनियां ने छोड़ा भारत, नए कानून को लेकर हैं नाराज

टेक डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: प्रदीप पाण्डेय Updated Wed, 08 Jun 2022 12:33 PM IST
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सार

Surfshark ने भी वीपीएन को लेकर सरकार के नए नियमों पर नाराजगी जाहिर की है। इससे पहले पिछले सप्ताह ExpressVPN ने भारत में अपनी सेवाएं बंद करने की घोषणा की है।

After ExpressVPN Surfshark Decides to Shut Down VPN Servers in India
VPN SHUTDOWN - फोटो : amarujala
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विस्तार
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वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क (VPN) सर्विस देने वाली कंपनी Surfshark ने कहा है कि वह भी भारत छोड़ रही है। Surfshark ने भी वीपीएन को लेकर सरकार के नए नियमों पर नाराजगी जाहिर की है। इससे पहले पिछले सप्ताह ExpressVPN ने भारत में अपनी सेवाएं बंद करने की घोषणा की है। दरअसल VPN को लेकर भारत सरकार ने अपने एक फैसले में कहा है कि VPN कंपनियों को यूजर्स का डाटा पांच सालों तक सुरक्षित रखना होगा और जरूरत पड़ने पर अधिकारियों को देना होगा। सरकार के इस फैसले पर प्रमुख VPN कंपनियों ने आपत्ति जताई है। NordVPN जैसी कंपनियों ने पहले ही कहा था कि यदि सरकार अपने फैसले नहीं बदलती है या कोई दूसरा विकल्प नहीं देती है तो उन्हें भारतीय बाजार से अपना बिजनेस समेटने पर मजबूर होना पड़ेगा।

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बंद होगा कंपनी का सर्वर

Surfshark ने अपने एक बयान में कहा है कि नए कानून के लागू होने से पहले वह अपने भारतीय सर्वर को बंद कर देगी। कंपनी ने यह भी कहा है कि वह फिजिकल सर्वर के बजाय वर्चुअल सर्वर का इस्तेमाल करेगी जिसका फिजिकल सर्वर लंदन और सिंगापुर में होगा। वर्चुअल सर्वर के साथ यूजर्स को भारतीय IP एड्रेस मिलेगा। इससे पहले ExpressVPN ने भी इसी तरह का बयान दिया था। दोनों कंपनियों ने अपने ग्राहकों से यह भी कहा है कि भारतीय यूजर्स को परेशान होने की जरूरत नहीं है, क्योंकि वर्चुअल सर्वर से उन्हें कोई दिक्कत नहीं होगी। उनका एक्सपेरियंस पहले जैसा ही रहेगाा। वीपीएन कंपनियों ने यह भी कहा है कि उनका भारत छोड़ना आईटी सेक्टर के लिए अच्छा नहीं है।

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VPN सर्विस ना होने से खतरे में प्राइवेसी

Surfshark ने एक डाटा का हवाला देते हुए कहा कि VPN सर्विस के ना होने से यूजर्स की प्राइवेसी खतरे में पड़ जाएगी। साल 2004 में 14.9 बिलियन अकाउंट का डाटा लीक हुआ था जिनमें 254.9 मिलियन केवल भारतीय यूजर्स के ही अकाउंट थे। ऐसे में VPN सर्विस पर इस तरह का अंकुश लगाना उचित नहीं है। 

VPN को लेकर सरकार ने क्या कहा है?

इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की एजेंसी सीईआरटी ने पिछले हफ्ते अपने एक आदेश में कहा है कि वीपीएन सेवा प्रदाताओं को अपने उपयोगकर्ताओं के नाम, ईमेल आईडी और आईपी एड्रेस सहित अन्य डाटा को पांच साल या उससे अधिक समय तक सेव करके रखना होगा। आदेश में कहा गया है कि यदि किसी कारणवश से किसी वीपीएन कंपनी का रजिस्ट्रेशन रद्द होता तो उसके बाद भी उसे डाटा मांगा जा सकता है। सीधे शब्दों में कहें तो किसी वीपीएन कंपनी के बंद या बैन होने के बाद भी उसे सरकार को डाटा देना होगा। VPN को लेकर नया कानून 28 जून 2022 से लागू हो रहा है। आदेश में यह भी कहा गया है कि सभी सेवा प्रदाताओं को अपने सिस्टम में अनिवार्य रूप से लॉगिन की सुविधा देनी चाहिए।

वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क क्या होता है?

वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क (VPN) एक ऐसा नेटवर्क होता है जो कि आपके डाटा को एंक्रिप्ट करता है और आपके IP ऐड्रेस को भी छिपाता है। ऐसे में आपकी इंटरनेट की पहचान दुनिया से छुपी रहती है। वीपीएन का इस्तेमाल आप पब्लिक वाई-फाई नेटवर्क पर भी कर सकते हैं। वीपीएन का सबसे बड़ा फायदा यह होता कि आपकी ट्रैकिंग नहीं होती है। आप किसी कंप्यूटर या मोबाइल पर क्या सर्च कर रहे हैं, क्या कर रहे हैं, इसके बारे में किसी को कोई जानकारी नहीं होती है, जबकि ओपन नेटवर्क में जब भी आप कुछ सर्च करते हैं तो तमाम तरह की साइट कूकिज के जरिए आपकी जानकारी लेती हैं और उसका इस्तेमाल विज्ञापन में करती हैं। वीपीएन का इस्तेमाल आजकल ठगी और क्राइम के लिए भी होने लगा है जिसे लेकर सरकार परेशान है।

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