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Google Earth: अब जेमिनी करेगा बाढ़ और सूखे की भविष्यवाणी, गूगल अर्थ ने जोड़ा एआई मॉडल

टेक डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: सुयश पांडेय Updated Fri, 24 Oct 2025 03:46 PM IST
सार

गूगल ने अपने अर्थ एआई में जेमिनी मॉडल्स जोड़े हैं जो बाढ़, सूखा और पर्यावरण संकट की भविष्यवाणी करेंगे। अब संगठन गूगल अर्थ और क्लाउड की मदद से रियल-टाइम डेटा के आधार पर फैसले ले सकेंगे।

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google earth will use gemini ai to answer questions on flood and drought
गूगल अर्थ (सांकेतिक तस्वीर) - फोटो : AI
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विस्तार
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टेक दिग्गज गूगल ने अपने प्रसिद्ध प्लेटफॉर्म गूगल अर्थ को अब और भी स्मार्ट बना दिया है। कंपनी ने इसमें अपने नवीनतम जेमिनी एआई मॉडल्स को शामिल किया है, जो अब दुनिया भर में बाढ़, सूखा, जंगल की आग और अन्य प्राकृतिक आपदाओं की स्थिति को समझने और उससे निपटने में मदद करेगा। गूगल का यह नया कदम उसके अर्थ एआई प्लेटफॉर्म को एक नए स्तर पर ले जाता है, जहां जियोस्पेशियल एआई (भौगोलिक कृत्रिम बुद्धिमत्ता) की मदद से यह दुनिया भर की सरकारों और संगठनों को आपदा प्रबंधन और पर्यावरण निगरानी में सहायता देगा।

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जेमिनी एआई से मिलेगा रियल-टाइम डेटा

गूगल के अनुसार, अब इसका फ्लड फोरकास्टिंग सिस्टम (Flood Forecasting System) दुनिया की लगभग दो अरब से अधिक आबादी तक पहुंच चुका है। इसकी मदद से वर्ल्ड विजन जैसी संस्थाएं जरूरत के समय खाद्य और स्वच्छ जल वितरण की योजना बेहतर तरीके से बना पा रही हैं। कंपनी ने बताया कि 2025 में कैलिफोर्निया वाइल्डफायर के दौरान गूगल मैप्स और क्राइसिस अलर्ट्स ने 1.5 करोड़ लोगों को समय रहते सुरक्षित आश्रयों तक पहुंचने में मदद की थी।

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जियोस्पेशियल रीजनिंग: डेटा से बनेगा सटीक विश्लेषण

गूगल का नया फीचर जियोस्पेशियल रीजनिंग अब मौसम, जनसंख्या, और सैटेलाइट इमेजरी जैसे विभिन्न डेटा स्रोतों को जोड़कर एक व्यापक विश्लेषण तैयार करेगा। इससे संगठनों को यह जानने में आसानी होगी कि किसी तूफान या बाढ़ से कौन-से इलाके सबसे अधिक प्रभावित होंगे, और किस क्षेत्र में राहत कार्य पहले शुरू करने चाहिए। उदाहरण के लिए, संस्था GiveDirectly अब बाढ़ और जनसंख्या डेटा को मिलाकर यह तय कर सकती है कि किन इलाकों को सबसे तेजी से सहायता की आवश्यकता है। गूगल ने ऐसे संगठनों को ट्रस्टेड टेस्टर्स बनने का आमंत्रण दिया है, ताकि वे इस तकनीक का शुरुआती उपयोग कर सकें।

गूगल अर्थ में एआई का एकीकरण

गूगल अब अपने अर्थ एआई टूल्स को गूगल अर्थ के अंदर ही एकीकृत कर रहा है। इससे यूजर्स सैटेलाइट इमेज देखकर तुरंत विश्लेषण कर पाएंगे कि कहां पानी की कमी बढ़ रही है, कहां जंगल की आग का खतरा है या कौन-से जलाशय सूख रहे हैं।


उदाहरण के तौर पर —

  • जल विभाग सूखती नदियों और धूल भरी आंधियों के खतरे का पता लगा सकता है।
  • पर्यावरण एजेंसियां पेयजल स्रोतों में शैवाल (algae) की समस्या को समय रहते पहचान सकती हैं।
  • यह फीचर फिलहाल गूगल अर्थ प्रोफेशनल और प्रोफेशनल एडवांस्ड यूजर्स के लिए अमेरिका में उपलब्ध होगा। जबकि गूगल एआई प्रो और अल्ट्रा सब्सक्रिप्शन वाले यूजर्स को अधिक डेटा एक्सेस मिलेगा।

 

अब गूगल क्लाउड पर भी अर्थ एआई

गूगल ने घोषणा की है कि अब उसके अर्थ एआई मॉडल्स को गूगल Cloud प्लेटफॉर्म पर भी इस्तेमाल किया जा सकेगा।
इससे कंपनियां अपने डेटा को गूगल के एआई मॉडल्स के साथ जोड़कर पर्यावरणीय निगरानी, जलवायु परिवर्तन विश्लेषण और आपदा प्रतिक्रिया रणनीति विकसित कर सकेंगी।

दुनिया भर में मिल रहे नतीजे

गूगल का अर्थ एआई पहले से ही कई जगहों पर उपयोग में है:

  • WHO अफ्रीका ऑफिस इसे कॉलेरा जैसी बीमारियों की भविष्यवाणी के लिए इस्तेमाल कर रहा है।
  • प्लेनेट और एयरबस जैसी सैटेलाइट कंपनियां इससे वनों की कटाई और बिजली लाइनों के आसपास की वनस्पति निगरानी कर रही हैं।
  • अल्फाबेट एक्स की इकाई बेलवेदर इसका उपयोग तूफान की भविष्यवाणी और बीमा दावों की प्रक्रिया तेज करने में कर रही है।


गूगल का नया अर्थ एआई प्लेटफॉर्म अब सिर्फ एक नक्शा टूल नहीं रह गया है, बल्कि यह एआई-सक्षम पर्यावरण विश्लेषण प्रणाली बन चुका है।
इससे सरकारों, शोध संस्थानों और पर्यावरण संगठनों को जलवायु परिवर्तन और प्राकृतिक आपदाओं से निपटने में वास्तविक समय की मदद मिलेगी।

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