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AI Investment: भारत खो सकता है अपनी टेक मार्केट का दबदबा, अगर बड़ी कंपनियों ने तेजी से नहीं बढ़ाया AI निवेश
टेक डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: नीतीश कुमार
Updated Thu, 20 Nov 2025 10:52 AM IST
सार
भारत की आईटी सर्विस इंडस्ट्री पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की तेज तरक्की सीधा दबाव बना रही है। इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) के वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि अगर बड़ी टेक कंपनियों ने AI में भारी निवेश नहीं किया, तो देश का तीन दशक पुराना तकनीकी बढ़त खोने का खतरा बढ़ जाएगा।
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वैश्विक AI निवेश में भारत काफी पीछे
- फोटो : AI
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विस्तार
भारत लंबे समय से ग्लोबल टेक्नोलॉजी सर्विसेज में अपनी मजबूत पकड़ बनाए हुए है, लेकिन तेजी से बढ़ती आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की लहर अब इस बढ़त को चुनौती दे रही है। इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) के अतिरिक्त सचिव अभिषेक सिंह ने चेतावनी दी है कि यदि भारत की बड़ी टेक कंपनियों ने AI में निवेश तेजी से नहीं बढ़ाया, तो आने वाले वर्षों में देश अपनी तकनीकी बढ़त गंवा सकता है।
बेंगलुरु टेक समिट में बोलते हुए सिंह ने कहा कि भारत की खासियत हमेशा से भारतीय इंजीनियरों की “कॉग्निटिव पावर” रही है, लेकिन अब AI बॉट्स, ऑटो-कोडिंग टूल्स और OpenAI तथा Anthropic जैसे प्लेटफॉर्म मानव डेवलपर्स के साथ सीधी प्रतिस्पर्धा में आ गए हैं। उनके अनुसार, अगर स्किल डेवलपमेंट और AI अपनाने की रफ्तार नहीं बढ़ी, तो भारत को भारी नुकसान हो सकता है।
यह भी पढ़ें: लंदन में चोरों को नहीं भा रहे सैमसंग के फोन, चोरी के बाद लौटा रहे वापस; इस फोन की रखते हैं चाहत
सरकारी फंडिंग ‘महासागर में एक बूंद’
अभिषेक सिंह ने बताया कि सरकार AI एप्लिकेशन, फाउंडेशन मॉडल और कंप्यूट इंफ्रास्ट्रक्चर पर निवेश कर रही है, लेकिन यह पर्याप्त नहीं है। उन्होंने कहा कि सरकारी फंडिंग कुल जरूरत का बेहद छोटा हिस्सा है और इसे उद्योग जगत, बड़ी टेक कंपनियों और वेंचर कैपिटल निवेशों से मिलकर पूरा करना होगा। सिंह का कहना है कि भारत की स्थापित टेक कंपनियों के पास पर्याप्त कैश रिज़र्व और मजबूत मुनाफा है, फिर भी AI में उनकी निवेश गति अपेक्षा से काफी कम है। उनका मानना है कि इन कंपनियों को AI एप्लिकेशन और समाधानों पर बड़े पैमाने पर खर्च करना चाहिए।
वैश्विक AI निवेश में अमेरिका और चीन काफी आगे
MeitY के अनुमान बताते हैं कि भारत में इस साल AI निवेश 20 बिलियन डॉलर के आंकड़े को पार कर गया है। इसके बावजूद भारत अमेरिका, चीन और ब्रिटेन जैसे देशों की तुलना में काफी पीछे है। अमेरिका ने 2013 से 2024 के बीच 471 बिलियन डॉलर का निजी निवेश AI में किया है, जबकि चीन ने 119 बिलियन डॉलर झोंके हैं। UK ने भी 10 साल में 26 बिलियन डॉलर का निवेश कर खुद को अग्रणी देशों में शामिल किया है। सऊदी अरब भी 100 बिलियन डॉलर की AI योजना के साथ वैश्विक दौड़ में तेजी से आगे बढ़ रहा है।
यह भी पढ़ें: फोन में 64, 128 और 256GB ही क्यों मिलती है स्टोरेज; 100 या 200GB का डिवाइस क्यों नहीं बनाती कंपनियां?
भारत में बड़े कॉरपोरेट निवेशों से बनी उम्मीद
भारत में निवेश की गति भले ही धीमी हो, लेकिन कई महत्वपूर्ण ऐलान जरूर हुए हैं।
AI में तेजी से निवेश की जरूरत, नहीं तो बढ़ सकता है जोखिम
भारत में AI निवेश में वृद्धि का सिलसिला शुरू तो हो चुका है, लेकिन गति अभी भी वैश्विक मानकों के मुकाबले कम है। अगर भारत को टेक्नोलॉजी क्षेत्र में अपनी बढ़त बनाए रखनी है, तो बड़े उद्योग घरानों को AI रिसर्च, डेवलपमेंट और स्किल अपग्रेडेशन में अधिक निवेश करना होगा। सिंह ने भी कहा कि भारत का भविष्य इस बात पर निर्भर करेगा कि देश की बड़ी टेक कंपनियां AI को कितनी तेजी और कितनी गंभीरता से अपनाती हैं।
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बेंगलुरु टेक समिट में बोलते हुए सिंह ने कहा कि भारत की खासियत हमेशा से भारतीय इंजीनियरों की “कॉग्निटिव पावर” रही है, लेकिन अब AI बॉट्स, ऑटो-कोडिंग टूल्स और OpenAI तथा Anthropic जैसे प्लेटफॉर्म मानव डेवलपर्स के साथ सीधी प्रतिस्पर्धा में आ गए हैं। उनके अनुसार, अगर स्किल डेवलपमेंट और AI अपनाने की रफ्तार नहीं बढ़ी, तो भारत को भारी नुकसान हो सकता है।
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सरकारी फंडिंग ‘महासागर में एक बूंद’
अभिषेक सिंह ने बताया कि सरकार AI एप्लिकेशन, फाउंडेशन मॉडल और कंप्यूट इंफ्रास्ट्रक्चर पर निवेश कर रही है, लेकिन यह पर्याप्त नहीं है। उन्होंने कहा कि सरकारी फंडिंग कुल जरूरत का बेहद छोटा हिस्सा है और इसे उद्योग जगत, बड़ी टेक कंपनियों और वेंचर कैपिटल निवेशों से मिलकर पूरा करना होगा। सिंह का कहना है कि भारत की स्थापित टेक कंपनियों के पास पर्याप्त कैश रिज़र्व और मजबूत मुनाफा है, फिर भी AI में उनकी निवेश गति अपेक्षा से काफी कम है। उनका मानना है कि इन कंपनियों को AI एप्लिकेशन और समाधानों पर बड़े पैमाने पर खर्च करना चाहिए।
वैश्विक AI निवेश में अमेरिका और चीन काफी आगे
MeitY के अनुमान बताते हैं कि भारत में इस साल AI निवेश 20 बिलियन डॉलर के आंकड़े को पार कर गया है। इसके बावजूद भारत अमेरिका, चीन और ब्रिटेन जैसे देशों की तुलना में काफी पीछे है। अमेरिका ने 2013 से 2024 के बीच 471 बिलियन डॉलर का निजी निवेश AI में किया है, जबकि चीन ने 119 बिलियन डॉलर झोंके हैं। UK ने भी 10 साल में 26 बिलियन डॉलर का निवेश कर खुद को अग्रणी देशों में शामिल किया है। सऊदी अरब भी 100 बिलियन डॉलर की AI योजना के साथ वैश्विक दौड़ में तेजी से आगे बढ़ रहा है।
यह भी पढ़ें: फोन में 64, 128 और 256GB ही क्यों मिलती है स्टोरेज; 100 या 200GB का डिवाइस क्यों नहीं बनाती कंपनियां?
भारत में बड़े कॉरपोरेट निवेशों से बनी उम्मीद
भारत में निवेश की गति भले ही धीमी हो, लेकिन कई महत्वपूर्ण ऐलान जरूर हुए हैं।
- गूगल विशाखापत्तनम में 15 बिलियन डॉलर का AI डेटा हब बनाने जा रहा है।
- TCS ने 5–7 बिलियन डॉलर के AI डेटा सेंटर्स की योजना बनाई है।
- रिलायंस इंडस्ट्रीज अगले कुछ वर्षों में 12–15 बिलियन डॉलर AI इंफ्रास्ट्रक्चर पर खर्च कर सकती है।
- भारतीय AI स्टार्टअप्स को इस साल अब तक 5.3 बिलियन डॉलर की फंडिंग मिल चुकी है।
- सरकार ने भी GPU इंफ्रास्ट्रक्चर और बड़े भाषा मॉडल (LLM) के विकास हेतु 1.2 बिलियन डॉलर का फंड तय किया है।
AI में तेजी से निवेश की जरूरत, नहीं तो बढ़ सकता है जोखिम
भारत में AI निवेश में वृद्धि का सिलसिला शुरू तो हो चुका है, लेकिन गति अभी भी वैश्विक मानकों के मुकाबले कम है। अगर भारत को टेक्नोलॉजी क्षेत्र में अपनी बढ़त बनाए रखनी है, तो बड़े उद्योग घरानों को AI रिसर्च, डेवलपमेंट और स्किल अपग्रेडेशन में अधिक निवेश करना होगा। सिंह ने भी कहा कि भारत का भविष्य इस बात पर निर्भर करेगा कि देश की बड़ी टेक कंपनियां AI को कितनी तेजी और कितनी गंभीरता से अपनाती हैं।