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Solid State Battery: महंगी EV बैटरियों का हो सकता है अंत? वैज्ञानिकों ने बनाई सुपर सोडियम बैटरी; जानें खासियत
टेक डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: जागृति
Updated Thu, 20 Nov 2025 12:52 PM IST
सार
The future of EV batteries: इलेक्ट्रिक वाहनों की बढ़ती मांग के बीच लिथियम-आयन बैटरियों की सीमाओं ने वैज्ञानिकों को नए विकल्प खोजने पर मजबूर किया है। कनाडा की वेस्टर्न यूनिवर्सिटी ने एक नई सॉलिड-स्टेट सोडियम बैटरी तकनीक विकसित की है।
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एसएसबी ।
- फोटो : adobe stock
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विस्तार
भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों की लोकप्रियता तेजी से बढ़ती जा रही है। इसी के साथ इसमें लगने वाली बैटरियों की लागत भी बढ़ती जा रही है। आज की दुनिया में, जहां मोबाइल, लैपटॉप से लेकर ईवी तक सब बैटरी पर निर्भर है, वहीं लिथियम-आयन बैटरियों की कमियां सामने आने लगी है।
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कनाडा की वेस्टर्न यूनिवर्सिटी के मैकेनिकल और मटेरियल्स इंजीनियरिंग विभाग के वैज्ञानिक डॉ. गंगा झाओं की टीम इस पर काम कर रही है। उनका दावा है कि सोडियम पृथ्वी पर बहुत अधिक मात्रा में मिलता है और यह लिथियम से कई गुना सस्ता है।
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आग लगने का खतरा शून्य के बराबर
ठोस-अवस्था वाली बैटरियों में तरल की बजाय ठोस इलेक्ट्रोलाइट का उपयोग होता है। जिससे इसमें आग लगने का खतरा लगभग शून्य बचता है। ऊर्जा घनत्व बढ़ता है यानी बैटरी ज्यादा समय चलती है। उच्च तापमान स्थिरता और लंबी लाइफ व अधिक चार्ज-साइकिल के फायदे हैं।
सबसे बड़ी चुनौती यह थी कि सोडियम आयन ठोस इलेक्ट्रोलाइट में तेजी से कैसे मूव करें? जिसका हल डॉ झाओ की टीम ने निकालते हुए बताया कि सल्फर और क्लोरीन आधारित नया ठोस पदार्थ सल्फर संरचना को लचीला बनाता है। सोडियम आयनों की गति कई गुना बढ़ जाती है। तापमान व कंपन जैसी स्थितियों में भी स्थिरता बनी रहती है। अन्य बैटरी पार्ट्स के संपर्क में भी खराब नहीं होता। यह खासियत इसे नेक्स्ट जेनरेशन बैटरी बनाती है।
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X-Ray तकनीक से हुई गहराई से जांच
कनाडा के सीएलएस (कैनेडियन लाइट सोर्स) में हाई-एनर्जी X-Ray सिस्टम की मदद से वैज्ञानिकों ने आयन मूवमेंट और केमिकल बंधनों की सटीक जांच की। यह जांच बताती है कि यह नया पदार्थ औद्योगिक बैटरी निर्माण के लिए पूरी तरह उपयुक्त है।
अगर उद्योग स्तर पर उत्पादन शुरू हुआ, तो ईवी और एनर्जी स्टोरेज सेक्टर में बड़ा बदलाव हुआ है। ईवी की कीमतें घटेंगी, बैटरियों की सुरक्षा बढ़ेगी, लिथियम पर निर्भरता कम होगी और बड़े पैमाने पर सस्ते ऊर्जा भंडारण के रास्ते खुलेंगे। यह तकनीक ऊर्जा भंडारण का नया युग शुरू कर सकती है।