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क्या है जियोटैगिंग: जनगणना में होगा इसका बड़ा रोल, जानिए कहां-कहां होता है इस्तेमाल, विस्तार से समझें

टेक डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: नीतीश कुमार Updated Thu, 25 Dec 2025 12:41 PM IST
सार

What Is Geotagging: फोटो, वीडियो या किसी डिजिटल फाइल के साथ लोकेशन जुड़ते ही जियोटैगिंग चर्चा में आ जाती है। सोशल मीडिया से लेकर सरकारी कामों तक इसका दायरा तेजी से बढ़ रहा है। जानिए जियोटैगिंग क्या है और कहां काम आती है ये खास तकनीक?

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जियोटैगिंग (सांकेतिक) - फोटो : AI
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विस्तार
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आजकल हम जब भी कहीं बाहर घूमने जाते हैं या किसी अच्छे रेस्टोरेंट में खाना खाते हैं, तो तुरंत फोटो खींचकर सोशल मीडिया पर डाल देते हैं। अक्सर उन फोटोज के साथ जगह का नाम भी लिखा आता है। क्या आपने कभी सोचा है कि आपके फोन को कैसे पता चलता है कि आप उस वक्त कहां थे? यह सब जियोटैगिंग का कमाल है।
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आसान शब्दों में कहें तो जियोटैगिंग किसी भी डिजिटल फाइल जैसे फोटो, वीडियो या मैसेज में भौगोलिक जानकारी जोड़ने की एक प्रक्रिया है। यह आपके डिजिटल कंटेंट के लिए एक पोस्टल एड्रेस की तरह काम करता है।
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कैसे काम करता है यह पूरा सिस्टम?
जब आप अपने स्मार्टफोन में फोटो खींचते हैं और आपका GPS ऑन होता है, तो कैमरा उस फोटो के साथ कुछ खास कोड्स जोड़ देता है। इसमें अक्षांश (Latitude) और देशांतर (Longitude) शामिल होते हैं। साथ ही, यह कितनी ऊंचाई (Altitude) पर क्लिक की गई है, यह भी दर्ज हो जाता है। यह सारी जानकारी फाइल के पिछले हिस्से यानी मेटाडेटा में जाकर छिप जाती है, जिसे हम और आप प्रॉपर्टीज या डिटेल्स में जाकर देख सकते हैं।

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कहां-कहां होता है जियोटैगिंग का इस्तेमाल?
जियोटैगिंग का दायरा अब सिर्फ फेसबुक या इंस्टाग्राम तक सीमित नहीं रह गया है। इसके उपयोग कृषि से लेकर जनगणना तक कई क्षेत्रों में हो रहे हैं। पिछले कुछ वर्षों में जियोटैगिंग का इस्तेमाल खेती में बढ़ा है।
  • सरकार कुछ खास फसलों को जियोग्राफी के हिसाब से डिजिटल पहचान देने के लिए उनकी जियोटैगिंग कर रही है। इससे पता चलता है कि कौनसा फसल देश के किस इलाके में उगाया जा रहा है। इससे उनकी किस्म को संरक्षित रखने में मदद मिलती है। 
  • कंपनियां यह जानने के लिए इसका इस्तेमाल करती हैं कि उनके ग्राहक किस इलाके में सबसे ज्यादा हैं। इसी आधार पर आपको आपके शहर के खास ऑफर वाले विज्ञापन दिखाए जाते हैं।
  • सरकार अब जनगणना (Census) में भी जियोटैगिंग का इस्तेमाल करने की तैयारी में है। इससे डेटा एकदम सटीक होगा और फर्जीवाड़े की गुंजाइश खत्म हो जाएगी।
  • किसी आपदा या एक्सीडेंट के समय हादसे की जगह या पीड़ित की सटीक लोकेशन पता करने में भी जियोटैगिंग की मदद ली जाती है।
  • शहरों के नक्शे बनाने, सड़कों के निर्माण की निगरानी करने और जंगलों में जानवरों की लोकेशन ट्रैक करने के लिए भी वैज्ञानिक इसका उपयोग करते हैं।

जियोटैगिंग के क्या हैं खतरे?
हर सिक्के के दो पहलू होते हैं। जियोटैगिंग जहां काम आसान बनाती है, वहीं प्राइवेसी के लिए खतरा भी पैदा कर सकती है। अगर आप अपनी हर फोटो जियोटैग्ड करके सार्वजनिक करते हैं, तो कोई भी आपकी आदतों और आपके घर-ऑफिस की लोकेशन का पता लगा सकता है। अपराधी या हैकर्स इस डेटा का इस्तेमाल करके किसी व्यक्ति का मूवमेंट प्रोफाइल तैयार कर सकते हैं कि वह कब और कहां जाता है। कई कंपनियां आपकी लोकेशन हिस्ट्री बेचकर आपको अनचाहे विज्ञापनों से परेशान कर सकती हैं।

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कैसे पता करें जियोटैगिंग है ऑन?
जियोटैगिंग एक बेहतरीन टूल है, बशर्ते आप इसे समझदारी से इस्तेमाल करें। फोन में तस्वीरों की जियोटैगिंग डिफॉल्ट रूप से बंद होती है। आप इसे मैनुअली ऑन कर सकते हैं। हालांकि, अगर आपको चेक करना हो तो आप खींची गई फोटो के Details ऑप्शन में जाकर देख सकते हैं कि उसमें क्या जानकारियां दिख रही हैं। अगर लोकेशन की जानकारी न दिखे तो समझ लें कि जियोटैगिंग बंद है।
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