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Ayodhya News: अयोध्या विधानसभा के कुछ विशेष क्षेत्रों में कम हुए मतदाता

संवाद न्यूज एजेंसी, अयोध्या Updated Mon, 29 Dec 2025 11:15 PM IST
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Voter turnout decreased in some specific areas of Ayodhya Assembly
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अयोध्या। विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के दौरान जिले में अयोध्या विधानसभा क्षेत्र में सर्वाधिक 1,07,976 मतदाता कम हुए हैं। इसमें भी कुछ विशेष क्षेत्रों में इनकी संख्या में कमी आई है। सत्ताधारी दल भाजपा और प्रमुख विपक्षी दल समाजवादी पार्टी की ओर से मतदाताओं की संख्या में आई कमी के अलग-अलग मायने निकाले जा रहे हैं।
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अयोध्या धाम के मतदेय स्थल संख्या 177 काशीराम कंपोजिट विद्यालय के अंतर्गत बड़ी संख्या में मतदाता यूईएफ की श्रेणी में हैं। इसका मतलब इनमें मृतक, अनुपस्थित, स्थानांतरित व डुप्लीकेट श्रेणी के मतदाता हैं। इसी मतदेय स्थल के तहत काशीराम कॉलोनी आती है। जब बीएलओ गणना प्रपत्र लेकर यहां पहुंचे थे तो अधिकतर आवासों में ताला बंद मिला या जो लोग रह रहे थे, वह किरायेदार थे। यहां पर बड़ी संख्या में मतदाता अपना वर्ष 2003 की मतदाता सूची का विवरण भी उपलब्ध नहीं करा पाए।
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मतदेय स्थल संख्या 158 पूर्व माध्यमिक विद्यालय कटरा के अंतर्गत भी यूईएफ श्रेणी के मतदाताओं की भरमार है। यह रामजन्मभूमि के आसपास का क्षेत्र है। यहां पर बड़ी संख्या में साधु-संत रहते हैं। इनमें कई स्थायी रूप से अन्यत्र चले गए या मृत्यु हो गई है। मतदेय स्थल संख्या 128 औद्योगिक शिक्षण संस्थान के अंर्तगत भी मतदाताओं की संख्या कम हुई है। यह रानोपाली और टेढ़ी बाजार का क्षेत्र है। इस क्षेत्र में बड़ी संख्या में होमस्टे बने हुए हैं। सड़क के चौड़ीकरण होने के कारण बड़ी संख्या में मतदाता स्थायी रूप से अन्यत्र चले गए हैं।

उप जिलाधिकारी सदर राम प्रसाद त्रिपाठी ने बताया कि इसी तरह अयोध्या कैंट में मतदेय स्थल संख्या 16 राजकीय बालिका इंटर कॉलेज के अंतर्गत वोटरों की संख्या कम हुई है। इस बूथ पर कलेक्ट्रेट क्षेत्र के मतदाता सर्वाधिक हैं। इनमें से अधिकांश स्थानांतरित होकर दूसरे जिलों में चले गए हैं। ऐसे में एसआईआर के दौरान इस मतदेय स्थल के क्षेत्रों में काफी मतदाता घट गए हैं।

मतदाताओं के घटने को फायदे और नुकसान के नजरिए से न देखें

अयोध्या विधानसभा क्षेत्र में मतदाताओं के घटने को लेकर नगर विधायक वेद प्रकाश गुप्त कहते हैं कि एसआईआर के दौरान मतदाताओं के घटने को फायदे और नुकसान के नजरिए से नहीं देखा जाना चाहिए। इसका उद्देश्य सिर्फ मतदाता सूची का शुद्धीकरण है। जो मतदाता मौजूद नहीं हैं या जिनकी मृत्यु हो गई है, उनका नाम मतदाता सूची में बने रहने का कोई औचित्य नहीं है। ऐसे मतदाता वोट नहीं डालते हैं और इसका नकारात्मक प्रभाव मतदान प्रतिशत पर पड़ता है।

वोटर आईडी कार्ड को भी आधार से लिंक करवाने की हो पहल

समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता व पूर्व मंत्री तेज नारायण पांडेय ने कहा कि जिन मतदाताओं की मृत्यु हो गई या जिन बेटियों की शादी हो गई, उनका नाम मतदाता सूची से हटाया जाना ठीक है। फिर भी इतनी ज्यादा संख्या में वोटर कम होने से भाजपा की पोल खुल गई है। इससे स्पष्ट है कि भाजपा ने काफी संख्या में फर्जी मतदाताओं के नाम शामिल करवाए थे। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को वोटर आईडी कार्ड को भी आधार से लिंक करवाने की पहल करनी चाहिए। ऐसे में एक व्यक्ति-एक वोट का फार्मूला लागू होगा तो फिर दोबारा एसआईआर की जरूरत नहीं पड़ेगी।
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