UP: दोहरा हत्याकांड...दोषी की समयपूर्व रिहाई पर राज्यपाल ने लगाई रोक, दो लोगों को मारी थी गोली; जानें मामला
Ghazipur News: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 14 अगस्त 2013 को चार दोषियों की मृत्युदंड की सजा को आजीवन कारावास में परिवर्तित कर दिया था। जिलाधिकारी अविनाश कुमार ने बताया कि शासन का पत्र मिला है। अग्रिम कार्रवाई लिए संबंधितों को निर्देशित किया गया है।
विस्तार
UP Crime News: जमीन के विवाद में दो लोगों की गोली मारकर हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे जनपद निवासी सिद्धदोष बंदी राजेश यादव की शर्तों के साथ समयपूर्व रिहाई को राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने अस्वीकार कर दिया है। इस संबंध में शासन द्वारा आदेश जारी कर दिया गया है।
शासन के उप सचिव कमलेश कुमार की ओर से 12 दिसंबर को पुलिस महानिदेशक/ महानिरीक्षक, कारागार शासन एवं सुधार सेवाएं, वरिष्ठ अधीक्षक,केंद्रीय कारागार, वाराणसी व गाजीपुर के जिलाधिकारी को जारी पत्र में उल्लेख किया है कि केंद्रीय कारागार, वाराणसी में निरुद्ध बंदी राजेश यादव निवासी ग्राम बघाई, थाना बहरियाबाद ने फार्म-ए/लाइसेंस (शर्तों के साथ) के आधार पर समयपूर्व रिहाई के लिए आवेदन किया था। इस प्रस्ताव पर वरिष्ठ अधीक्षक, केंद्रीय कारागार, वाराणसी द्वारा पत्राचार किया गया था।
पत्र में उल्लेख है कि 17 सितंबर 2004 को जमीन के मुकदमे की पैरवी को लेकर हुई रंजिश में राजेश यादव ने अपने सह अभियुक्तों के साथ मिलकर बंदूक व तमंचों से गोली मारकर श्यामदेव यादव और देवकीनंदन यादव की हत्या कर दी थी।
इस मामले में सत्र परीक्षण संख्या 24/2005 व 25/2005 में अपर सत्र न्यायाधीश, गाजीपुर द्वारा 30 अप्रैल 2011 को चार अभियुक्तों राजेश यादव, शिवपूजन यादव, महेंद्र यादव व त्रिलोकी राजभर को मृत्युदंड की सजा सुनाई गई थी। एक अभियुक्त सुरेश सिंह यादव को आठ वर्ष की सजा सुनाई थी।
जिला प्रशासन ने रिहाई का किया था विरोध
शासन के पत्र के अनुसार बंदी 26 जून 2025 तक अपरिहार 14 वर्ष 5 माह तथा सपरिहार कुल 17 वर्ष 1 माह 9 दिन की सजा भुगत चुका है। बावजूद इसके जिला प्रोबेशन अधिकारी, पुलिस अधीक्षक एवं जिलाधिकारी गाजीपुर ने अपराध की गंभीरता, समाज पर उसके व्यापक दुष्प्रभाव, भविष्य में पुनः अपराध की संभावना तथा सामाजिक परिस्थितियों को देखते हुए समयपूर्व रिहाई का विरोध किया।
रिहाई के पक्ष में ठोस आधार नहीं मिला
प्रोबेशन बोर्ड ने भी अपने अभिमत में स्पष्ट किया कि यह अपराध अत्यंत जघन्य प्रकृति का है और समाज की सुरक्षा की दृष्टि से बंदी को जेल में निरुद्ध रखा जाना आवश्यक है। उच्चतम न्यायालय द्वारा निर्धारित मानकों के आधार पर भी समयपूर्व रिहाई के पक्ष में कोई ठोस आधार नहीं पाया गया।
प्रशासन की रिपोर्ट पर राज्यपाल ने लिया फैसला
शासन के उप सचिव कमलेश कुमार ने पत्र में उल्लेख किया है कि जिला प्रशासन और प्रोबेशन बोर्ड के सभी तथ्यों के आधार पर राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने बंदी की लाइसेंस पर मुक्ति का प्रस्ताव नामंजूर कर दिया गया है। साथ ही कारागार प्रशासन को निर्देश दिया है कि इस निर्णय से बंदी को तत्काल अवगत कराया जाए। शासनादेश की प्रतिलिपि जिलाधिकारी गाजीपुर एवं वरिष्ठ अधीक्षक, केन्द्रीय कारागार वाराणसी को आवश्यक कार्यवाही के लिए भेज दी गई है।
यह था मामला
बहरियाबाद थाना क्षेत्र के बघाई गांव में जमीन के विवाद के दौरान 17 सितंबर 2004 को सुबह करीब 10 बजे राजेश यादव और शिवपूजन यादव, महेंद्र यादव, सुरेश सिंह यादव व त्रिलोकी राजभर ने श्यामदेव यादव व देवकीनंदन यादव की गोली मार कर हत्या कर दी थी। इस मामले में कपिलदेव यादव ने 19 सितंबर को प्राथमिकी दर्ज कराई थी।
