Navratri 2023: शक्ति पीठों में गाजीपुर के मां कामाख्या धाम का अलग महत्व, नवरात्र की अष्टमी पर उमड़ी भीड़
एशिया के बड़े गांव में शामिल गहमर स्थित आदि शक्ति मां कामाख्या धाम पूर्वांचल के लोगों के आस्था एवं विश्वास का केंद्र है। शक्ति पीठों में अलग महत्व रखने वाला यह धाम अपने आप में तमाम पौराणिक इतिहास समेटे हुए है।

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एशिया के बड़े गांव में शामिल गहमर स्थित आदि शक्ति मां कामाख्या धाम पूर्वांचल के लोगों के आस्था एवं विश्वास का केंद्र है। शक्ति पीठों में अलग महत्व रखने वाला यह धाम अपने आप में तमाम पौराणिक इतिहास समेटे हुए है। नवरात्र पर श्रद्धालुओं की भीड़ का सैलाब उमड़ रहा है। नवरात्र की अष्टमी पर महानिशा की आरती रात 12 बजे हुई। जिसमें उत्तर प्रदेश के अलावा बिहार से भी लोग बड़ी संख्या में शामिल हुए। मान्यता है कि पुत्र प्राप्ति के लिए यहां जोड़ा नारियल चढ़ाने से मनोकामाएं पूर्ण होती हैं।

कहा जाता है कि यहां जमदग्नि, विश्वामित्र सरीखे ऋषि-मुनियों का सत्संग समागम हुआ करता था। विश्वामित्र ने यहां एक महायज्ञ भी किया था। मर्यादा पुरुषोत्तम राम ने यहीं से आगे बढ़ कर बक्सर में ताड़का नामक राक्षसी का वध किया था।
मंदिर की स्थापना के बारे में कहा जाता है कि पूर्व काल में फतेहपुर सिकरी में सिकरवार राजकुल पितामह खाबड़ जी महाराज ने कामगिरी पर्वत पर जाकर मां कामाख्या देवी की घोर तपस्या की थी। उनकी तपस्या से प्रसन्न मां कामाख्या ने कालांतर तक सिकरवार वंश की रक्षा करने का वरदान दिया था। वर्ष 1840 तक मंदिर में खंडित मूर्तियों की ही पूजा होती रही।
1841 में गहमर के ही एक स्वर्णकार तेजमन ने मनोकामना पूरी होने के बाद इस मंदिर के पुर्ननिर्माण का बीड़ा उठाया। वर्तमान समय में मां कामाख्या सहित अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियां मंदिर परिसर में स्थापित है। शारदीय एवं वासंतिक नवरात्र में जिला सहित गैर जिलों के भक्तों की भीड़ उमड़ती है। ऐसी मान्यता है कि मां के दरबार से कोई भक्त खाली नहीं जाता। उसकी हर मनोकामना अवश्य पूरी होती है।