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Ghazipur News: 2.88 लाख मतदाताओं का सत्यापन कराने की चुनौती
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गाजीपुर। मतदाता सूची की विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) प्रक्रिया पूरी करना आसान नहीं है। एक महीने की अवधि बीत गई अभी तक शत प्रतिशत मतदाताओं का विवरण सामने नहीं आ सका। 2.88 लाख वोटरों के पर्याप्त साक्ष्य बीएलओ को नहीं मिल सके हैं। अब इनका फिर से सत्यापन बीएलओ और प्रशासन के लिए चुनौती बनी है।
करीब 40 लाख की आबादी वाले इस जिले में कुल 29 लाख 51 हजार 470 मतदाताओं की संख्या है। प्रत्येक मतदाता के नाम एसआईआर फाॅर्म बीएलओ स्तर पर वितरित हो चुका है। इसमें से केवल लगभग 24,89,090 मतदाता ही सही मिले हैं। शेष 462380 मतदाताओं की कुंडली खंगालने में सरकारी मशीनरी जुटा है। हालांकि इनमें 74417 मृत चिह्नित किए गए हैं, जबकि 99963 अनुपस्थित पाए गए गए हैं। जबकि 2.88 लाख वोटरों का बीएलओ को पर्याप्त साक्ष्य नहीं मिल सका है। अब इनका फिर से सत्यापन बीएलओ और प्रशासन के लिए चुनौती बनी है।
एसआईआर प्रक्रिया के लिए एक महीने से अधिक समय से डोर-टू-डोर अभियान चलाया जा रहा है। इसमें राजस्व कर्मचारी, शिक्षक, विकास विभाग के कर्मचारियों के अलावा बीएलओ के रूप में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और रोजगार सेवकों की टीम बूथवार लगाई गई है। एसआईआर फाॅर्म भरवाने का दारोमदार बीएलओ पर है। उन्हें घर-घर पहुंचकर प्रत्येक मतदाता का एसआईआर फाॅर्म दो प्रतियों में भरवाना पड़ रहा है। एक प्रति मतदाता के पास छोड़ दी जा रही है। दूसरी प्रति बीएलओ लेकर बूथ पर पहुंच रहे हैं। यहां उनके सहयोग में लगे अन्य कर्मचारी आयोग की वेबसाइट/पोर्टल पर ऑनलाइन फीडिंग करा रहे हैं। इसमें प्रत्येक मतदाता के इपिक नंबर (फोटो पहचान पत्र संख्या) का मिलान वर्ष 2003 की मतदाता सूची से किया जा रहा है। इस प्रक्रिया को पूरा करने में ही मामला उलझ जा रहा है। तमाम ऐसे मतदाता हैं, जिनका नाम 23 वर्ष पहले वर्ष 2003 की सूची में नहीं है। आयोग ने ऐसे मतदाताओं के लिए उनके माता-पिता, दादा, दादी, नाना-नानी में से किसी एक का विवरण भरने की अनुमति दी है। आम मतदाताओं के लिए 23 वर्ष पुरानी सूची में इस तरह का विवरण तलाशना मुश्किल हो रहा है।
शहरी क्षेत्र में सबसे अधिक कठिनाई
शहरी क्षेत्र में 23 वर्ष के दौरान आबादी बढ़कर दोगुनी हो गई है। लगभग सभी कॉलोनियों का तेजी से विस्तार हुआ है। वर्ष 2022 और 2024 की मतदाता सूची में मतदाताओं की संख्या में लगभग दोगुना का इजाफा बताया जा रहा है। बढ़ोतरी वाले मतदाताओं का वर्ष 2003 का मतदाता रिकाॅर्ड खंगालना कठिन हो गया है। आसपास के लोग भी एक दूसरे के बारे में कुछ नहीं बता पा रहे हैं। कुछ ऐसे भी मतदाता पाए जा रहे हैं, जिनके घरों पर ताला लगा हुआ है।
एसआईआर के दौरान करीब 288000 मतदाताओं का सर्वे के दौरान आवश्यक प्रपत्र नहीं मिल सका है। उनका पुन: सत्यापन करने के लिए टीमें लगाई गई है। -दिनश कुमार, एडीएम, गाजीपुर।
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एसआईआर प्रक्रिया के लिए एक महीने से अधिक समय से डोर-टू-डोर अभियान चलाया जा रहा है। इसमें राजस्व कर्मचारी, शिक्षक, विकास विभाग के कर्मचारियों के अलावा बीएलओ के रूप में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और रोजगार सेवकों की टीम बूथवार लगाई गई है। एसआईआर फाॅर्म भरवाने का दारोमदार बीएलओ पर है। उन्हें घर-घर पहुंचकर प्रत्येक मतदाता का एसआईआर फाॅर्म दो प्रतियों में भरवाना पड़ रहा है। एक प्रति मतदाता के पास छोड़ दी जा रही है। दूसरी प्रति बीएलओ लेकर बूथ पर पहुंच रहे हैं। यहां उनके सहयोग में लगे अन्य कर्मचारी आयोग की वेबसाइट/पोर्टल पर ऑनलाइन फीडिंग करा रहे हैं। इसमें प्रत्येक मतदाता के इपिक नंबर (फोटो पहचान पत्र संख्या) का मिलान वर्ष 2003 की मतदाता सूची से किया जा रहा है। इस प्रक्रिया को पूरा करने में ही मामला उलझ जा रहा है। तमाम ऐसे मतदाता हैं, जिनका नाम 23 वर्ष पहले वर्ष 2003 की सूची में नहीं है। आयोग ने ऐसे मतदाताओं के लिए उनके माता-पिता, दादा, दादी, नाना-नानी में से किसी एक का विवरण भरने की अनुमति दी है। आम मतदाताओं के लिए 23 वर्ष पुरानी सूची में इस तरह का विवरण तलाशना मुश्किल हो रहा है।
शहरी क्षेत्र में सबसे अधिक कठिनाई
शहरी क्षेत्र में 23 वर्ष के दौरान आबादी बढ़कर दोगुनी हो गई है। लगभग सभी कॉलोनियों का तेजी से विस्तार हुआ है। वर्ष 2022 और 2024 की मतदाता सूची में मतदाताओं की संख्या में लगभग दोगुना का इजाफा बताया जा रहा है। बढ़ोतरी वाले मतदाताओं का वर्ष 2003 का मतदाता रिकाॅर्ड खंगालना कठिन हो गया है। आसपास के लोग भी एक दूसरे के बारे में कुछ नहीं बता पा रहे हैं। कुछ ऐसे भी मतदाता पाए जा रहे हैं, जिनके घरों पर ताला लगा हुआ है।
एसआईआर के दौरान करीब 288000 मतदाताओं का सर्वे के दौरान आवश्यक प्रपत्र नहीं मिल सका है। उनका पुन: सत्यापन करने के लिए टीमें लगाई गई है। -दिनश कुमार, एडीएम, गाजीपुर।