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Premanand ji Maharaj: टेस्ट क्रिकेट से संन्यास के बाद संत प्रेमानंद से मिले विराट-अनुष्का, इस विषय में हुई बात
संवाद न्यूज एजेंसी, मथुरा
Published by: धीरेन्द्र सिंह
Updated Tue, 13 May 2025 02:35 PM IST
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सार
Virat Kohli Reach Vrindavan: टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लेने के अगले दिन वृंदावन पहुंचे विराट कोहली ने वृंदावन पहुंचे। उनके साथ पत्नी अनुष्का शर्मा भी मौजूद रहीं। उन्होंने संत प्रेमानंद महाराज से आशीर्वाद लिया।

विराट कोहली और अनुष्का शर्मा
- फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी

विस्तार
Vrindavan News: क्रिकेटर विराट कोहली और उनकी पत्नी, बॉलीवुड अभिनेत्री अनुष्का शर्मा मंगलवार सुबह वृंदावन पहुंचे। यहां उन्होंने श्रीराधे हित केली कुंज आश्रम में संत प्रेमानंद महाराज से भेंट की। इस दौरान दोनों ने संत महाराज से आशीर्वाद लिया और आध्यात्मिक चर्चा में भाग लिया।
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संत प्रेमानंद महाराज ने कहा कि हम अपने प्रभु का विधान बताते हैं। जब प्रभु किसी पर कृपा करते हैं, ये वैभव मिलना कृपा नहीं है। ये पुण्य है। ये वैभव बढ़ना, यश बढ़ना भगवान की कृपा नहीं मानी जाती है। भगवान की कृपा मानी जाती है अंदर का चिंतन बदलना। जिससे आपके अनंत जन्मों के संस्कार भष्म होकर, अगला जो होगा, वो उत्तम होगा।
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संत प्रेमानंद महाराज ने समझाया कि अंदर का चिंतन बन गया बह्यमुखी यानि बाहर। बाहर यश, कीर्ति, लाभ और विजय से सुख मिलता है। भगवान जब कृपा करते हैं, तो संत समागम देते हैं। दूसरी जब कृपा होती है, तो विपरीतिता देते हैं। फिर अंदर से एक रास्ता देते हैं कि ये मेरा रास्ता है। ये परम शांति का रास्ता है। भगवान वो रास्ता देते हैं और जीव को अपने पास बुला लेते हैं।
संत प्रेमानंद महाराज ने आगे कहा कि बिना प्रतिकूलता के संसार का राग नष्ट नहीं होता है। किसी को भी वैराग्य होता है, तो संसार की प्रतिकूलता देखकर होता है। सबकुछ हमारे अनुकूल है, तो हम आनंदित होकर उसका भोग करते हैं। जब हमारे अंदर प्रतिकूलता आती है, तब सोचते हैं कि इतना झूठा संसार है। तो अंदर से भगवान रास्ता देते हैं। कि ये सही है। भगवान बिना प्रतिकूलता के इस संसार को छुड़ाने का कोई अवसर नहीं देते हैं। आज तक जितने महान संत हुए हैं और उनका जीवन बदला है, तो प्रतिकूलता का दर्शन कर बदला है।
बता दें विराट कोहली ने हाल ही में टेस्ट क्रिकेट से संन्यास की घोषणा की थी, जिसके बाद यह उनकी पहली सार्वजनिक उपस्थिति मानी जा रही है। संन्यास के बाद सीधे आध्यात्मिक शांति की तलाश में वह वृंदावन पहुंचे।