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मानसखंड विज्ञान केंद्र में बनेगा कार्बन क्रेडिट मूल्यांकन सेल : प्रोफेसर पंत
संवाद न्यूज एजेंसी, अल्मोड़ा
Updated Thu, 11 Sep 2025 11:37 PM IST
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अल्मोड़ा। मानसखंड विज्ञान केंद्र सुनौला स्यालीद्धार अल्मोड़ा में वन पंचायतों के सशक्तिकरण विषय पर बृहस्पतिवार को आयोजित कार्यशाला में प्रतिष्ठित वैज्ञानिकों, शिक्षाविदों, पर्यावरणविदों और प्रशासनिक अधिकारियों ने भाग लिया।
यूकॉस्ट के महानिदेशक प्रो. दुर्गेश पंत ने नॉन टिंबर फारेस्ट के आकलन के लिए तकनीक के इस्तेमाल की बात कही। उन्होंने कहा कि मानसखंड विज्ञान केंद्र अल्मोड़ा में कार्बन क्रेडिट मूल्यांकन सेल की स्थापना की जाएगी। इससे पूरे क्षेत्र के वनों के कार्बन क्रेडिट का मूल्यांकन होगा। उन्होंने वन पंचायतों को और मजबूत किए जाने और जिले स्तर पर कार्बन क्रेडिट का डैशबोर्ड बनाने के लिए कहा।
एमकेएससी अल्मोड़ा के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. जी सी एस नेगी ने बताया कि वैश्विक स्तर पर कार्बन क्रेडिट की मांग बढ़ रही है और उत्तराखंड जैसे पहाड़ी राज्यों की वन पंचायतें इसमें महत्वपूर्ण योगदान दे सकती है। यदि स्थानीय समुदाय संगठित होकर वैज्ञानिक पद्धति से वनों का संरक्षण करते हैं तो वे कार्बन क्रेडिट अर्जित कर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजार से आय प्राप्त कर सकते हैं।
वहां मुख्य अतिथि पूर्व कुलपति हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विवि प्रो. एसपी सिंह, विशिष्ट अतिथि डीएफओ सिविल सोयम, डीएफओ प्रदीप धौलाखंडी, एसएसजे विवि के कुलपति प्रो. सतपाल सिंह बिष्ट, पूर्व निदेशक वन्यजीव संस्थान देहरादून मुख्य अतिथि डॉ. जीएस रावत, पद्मश्री अनूप शाह, प्रख्यात पर्यावरणविद तथा आईडी भट्ट,एमकेएससी के वैज्ञानिक प्रभारी डॉ. नवीन चंद्र जोशी , जीबी पंत संस्थान के वैज्ञानिक आशीष पांडे, स्पर्द्धा संस्था के दीप बिष्ट सहित कई लोग मौजूद रहे।

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यूकॉस्ट के महानिदेशक प्रो. दुर्गेश पंत ने नॉन टिंबर फारेस्ट के आकलन के लिए तकनीक के इस्तेमाल की बात कही। उन्होंने कहा कि मानसखंड विज्ञान केंद्र अल्मोड़ा में कार्बन क्रेडिट मूल्यांकन सेल की स्थापना की जाएगी। इससे पूरे क्षेत्र के वनों के कार्बन क्रेडिट का मूल्यांकन होगा। उन्होंने वन पंचायतों को और मजबूत किए जाने और जिले स्तर पर कार्बन क्रेडिट का डैशबोर्ड बनाने के लिए कहा।
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एमकेएससी अल्मोड़ा के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. जी सी एस नेगी ने बताया कि वैश्विक स्तर पर कार्बन क्रेडिट की मांग बढ़ रही है और उत्तराखंड जैसे पहाड़ी राज्यों की वन पंचायतें इसमें महत्वपूर्ण योगदान दे सकती है। यदि स्थानीय समुदाय संगठित होकर वैज्ञानिक पद्धति से वनों का संरक्षण करते हैं तो वे कार्बन क्रेडिट अर्जित कर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजार से आय प्राप्त कर सकते हैं।
वहां मुख्य अतिथि पूर्व कुलपति हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विवि प्रो. एसपी सिंह, विशिष्ट अतिथि डीएफओ सिविल सोयम, डीएफओ प्रदीप धौलाखंडी, एसएसजे विवि के कुलपति प्रो. सतपाल सिंह बिष्ट, पूर्व निदेशक वन्यजीव संस्थान देहरादून मुख्य अतिथि डॉ. जीएस रावत, पद्मश्री अनूप शाह, प्रख्यात पर्यावरणविद तथा आईडी भट्ट,एमकेएससी के वैज्ञानिक प्रभारी डॉ. नवीन चंद्र जोशी , जीबी पंत संस्थान के वैज्ञानिक आशीष पांडे, स्पर्द्धा संस्था के दीप बिष्ट सहित कई लोग मौजूद रहे।