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Champawat News: सुविधाओं की टूटी आस, कोट अमोड़ी छोड़ गए 300 से अधिक परिवार

संवाद न्यूज एजेंसी, चम्पावत Updated Tue, 25 Nov 2025 10:45 PM IST
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Hopes for amenities dashed, over 300 families leave Kot Amodi
 ग्राम पंचायत कोट अमोड़ी। संवाद
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चंपावत। पहाड़ों में मूलभूत सुविधाओं के अभाव में गांवों से परिवाराें के पलायन का सिलसिला जारी है। जिले के ग्राम पंचायत कोट अमोड़ी में 300 से अधिक परिवार पलायन कर चुके हैं। गांव में घरों पर लटके ताले और छाई वीरानी पलायन की तस्वीर बयां कर रहे हैं।
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ग्राम पंचायत में दो दशक पहले 400 से अधिक परिवार रहा करते थे। लगातार पलायन के बाद वहां 100 परिवार बचे हुए हैं। परिवारों के पलायन से गांव में चहल-पहल कम हो गई है। जंगली जानवरों का आतंक बढ़ गया है। ग्राम पंचायत में शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क जैसी मूलभूत सुविधाओं का अभाव है। यहां केवल आठवीं कक्षा तक ही पढ़ाई की ही सुविधा है। बच्चों को आगे की पढ़ाई के लिए पांच किलोमीटर दूर अमोड़ी या फिर चंपावत, टनकपुर जाना पड़ता है। बीमारी छोटी हो या बड़ी, ग्रामीणों को इलाज के लिए जिला अस्पताल पर निर्भर रहना पड़ता है।
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बुनियादी सुविधाएं नहीं होने से लोग अपना पुश्तैनी घर छोड़ने के लिए मजबूर हैं। गांव में किसी भी प्रकार की दुकान न होने के कारण रोजमर्रा की छोटी-छोटी जरूरतों के लिए भी लंबा सफर तय करना पड़ता है।

दो दशक पहले खेतों में होती थी उपज, अब सब चौपट

कोट अमोड़ी में दो दशक पहले धान, गेहूं, अदरक, गडेरी और गहत की अच्छी पैदावार होती थी। गांव में सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधाएं न होने और जंगली जानवरों के आतंक के कारण लोगों पर इसका सीधा असर पड़ रहा है। गांव के करीब सभी लोगों ने खेती करना छोड़ दिया है। अब कुछ ही लोग थोड़ी बहुत खेती करते हैं।
लोगों का दर्द

अमोड़ी में सड़क न होने से यहां के लोग सबसे ज्यादा परेशान हैं। कई बार बीमार को ग्रामीणों को डोली पर पांच किमी पैदल चलकर मुख्य सड़क तक पंहुचाना पड़ता है। इससे मरीज की जान आफत में आ जाती है। इससे कई लोगों ने बाजारों की ओर पलायन कर लिया है। - गोविंद भट्ट, ग्रामीण

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गांव के युवाओं को आठवीं पास के बाद पांच किलोमीटर पैदल चलकर पढ़ाई के लिए अमोड़ी जाना पड़ता है। इससे लोग बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए गांव छोड़ रहे हैं। गांव में मूलभूत सुविधा नहीं होने कारण ग्रामीण मजबूरी में गांव छोड़ रहे हैं। -बालकृष्ण भट्ट, ग्रामीण
कोट
मुख्यमंत्री पलायन रोकथाम योजना के तहत पलायन प्रभावित गांवों में निवासरत परिवारों, बेरोजगार युवाओं, रिवर्स माइग्रेंट्स आदि को स्वरोजगार के अवसर उपलब्ध कराने का काम किया जा रहा है। वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम के तहत कुछ गांव चयनित किए गए हैं। रोजगार आधारित योजनाओं का लाभ देकर पलायन रोकने का काम किया जा रहा है। - डॉ. जीएस खाती, सीडीओ चंपावत।
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