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Kotdwar News: जयहरीखाल–गुमखाल मार्ग पर काट डाले बांज के कई पेड़, लोगों में आक्रोश
संवाद न्यूज एजेंसी, कोटद्वार
Updated Mon, 08 Dec 2025 05:52 PM IST
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विरोध में रातभर धरने पर बैठे रहे ग्रामीण, उठाई कार्रवाई की मांग
एसडीएम ने किया मौका मुआयना
जयहरीखाल। जयहरीखाल और गुमखाल के बीच पौखाल से कुछ दूरी पर लैंसडौन वन प्रभाग के अंतर्गत दबंगों ने बांज के कई पेड़ काट डाले। इसकी जानकारी होने पर क्षेत्रवासियों में रोष है। ग्रामीणों ने पूरी रात पेड़ कटान स्थल पर ही धरना दिया और सुबह एसडीएम से मामले में कार्रवाई की मांग की।
उत्तराखंड में बांज वृक्ष का कटान उत्तर प्रदेश वृक्ष संरक्षण अधिनियम 1976 और भारतीय वन अधिनियम 1927 के तहत दंडनीय अपराध है। बांज के पेड़ों की विशेषता यह है कि यह जल संरक्षण, मिट्टी धारण और पारिस्थितिकी संतुलन बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। रविवार रात ग्रामीणों को जयहरीखाल-गुमखाल के बीच बांज के पेड़ काटे जाने की जानकारी मिली तो उनमें रोष गया।
बड़ी संख्या में ग्रामीण रात ही मौके पर पहुंच गए। बांज के पेड़ काटे जाने पर आक्रोश व्यक्त करते हुए ग्रामीण धरने पर बैठ गए। ग्रामीणों ने कहा कि बांज वृक्ष पहाड़ के जलस्रोतों हैं। इन पेड़ों का कटान पूरे क्षेत्र के लिए बड़ा खतरा है। महिलाओं का कहना था कि पिछले कुछ समय से जंगल में पेड़ों की चोरी तेज हुई है जिससे लोगों में आक्रोश है। ग्रामीणों ने निर्णय लिया कि जब तक कोई प्रशासनिक अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचता वे धरने से नहीं हटेंगे।
सोमवार सुबह से ही ग्राम प्रधान औडल रेखा देवी, क्षेत्र पंचायत सदस्य मीना देवी, बीडीसी शशि बिष्ट, विजयलक्ष्मी, भगवती देवी, रजनी देवी, दीपक बौठियाल, विजय सिंह गुसाईं, विनोद नेगी, मंदीप पड़वाल मौके पर मौजूद रहे। ग्रामीण प्रशासन एवं वन विभाग की ओर से संयुक्त रूप से कार्रवाई किए जाने की मांग कर रहे थे। साथ ही चेतावनी दी कि अगर इस गंभीर मामले में त्वरित कार्रवाई नहीं की गई तो वे उग्र आंदोलन करेंगे।
मौके पर पहुंचीं एसडीएम, छानबीन शुरू
लैंसडौन की एसडीएम शालिनी मौर्य सोमवार दोपहर मौके पर पहुंचीं। ग्रामीणों ने उन्हें बताया कि फिलहाल 8 से 10 पेड़ कटे नजर आ रहे हैं। इनकी संख्या ज्यादा भी हो सकती है। एसडीएम ने लैंसडौन वन प्रभाग के कर्मचारियों को मौके पर बुलाया। उन्होंने ग्रामीणों को मामले की जांच कर कार्रवाई का आश्वासन दिया।
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एसडीएम ने किया मौका मुआयना
जयहरीखाल। जयहरीखाल और गुमखाल के बीच पौखाल से कुछ दूरी पर लैंसडौन वन प्रभाग के अंतर्गत दबंगों ने बांज के कई पेड़ काट डाले। इसकी जानकारी होने पर क्षेत्रवासियों में रोष है। ग्रामीणों ने पूरी रात पेड़ कटान स्थल पर ही धरना दिया और सुबह एसडीएम से मामले में कार्रवाई की मांग की।
उत्तराखंड में बांज वृक्ष का कटान उत्तर प्रदेश वृक्ष संरक्षण अधिनियम 1976 और भारतीय वन अधिनियम 1927 के तहत दंडनीय अपराध है। बांज के पेड़ों की विशेषता यह है कि यह जल संरक्षण, मिट्टी धारण और पारिस्थितिकी संतुलन बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। रविवार रात ग्रामीणों को जयहरीखाल-गुमखाल के बीच बांज के पेड़ काटे जाने की जानकारी मिली तो उनमें रोष गया।
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बड़ी संख्या में ग्रामीण रात ही मौके पर पहुंच गए। बांज के पेड़ काटे जाने पर आक्रोश व्यक्त करते हुए ग्रामीण धरने पर बैठ गए। ग्रामीणों ने कहा कि बांज वृक्ष पहाड़ के जलस्रोतों हैं। इन पेड़ों का कटान पूरे क्षेत्र के लिए बड़ा खतरा है। महिलाओं का कहना था कि पिछले कुछ समय से जंगल में पेड़ों की चोरी तेज हुई है जिससे लोगों में आक्रोश है। ग्रामीणों ने निर्णय लिया कि जब तक कोई प्रशासनिक अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचता वे धरने से नहीं हटेंगे।
सोमवार सुबह से ही ग्राम प्रधान औडल रेखा देवी, क्षेत्र पंचायत सदस्य मीना देवी, बीडीसी शशि बिष्ट, विजयलक्ष्मी, भगवती देवी, रजनी देवी, दीपक बौठियाल, विजय सिंह गुसाईं, विनोद नेगी, मंदीप पड़वाल मौके पर मौजूद रहे। ग्रामीण प्रशासन एवं वन विभाग की ओर से संयुक्त रूप से कार्रवाई किए जाने की मांग कर रहे थे। साथ ही चेतावनी दी कि अगर इस गंभीर मामले में त्वरित कार्रवाई नहीं की गई तो वे उग्र आंदोलन करेंगे।
मौके पर पहुंचीं एसडीएम, छानबीन शुरू
लैंसडौन की एसडीएम शालिनी मौर्य सोमवार दोपहर मौके पर पहुंचीं। ग्रामीणों ने उन्हें बताया कि फिलहाल 8 से 10 पेड़ कटे नजर आ रहे हैं। इनकी संख्या ज्यादा भी हो सकती है। एसडीएम ने लैंसडौन वन प्रभाग के कर्मचारियों को मौके पर बुलाया। उन्होंने ग्रामीणों को मामले की जांच कर कार्रवाई का आश्वासन दिया।