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Kotdwar News: आबादी के आसपास ही नजर आ रहे वन्यजीव, दहशत
संवाद न्यूज एजेंसी, कोटद्वार
Updated Mon, 08 Dec 2025 05:55 PM IST
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गढ़वाल वन प्रभाग की दीवा रेंज से सटे कई गांवों में लोग परेशान
कोटद्वार/धुमाकोट। आबादी वाले क्षेत्रों जड़ाऊखांद, संगलिया बिचला, संगलिया पल्ला, संगलिया वल्ला, ग्राम नाला, देलवाड़, कोचियार, कसाना में पिछले कुछ दिनों से गुलदार और बाघ की दहशत फैली है। वहीं, बंदरों के उत्पात से भी आमजन परेशान है। ग्रामीण क्षेत्र में पिंजरे रखवाने और वनकर्मियों की गश्त बढ़ाने की मांग कर रहे हैं।
गढ़वाल वन प्रभाग की दीवा रेंज से सटे गांवों में रह रहे परिवार इन दिनों काफी दहशत में हैं। ग्रामीणों का कहना है कि जंगली जानवर अब दिन में ही गांव की आबादी के आसपास नजर आ रहे हैं। ग्रामीण खेतों पर नहीं जा पा रहे हैं। महिलाएं पशुपालन का काम नहीं कर पा रही हैं और उनका घर से घास काटने के लिए जाना मुश्किल हो गया है। बच्चों को स्कूल भेजना काफी जोखिमभरा हो गया है।
ग्रामीणों का कहना है कि इस संबंध में वन विभाग के रेंजर सुभाष घिल्डियाल को फोन से सूचना दी गई है। ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं व अन्य ग्रामीणाें ने उन्हें स्पष्ट कर दिया कि पिछले कुछ दिनों से जंगली जानवर आबादी के आसपास मंडराते देखे जा रहे हैं। इन्हें जंगल की ओर खदेड़ने में वन विभाग के कर्मचारी सक्रियता नहीं दिखा रहे हैं। ग्रामीणों ने दो टूक कहा कि क्षेत्र में कोई अप्रिय घटना होती है, तो सरकार और स्थानीय प्रशासन इसका जिम्मेदार होगा।
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-बोले क्षेत्रीय ग्रामीण
- गुलदार अथवा बाघ को पकड़ने के लिए पिंजरा लगाने की मांग की जा रही है, लेकिन अब तक पिंजरे नहीं लगाए गए हैं। -दिलबर सिंह रावत
- बाघ और गुलदार अलग-अलग जगहों पर कई ग्रामीणों की जान ले चुके हैं। क्षेत्र में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम करने होंगे। -भूपेंद्र सिंह रावत
- जंगली जानवराें के अलावा बंदर-लंगूर का उत्पात भी चरम पर है। ये घरेलू सामान को काफी नुकसान पहुंचा रहे हैं। -धीरेंद्र सिंह रावत
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कोटद्वार/धुमाकोट। आबादी वाले क्षेत्रों जड़ाऊखांद, संगलिया बिचला, संगलिया पल्ला, संगलिया वल्ला, ग्राम नाला, देलवाड़, कोचियार, कसाना में पिछले कुछ दिनों से गुलदार और बाघ की दहशत फैली है। वहीं, बंदरों के उत्पात से भी आमजन परेशान है। ग्रामीण क्षेत्र में पिंजरे रखवाने और वनकर्मियों की गश्त बढ़ाने की मांग कर रहे हैं।
गढ़वाल वन प्रभाग की दीवा रेंज से सटे गांवों में रह रहे परिवार इन दिनों काफी दहशत में हैं। ग्रामीणों का कहना है कि जंगली जानवर अब दिन में ही गांव की आबादी के आसपास नजर आ रहे हैं। ग्रामीण खेतों पर नहीं जा पा रहे हैं। महिलाएं पशुपालन का काम नहीं कर पा रही हैं और उनका घर से घास काटने के लिए जाना मुश्किल हो गया है। बच्चों को स्कूल भेजना काफी जोखिमभरा हो गया है।
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ग्रामीणों का कहना है कि इस संबंध में वन विभाग के रेंजर सुभाष घिल्डियाल को फोन से सूचना दी गई है। ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं व अन्य ग्रामीणाें ने उन्हें स्पष्ट कर दिया कि पिछले कुछ दिनों से जंगली जानवर आबादी के आसपास मंडराते देखे जा रहे हैं। इन्हें जंगल की ओर खदेड़ने में वन विभाग के कर्मचारी सक्रियता नहीं दिखा रहे हैं। ग्रामीणों ने दो टूक कहा कि क्षेत्र में कोई अप्रिय घटना होती है, तो सरकार और स्थानीय प्रशासन इसका जिम्मेदार होगा।
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-बोले क्षेत्रीय ग्रामीण
- गुलदार अथवा बाघ को पकड़ने के लिए पिंजरा लगाने की मांग की जा रही है, लेकिन अब तक पिंजरे नहीं लगाए गए हैं। -दिलबर सिंह रावत
- बाघ और गुलदार अलग-अलग जगहों पर कई ग्रामीणों की जान ले चुके हैं। क्षेत्र में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम करने होंगे। -भूपेंद्र सिंह रावत
- जंगली जानवराें के अलावा बंदर-लंगूर का उत्पात भी चरम पर है। ये घरेलू सामान को काफी नुकसान पहुंचा रहे हैं। -धीरेंद्र सिंह रावत