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Kotdwar News: शीतकाल में बढ़ा वन्यजीव संघर्ष का खतरा, केटीआर–सीटीआर में गश्त तेज
संवाद न्यूज एजेंसी, कोटद्वार
Updated Mon, 24 Nov 2025 07:47 PM IST
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कोटद्वार से सटे केटीआर के जंगलों में गश्त करते वन कर्मी।स्रोत: वन विभाग
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कोटद्वार/कालागढ़। शीतकाल के साथ वन्यजीव संघर्ष की घटनाएं बढ़ने की आशंका को देखते हुए कालागढ़ टाइगर रिजर्व (केटीआर) और कार्बेट टाइगर रिजर्व (सीटीआर) में वन विभाग ने गश्त तेज कर दी है। जंगलों से सटे क्षेत्रों में ग्रामीणों को बाघ और गुलदार के हमलों के प्रति सचेत किया जा रहा है और जंगलों से दूरी बनाए रखने की सलाह दी जा रही है।
केटीआर के डीएफओ तरुण एस और एसीएफ अनामिका बुक्करवाल ने बताया कि सर्दियों में संघर्ष की घटनाएं बढ़ जाती हैं, इसलिए सभी रेंजों में निगरानी बढ़ा दी गई है। कालागढ़, झिरना और ढेला रेंज के ग्रामीण सर्दियों में चारा और जलौनी लकड़ी के लिए जंगल की ओर जाते हैं, जिससे खतरा बढ़ जाता है।
उप प्रभागीय वनाधिकारी बिंदरपाल के अनुसार, इन दिनों बाघ का प्रजनन काल शुरू होता है, जिसके दौरान उनका व्यवहार आक्रामक हो सकता है। इसी कारण जंगल सीमाओं पर सुरक्षा कड़ी की गई है और गश्ती दलों को ग्रामीणों को जंगल में प्रवेश से रोकने के निर्देश दिए गए हैं।
वन विभाग ने लोगों से सहयोग की अपील करते हुए कहा कि केटीआर और सीटीआर की सभी रेंजों को अलर्ट मोड पर रखा गया है।
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केटीआर के डीएफओ तरुण एस और एसीएफ अनामिका बुक्करवाल ने बताया कि सर्दियों में संघर्ष की घटनाएं बढ़ जाती हैं, इसलिए सभी रेंजों में निगरानी बढ़ा दी गई है। कालागढ़, झिरना और ढेला रेंज के ग्रामीण सर्दियों में चारा और जलौनी लकड़ी के लिए जंगल की ओर जाते हैं, जिससे खतरा बढ़ जाता है।
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उप प्रभागीय वनाधिकारी बिंदरपाल के अनुसार, इन दिनों बाघ का प्रजनन काल शुरू होता है, जिसके दौरान उनका व्यवहार आक्रामक हो सकता है। इसी कारण जंगल सीमाओं पर सुरक्षा कड़ी की गई है और गश्ती दलों को ग्रामीणों को जंगल में प्रवेश से रोकने के निर्देश दिए गए हैं।
वन विभाग ने लोगों से सहयोग की अपील करते हुए कहा कि केटीआर और सीटीआर की सभी रेंजों को अलर्ट मोड पर रखा गया है।