सब्सक्राइब करें
Hindi News ›   Uttarakhand ›   Nainital News ›   Hemraj Singh Bohra is visually impaired since birth and is teaching music to visually impaired and disabled

UK: दिव्यांगता को हराकर संगीत बनाया जीवन का सहारा, अब दूसरों को सिखा रहे सुर-ताल; जानें कौन हैं हेमराज बोहरा?

अमित गंगोला Published by: हीरा मेहरा Updated Wed, 03 Dec 2025 12:35 PM IST
सार

हेमराज सिंह बोहरा (45) जन्म से दृष्टिबाधित हैं। वाद्य यंत्रों में विशारद ले चुके हेमराज गौलापार स्थित नेशनल एसोसिएशन फॉर द ब्लाइंड (नैब) में दृष्टिबाधित और दिव्यांगों को संगीत की शिक्षा दे रहे हैं। 

विज्ञापन
Hemraj Singh Bohra is visually impaired since birth and is teaching music to visually impaired and disabled
हेमराज सिंह बाेहरा। - फोटो : अमर उजाला
विज्ञापन

विस्तार
Follow Us

शारीरिक रूप से दिव्यांग होने के बावजूद समाज में कई ऐसे व्यक्ति भी हैं जो अपनी मजबूत इच्छाशक्ति, आत्मविश्वास और कड़ी मेहनत से समाज में प्रेरणादायक उदाहरण स्थापित कर रहे हैं। इनमें कोई खेल के क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर रहा है तो किसी ने संगीत और शिक्षा के माध्यम से पहचान बनाई। युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत बने ये लोग यही संदेश देते हैं कि चुनौतियां चाहे कितनी भी बड़ी क्यों न हों यदि मन में दृढ़ निश्चय हो तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं होता। 

Trending Videos

 

स्याह जिंदगी में संगीत से भरे रंग
हेमराज सिंह बोहरा (45) जन्म से दृष्टिबाधित हैं। वाद्य यंत्रों में विशारद ले चुके हेमराज गौलापार स्थित नेशनल एसोसिएशन फॉर द ब्लाइंड (नैब) में दृष्टिबाधित और दिव्यांगों को संगीत की शिक्षा दे रहे हैं। मूलरूप से खेतीखान (चंपावत) निवासी हेमराज को दिव्यांगता ने बचपन में ही पढ़ाई और साथियों से अलग कर दिया। उनके ताऊ लक्ष्मण सिंह बोहरा ने उन्हें दृष्टिबाधित विद्यालय लखनऊ भेजा। वहां से उन्होंने 12वीं तक की पढ़ाई की। संगीत में रुचि होने के कारण शिक्षक ने उन्हें इसी क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया तो उन्होंने चित्रकूट में पांच साल तक हारमोनियम और तबला वादन सीखा। वह किसी भी व्यक्ति की आवाज सुन और उसको स्पर्श कर उसे महीनों बाद भी पहचान लेते हैं।

विज्ञापन
विज्ञापन


फौजी बनने का सपना टूटा तो शिक्षक बन प्रेरित कर रहे
विजयपुर (बागेश्वर) के ढपटी गांव के हीरा सिंह धामी केंद्रीय विद्यालय में शिक्षक हैं। चार वर्ष की उम्र में वह हाई वोल्टेज लाइन की चपेट में आ गए। इसकी सूचना मिलते ही उनकी दादी की मौत हो गई। ऐसे में वह करीब सात-आठ दिन बिना समुचित उपचार के गांव में रहे। बुजुर्गों की सलाह पर परिजन उन्हें हल्द्वानी लाए। यहां डॉक्टरों ने दोनों हाथ काटने की बात कही। इसके बाद फौजी ताऊ उन्हें दिल्ली ले गए। तब तक देर हो चुकी थी। ऑपरेशन के दौरान डॉक्टरों को उनका दायां हाथ काटना पड़ा। इससे उनका सेना में जाने का सपना टूट गया। उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। इंटरमीडिएट के बाद उन्होंने आईटीआई में डाटा एंट्री और शॉर्टहैंड का कोर्स किया। गांव में बच्चों को ट्यूशन पढ़ाया। पीआरडी में भी नौकरी की। कठिन परिश्रम के बाद उन्हें केंद्रीय विद्यालय बागेश्वर में तैनात मिली।

पैर से दिव्यांग लेकिन स्मैश बेहद दमदार
नैनीताल के गौरव सिंह नयाल एक पैर से दिव्यांग है। बचपन में पिता को बैडमिंटन खेलते देख उनके मन में भी शटलर बनने के ख्वाब ने जन्म लिया। शुरू में दिक्कतें हुईं लेकिन फिर हौसले के आगे दिव्यांगता नतमस्तक हो गई। जुनून इस कदर हावी हुआ कि रोजाना सुबह पांच बजे वह नैनीताल से हल्द्वानी पहुंचकर अभ्यास करते और उसके बाद अपनी नौकरी पर जाते। जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में शानदार प्रदर्शन करने के बाद मिश्र में हुई अंतररराष्ट्रीय स्पर्धा में उन्होंने एसएल 3 कैटेगरी में भारत का प्रतिनिधित्व किया। बैडमिंटन में महत्वपूर्ण योगदान के लिए राज्य सरकार ने वर्ष 2023 में उत्कृष्ट दिव्यांग खिलाड़ी के रूप में उन्हें सम्मानित किया। वर्तमान में वह नैनीताल में खेल विभाग की ओर से बच्चों को अभ्यास करा रहे हैं।

 

विज्ञापन
विज्ञापन

रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News App, iOS Hindi News App और Amarujala Hindi News APP अपने मोबाइल पे|
Get all India News in Hindi related to live update of politics, sports, entertainment, technology and education etc. Stay updated with us for all breaking news from India News and more news in Hindi.

विज्ञापन
विज्ञापन

एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें

Next Article

Election
एप में पढ़ें

Followed