UK: पहली बार सीटीआर में नजर आई दुर्लभ हॉफिंच, झुंड से बिछड़कर यहां पहुंचने की संभावना; ये है पक्षी की खासियत
कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में पहली बार यूरोप, पूर्वी एशिया और उत्तरी अफ्रीका में पाई जाने वाली चिड़िया हॉफिंच नजर आई है। इसके सीटीआर में दिखाई देने से वनाधिकारी और पक्षी प्रेमी उत्साहित होने के साथ ही हैरत में भी हैं।
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कॉर्बेट टाइगर रिजर्व (सीटीआर) में पहली बार यूरोप, पूर्वी एशिया और उत्तरी अफ्रीका में पाई जाने वाली चिड़िया हॉफिंच नजर आई है। इसके सीटीआर में दिखाई देने से वनाधिकारी और पक्षी प्रेमी उत्साहित होने के साथ ही हैरत में भी हैं। संभावना है कि झुंड में रहने वाला यह पक्षी बिछड़कर यहां पहुंच गया होगा। बहरहाल हॉफिंच की मौजूदगी के बाद सीटीआर (कॉर्बेट टाइगर रिजर्व) ने इस पक्षी को कॉर्बेट में पाई जाने वाली पक्षियों की प्रजाति में शामिल करने का फैसला किया है।
23 नवंबर को रामनगर के फोटोग्राफर प्रशांत कुमार ने ढेला जोन में जंगल सफारी के दौरान शिकारी कुएं के पास हॉफिंच पक्षी को अपने कैमरे में कैद किया। उन्होंने बताया कि देश में इस पक्षी को पहली बार देखा है। बताया कि यह पक्षी अधिक ठंडे इलाके में रहना पसंद करते हैं। इसके चलते यह यूरोप व उत्तरी व पश्चिमी एशिया के क्षेत्रों में मिलता है। यह चिड़िया इन दिनों लगातार ढेला रेंज के आसपास दिखाई दे रही है। प्रशांत के मुताबिक यह पक्षी झुंड में रहते हैं।
दो बार पीओके में दिखाई दी है हॉफिंच
प्रशांत कुमार बताते हैं कि हॉफिंच पक्षी इससे पूर्व केवल दो बार पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) में दिखाई दी है। वर्ष 1908 में मुजफ्फराबाद और वर्ष 2017 में अलियाबाद में यह दिखाई दी है।
ये होती है खासियत
हॉफिंच एक मजबूत पक्षी है जिसकी लंबाई लगभग 18 सेमी और पंखों का फैलाव 29 से 33 सेमी तक होता है। यह मुख्य रूप से कठोर बीज, जामुन खाती है। नर और मादा दोनों के पंखों का रंग अलग-अलग होता है इनमें नर का पंख थोड़ा गहरा होता है।
यह पक्षी पूरे यूरोप और समशीतोष्ण एशिया में प्रजनन करता है। यह मुख्यतः यूरोप में ही रहता है लेकिन कई एशियाई पक्षी सर्दियों में दक्षिण की ओर पलायन कर जाते हैं। अलास्का के पश्चिमी द्वीपों में मिलने वाला यह एक दुर्लभ घूमंतू पक्षी है।
- दीप रजवार, वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर, रामनगर
सीटीआर में पहली बार हॉफिंच दिखाई देने से पक्षी प्रेमियों में उत्साह है। पहले यह पक्षी केवल दो बार पीओके में दिखाई दिया है। इस पक्षी को कॉर्बेट में मिलने वाली पक्षियों की प्रजाति में शामिल किया जाएगा।
- डॉ. साकेत बडोला, निदेशक, सीटीआर