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Uttarakhand: हाईकोर्ट ने चीनी नागरिकों के मामले को दुभाषिया न मिलने के आधार पर रद्द किया, दिए ये निर्देश
अमर उजाला नेटवर्क, नैनीताल
Published by: हीरा मेहरा
Updated Wed, 19 Nov 2025 11:09 AM IST
सार
उत्तराखंड हाईकोर्ट ने चीनी नागरिकों के खिलाफ आपराधिक मामला इस आधार पर रद्द कर दिया कि उन्हें कोर्ट की भाषा न आने के कारण मुकदमे के दौरान दुभाषिया उपलब्ध नहीं कराया गया था।
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उत्तराखंड हाईकोर्ट
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने कहा कि यदि आरोपित कोर्ट की भाषा न जानता हो तो उसे आरोप समझाने के लिए दुभाषिया जरूरी है। कोर्ट ने इस आधार पर चार चीनी नागरिकों के खिलाफ चल रहे आपराधिक मामले को रद्द कर दिया। अदालत ने मामले को दोबारा शुरू करने और अनिवार्य रूप से दुभाषिया उपलब्ध कराने के लिए कहा।
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कहा कि ट्रायल में एक मौलिक त्रुटि हुई है जिसने पूरे मुकदमे को अवैध बना दिया। न्यायमूर्ति आशीष नैथानी के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। चार चीनी नागरिक जिनचोग लिआओ और तीन अन्य 2019 में बनबसा क्षेत्र में सीमा पर जांच के दौरान पकड़े गए थे। उन पर आरोप था कि उन्होंने बिना वैध दस्तावेज के भारत में प्रवेश किया था। उन पर कई धाराओं में प्राथमिकी दर्ज की गई थी। इनमें कुछ से उन्हें बरी कर दिया था और कुछ में दोषी करार दिया गया। सेशन कोर्ट ने भी फैसला बरकरार रखा। फिर आरोपियों ने हाईकोर्ट में रिविजन दायर किया।
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हाईकोर्ट ने पाया कि ट्रायल कोर्ट ने रिकॉर्ड किया था कि आरोपी अंग्रेजी-हिंदी नहीं जानते। केवल चीनी भाषा समझते हैं। आरोप बिना किसी दुभाषिए के फ्रेम किए गए। कोर्ट ने कहा कि यदि आरोपी आरोप नहीं समझ सकता तो पूरा ट्रायल ही निरर्थक हो जाता है। इसे बाद में सुधारा नहीं जा सकता। बाद में दुभाषिया लाना गलती को ठीक नहीं कर सकता।