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Pauri News: भारतीय भाषा परिवार की अवधारणा अपनाने पर दिया जोर
संवाद न्यूज एजेंसी, पौड़ी
Updated Sun, 21 Dec 2025 07:33 PM IST
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गढ़वाल विवि के चौरास में हुई राष्ट्रीय संगोष्ठी
संवाद न्यूज एजेंसी
श्रीनगर। भारतीय भाषा समिति नई दिल्ली एवं हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विवि के हिंदी विभाग की ओर से भारतीय भाषा परिवार की अवधारणा पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी हुई। चौरास परिसर में हुई गोष्ठी में मुख्य अतिथि प्रो. रमेश चंद्र शर्मा ने भारतीय भाषाओं के अध्ययन के लिए पाश्चात्य सिद्धांतों के स्थान पर भारतीय भाषा परिवार की अवधारणा अपनाने पर जोर दिया। कुलपति प्रो. श्रीप्रकाश सिंह ने भारतीय भाषाओं में निहित सांस्कृतिक और भावनात्मक एकता को रेखांकित करते हुए शोधार्थियों से इस नई अवधारणा को अपने शोध का आधार बनाने का आह्वान किया।
विभिन्न सत्रों में प्रो. मृदुल जोशी, प्रो. राजीव अग्रवाल, प्रो. सुधीर प्रताप सिंह, डॉ. सुशील कोटनाला, प्रो. रचना विमल, प्रो. अमित कुमार जायसवाल एवं प्रो. अरविंद कुमार अवस्थी ने भारतीय भाषाओं, भाषाविज्ञान आदि पर विचार रखे। द्वितीय दिवस का शुभारंभ गढ़वाली मंगलाचरण से हुआ। संगोष्ठी में उत्तराखंड सहित देशभर से आए शिक्षकों, विद्वानों एवं शोधार्थियों ने शोध पत्र प्रस्तुत किए। प्रो. रमेश चंद्र शर्मा ने विवि में स्वतंत्र भाषाविज्ञान विभाग की आवश्यकता पर बल दिया। समन्वयक प्रो. गुड्डी बिष्ट पंवार ने भी विचार रखे।
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श्रीनगर। भारतीय भाषा समिति नई दिल्ली एवं हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विवि के हिंदी विभाग की ओर से भारतीय भाषा परिवार की अवधारणा पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी हुई। चौरास परिसर में हुई गोष्ठी में मुख्य अतिथि प्रो. रमेश चंद्र शर्मा ने भारतीय भाषाओं के अध्ययन के लिए पाश्चात्य सिद्धांतों के स्थान पर भारतीय भाषा परिवार की अवधारणा अपनाने पर जोर दिया। कुलपति प्रो. श्रीप्रकाश सिंह ने भारतीय भाषाओं में निहित सांस्कृतिक और भावनात्मक एकता को रेखांकित करते हुए शोधार्थियों से इस नई अवधारणा को अपने शोध का आधार बनाने का आह्वान किया।
विभिन्न सत्रों में प्रो. मृदुल जोशी, प्रो. राजीव अग्रवाल, प्रो. सुधीर प्रताप सिंह, डॉ. सुशील कोटनाला, प्रो. रचना विमल, प्रो. अमित कुमार जायसवाल एवं प्रो. अरविंद कुमार अवस्थी ने भारतीय भाषाओं, भाषाविज्ञान आदि पर विचार रखे। द्वितीय दिवस का शुभारंभ गढ़वाली मंगलाचरण से हुआ। संगोष्ठी में उत्तराखंड सहित देशभर से आए शिक्षकों, विद्वानों एवं शोधार्थियों ने शोध पत्र प्रस्तुत किए। प्रो. रमेश चंद्र शर्मा ने विवि में स्वतंत्र भाषाविज्ञान विभाग की आवश्यकता पर बल दिया। समन्वयक प्रो. गुड्डी बिष्ट पंवार ने भी विचार रखे।
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