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Pithoragarh News: ग्रामीणों के हिस्से की सड़कें गड्ढों में गुम
संवाद न्यूज एजेंसी, पिथौरागढ़
Updated Sat, 13 Sep 2025 10:31 PM IST
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गंगोलीहाट में गड्ढों से पटी नैनी-पव्वाधार सड़क। संवाद
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पिथौरागढ़। गांवों को विकास से जोड़ने के लिए करोड़ों रुपये खर्च कर सड़कें बनाई गईं लेकिन ग्रामीणों के हिस्से की यह खुशी यह ज्यादा दिन टिक नहीं सकी। सीमांत जिले की ज्यादातर ग्रामीण सड़कें कुछ साल में ही गड्ढों में तब्दील होकर ग्रामीणों का साथ छोड़ चुकी हैं। करोड़ों की लागत से डामर बिछाया गया लेकिन आज इन पर न तो वाहन चल सकते हैं और न ही ग्रामीण सुरक्षित पैदल चल पा रहे हैं।
सीमांत जिले में करीब 250 ग्रामीण सड़कें बनाई गई हैं। जांच में सामने आया कि इनमें से अधिकांश की हालत बेहद खराब है। डीडीहाट, धारचूला, पिथौरागढ़ और गंगोलीहाट सभी विधानसभा क्षेत्रों में सड़कों से डामर गायब है। संवाद न्यूज एजेंसी ने इन सड़कों की पड़ताल की तो हकीकत सामने आई। डीडीहाट विधानसभा क्षेत्र में करीब 30 से अधिक गांवों को जोड़ने के लिए बनी आदिचौरा-हुनेरा, डीडीहाट-दूनाकोट, देवलथल-कनालीछीना, कनालीछीना-पीपली, कनालीछीना-गोवत्सा, थल-पांखू-कोटमन्या सड़कों पर चार से पांच साल पूर्व डामर किया गया। वर्तमान में ये सड़कें गड्ढों से पटी हैं।
गंगोलीहाट विधानसभा में 50 से अधिक गांवों के लिए बनीं नैनी-पव्वाधार, ढूनी-चहज, चमडुंगरा-बुंगली सड़क पर डामर उखड़ने से गड्ढे बने हैं। हालात यह हैं कि गड्ढों में पानी भरने और इन्हें मिट्टी से पाटने से ये सड़कें कीचड़ में तब्दील हो गई हैं। इन पर पैदल चलना भी खतरे से खाली नहीं है। धारचूला विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत 15 से अधिक गांवों को जोड़ने के लिए बनी गड्ढों से पटीं बंगापानी-जाराजिबली, सेरा-सिरतोला, सेराघाट-लोद, सिलिंग-खर्तोली सड़कें भी बढ़ी आबादी के लिए सिरदर्द बनी हैं। यही हाल जिले की अन्य ग्रामीण सड़कों के भी हैं।
इन सड़कों के सुधारीकरण और इनमें डामर के नाम पर करोड़ों रुपये पानी की तरह बहा दिए गए। फिर भी ये सड़कें चलने योग्य नहीं हैं। स्थानीय लोगों ने बताया कि अधिकांश सड़कों पर चार या पांच साल पहले ही डामर किया गया। कुछ समय बाद ही डामर उखड़ा तो इनकी हालत खराब हो गई। ऐसे में सड़कों को बेहतर और गड्ढा मुक्त करने के दावे हवाई साबित हुए हैं और ये बदहाल सड़कें पूरे सिस्टम पर सवाल खड़े कर रही हैं। संवाद
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देवीसूना-गराली सड़क पर लगे भ्रष्टाचार के आरोप, वनराजियों को करना पड़ा आंदोलन
पिथौरागढ़। करीब तीन महीने पूर्व वनराजी गांव किरौली के साथ ही क्षेत्र के अन्य गांवों को जोड़ने के लिए देवीसूना-गराली सड़क पर डामरीकरण शुरू हुआ। तीन दिन के भीतर ही डामर उखड़ा तो क्षेत्र के वनराजियों ने जागरूकता दिखाते हुए गुणवत्ता पर सवाल उठाते हुए आंदोलन शुरू कर दिया। उनका आंदोलन रंग लाया और सिस्टम को इस सड़क पर दोबारा सोलिंग कर डामर करना पड़ा। वनराजियों ने आंदोलन कर सिस्टम पर सवाल उठाए तो उनकी जागरूकता से सड़क की हालत भी सुधरी।
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बच्चे नहीं पहुंच पा रहे स्कूल, मरीज पैदल पहुंच रहे हैं अस्पताल
पिथौरागढ़। नाचनी क्षेत्र में ऐसा भी मामला सामने आया है जहां सड़क की बदहाली के चलते विद्यार्थी स्कूल नहीं पहुंच पा रहे हैं और एंबुलेंस न पहुंचने से मरीज पैदल अस्पताल पहुंच रहे हैं। बांसबगड़-पोर्थी सड़क पर डामर तो नहीं हुआ है लेकिन यह वाहनों के संचालन योग्य भी नहीं बन सकी है। पूरी सड़क पर बड़े-बड़े गड्ढे होने और पहाड़ी दरकने से जूनियर हाईस्कूल और प्राथमिक विद्यालय में पढ़ने वाले क्षेत्र के गांवों के बच्चे घर पर बैठने के लिए मजबूर हैं। वहीं शिक्षकों का भी स्कूल पहुंचना मुश्किल हो रहा है। गांवों तक एंबुलेंस न पहुंचने से मरीज और गर्भवतियां कई किलोमीटर पैदल सफर कर अस्पताल पहुंच रहे हैं।
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बोले विधायक
सड़कों पर डामरीकरण में गुणवत्ता और मानकों का ध्यान नहीं रखा जा रहा है। यही कारण है कि मैंने खुद कई सड़कों पर निरीक्षण कर काम रोका और इसकी शिकायत की। सड़कों की बेहतरी के लिए क्षेत्र की जनता का जागरूक होना जरूरी है। यदि गुणवत्ता और मानकों की अनदेखी होती है तो क्षेत्र के लोग मुझसे इसकी शिकायत कर सकते हैं। मानकों की अनदेखी नहीं होने दी जाएगी। - बिशन सिंह चुफाल, विधायक, डीडीहाट
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निश्चित तौर पर सीमांत जिले में सड़कों की हालत दयनीय है। ऑलवेदर हो या ग्रामीण सबके बुरे हाल हैं। यह सिर्फ सरकार की उदासीनता का नतीजा है। मौजूदा सरकार में अधिकारी निरंकुश हो गए हैं। वैसे भी किसी गलती में शामिल अधिकारियों को ही दंड देने के लिए सीमांत जिले में भेजा जा रहा है। ऐसे अधिकारी कैसे जिले के विकास में अपनी भागीदारी निभाएंगे। साफ है कि खुद ही सरकार सीमांत जिले का विकास नहीं चाहती। हरीश धामी, विधायक, धारचूला

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सीमांत जिले में करीब 250 ग्रामीण सड़कें बनाई गई हैं। जांच में सामने आया कि इनमें से अधिकांश की हालत बेहद खराब है। डीडीहाट, धारचूला, पिथौरागढ़ और गंगोलीहाट सभी विधानसभा क्षेत्रों में सड़कों से डामर गायब है। संवाद न्यूज एजेंसी ने इन सड़कों की पड़ताल की तो हकीकत सामने आई। डीडीहाट विधानसभा क्षेत्र में करीब 30 से अधिक गांवों को जोड़ने के लिए बनी आदिचौरा-हुनेरा, डीडीहाट-दूनाकोट, देवलथल-कनालीछीना, कनालीछीना-पीपली, कनालीछीना-गोवत्सा, थल-पांखू-कोटमन्या सड़कों पर चार से पांच साल पूर्व डामर किया गया। वर्तमान में ये सड़कें गड्ढों से पटी हैं।
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गंगोलीहाट विधानसभा में 50 से अधिक गांवों के लिए बनीं नैनी-पव्वाधार, ढूनी-चहज, चमडुंगरा-बुंगली सड़क पर डामर उखड़ने से गड्ढे बने हैं। हालात यह हैं कि गड्ढों में पानी भरने और इन्हें मिट्टी से पाटने से ये सड़कें कीचड़ में तब्दील हो गई हैं। इन पर पैदल चलना भी खतरे से खाली नहीं है। धारचूला विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत 15 से अधिक गांवों को जोड़ने के लिए बनी गड्ढों से पटीं बंगापानी-जाराजिबली, सेरा-सिरतोला, सेराघाट-लोद, सिलिंग-खर्तोली सड़कें भी बढ़ी आबादी के लिए सिरदर्द बनी हैं। यही हाल जिले की अन्य ग्रामीण सड़कों के भी हैं।
इन सड़कों के सुधारीकरण और इनमें डामर के नाम पर करोड़ों रुपये पानी की तरह बहा दिए गए। फिर भी ये सड़कें चलने योग्य नहीं हैं। स्थानीय लोगों ने बताया कि अधिकांश सड़कों पर चार या पांच साल पहले ही डामर किया गया। कुछ समय बाद ही डामर उखड़ा तो इनकी हालत खराब हो गई। ऐसे में सड़कों को बेहतर और गड्ढा मुक्त करने के दावे हवाई साबित हुए हैं और ये बदहाल सड़कें पूरे सिस्टम पर सवाल खड़े कर रही हैं। संवाद
देवीसूना-गराली सड़क पर लगे भ्रष्टाचार के आरोप, वनराजियों को करना पड़ा आंदोलन
पिथौरागढ़। करीब तीन महीने पूर्व वनराजी गांव किरौली के साथ ही क्षेत्र के अन्य गांवों को जोड़ने के लिए देवीसूना-गराली सड़क पर डामरीकरण शुरू हुआ। तीन दिन के भीतर ही डामर उखड़ा तो क्षेत्र के वनराजियों ने जागरूकता दिखाते हुए गुणवत्ता पर सवाल उठाते हुए आंदोलन शुरू कर दिया। उनका आंदोलन रंग लाया और सिस्टम को इस सड़क पर दोबारा सोलिंग कर डामर करना पड़ा। वनराजियों ने आंदोलन कर सिस्टम पर सवाल उठाए तो उनकी जागरूकता से सड़क की हालत भी सुधरी।
बच्चे नहीं पहुंच पा रहे स्कूल, मरीज पैदल पहुंच रहे हैं अस्पताल
पिथौरागढ़। नाचनी क्षेत्र में ऐसा भी मामला सामने आया है जहां सड़क की बदहाली के चलते विद्यार्थी स्कूल नहीं पहुंच पा रहे हैं और एंबुलेंस न पहुंचने से मरीज पैदल अस्पताल पहुंच रहे हैं। बांसबगड़-पोर्थी सड़क पर डामर तो नहीं हुआ है लेकिन यह वाहनों के संचालन योग्य भी नहीं बन सकी है। पूरी सड़क पर बड़े-बड़े गड्ढे होने और पहाड़ी दरकने से जूनियर हाईस्कूल और प्राथमिक विद्यालय में पढ़ने वाले क्षेत्र के गांवों के बच्चे घर पर बैठने के लिए मजबूर हैं। वहीं शिक्षकों का भी स्कूल पहुंचना मुश्किल हो रहा है। गांवों तक एंबुलेंस न पहुंचने से मरीज और गर्भवतियां कई किलोमीटर पैदल सफर कर अस्पताल पहुंच रहे हैं।
बोले विधायक
सड़कों पर डामरीकरण में गुणवत्ता और मानकों का ध्यान नहीं रखा जा रहा है। यही कारण है कि मैंने खुद कई सड़कों पर निरीक्षण कर काम रोका और इसकी शिकायत की। सड़कों की बेहतरी के लिए क्षेत्र की जनता का जागरूक होना जरूरी है। यदि गुणवत्ता और मानकों की अनदेखी होती है तो क्षेत्र के लोग मुझसे इसकी शिकायत कर सकते हैं। मानकों की अनदेखी नहीं होने दी जाएगी। - बिशन सिंह चुफाल, विधायक, डीडीहाट
निश्चित तौर पर सीमांत जिले में सड़कों की हालत दयनीय है। ऑलवेदर हो या ग्रामीण सबके बुरे हाल हैं। यह सिर्फ सरकार की उदासीनता का नतीजा है। मौजूदा सरकार में अधिकारी निरंकुश हो गए हैं। वैसे भी किसी गलती में शामिल अधिकारियों को ही दंड देने के लिए सीमांत जिले में भेजा जा रहा है। ऐसे अधिकारी कैसे जिले के विकास में अपनी भागीदारी निभाएंगे। साफ है कि खुद ही सरकार सीमांत जिले का विकास नहीं चाहती। हरीश धामी, विधायक, धारचूला