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Roorkee News: नारसन सीएचसी में स्टाफ का टोटा, 43 स्वीकृत पदों में से 25 खाली
संवाद न्यूज एजेंसी, रुड़की
Updated Sun, 21 Dec 2025 06:44 PM IST
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अस्पताल की बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं से मरीज बेहाल
मयूर चौधरी
नारसन। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र नारसन खुद बीमार नजर आ रहा है। अस्पताल में 43 स्वीकृत पदों के सापेक्ष 25 पद खाली होने के कारण मरीजों को बेहतर इलाज नहीं मिल पा रहा है। आलम यह है कि विशेषज्ञ डॉक्टरों से लेकर तकनीकी स्टाफ तक की भारी कमी है, जिससे मरीजों को मजबूरन रुड़की के निजी अस्पतालों का रुख करना पड़ रहा है।
अस्पताल से मिले आंकड़ों के अनुसार, नारसन सीएचसी में कुल 43 पद स्वीकृत हैं, लेकिन वर्तमान में केवल 18 कर्मचारी ही कार्यरत हैं। विशेषज्ञ डॉक्टरों के लगभग सभी पद रिक्त पड़े हैं। इनमें फिजिशियन, सर्जन, गायनेकोलॉजिस्ट, बाल रोग विशेषज्ञ, रेडियोलॉजिस्ट और एनेस्थीसिया जैसे विशेषज्ञ डॉक्टरों के एक भी पद पर डॉक्टर नियुक्त नहीं है। इस कारण गंभीर बीमारियों, प्रसव व अन्य बीमारी हाेने पर मरीजों को रुड़की सिविल अस्पताल रेफर कर दिया जाता है। साथ ही अस्पताल में तकनीकी और सहायक स्टाफ का भी अभाव होने से एक्स-रे और अन्य जांच सेवाएं ठप पड़ी हुई हैं।
स्थानीय निवासियों का कहना है कि सरकार बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं का दावा तो करती है लेकिन धरातल पर स्थिति इसके उलट है। हड्डी रोग, बच्चों की बीमारी या महिलाओं से संबंधित समस्याओं के लिए मरीजों को घंटों इंतजार के बाद रेफर कर दिया जाता है।
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जिला स्तर पर डाक्टरों के पदों को भरने के लिए मांग की गई है, अस्पताल में डाक्टरों के जल्द आने की उम्मीद की जा रही है। डॉ. अचिंतन गर्ग सीएचसी प्रभारी नारसन
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इंसेट
स्वास्थ्य पर्यवेक्षक के सात स्वीकृत पदों में से एक भी भरा नहीं गया है। एलएचवी (लेडी हेल्थ विजिटर) के तीनों पद रिक्त हैं। हैरानी की बात यह है कि सफाई कर्मचारी और फार्मासिस्ट के पदों पर स्वीकृत पद से एक-एक अधिक कर्मचारी हैं जबकि मुख्य स्वास्थ्य सेवाएं देने वाले पदों की कुर्सी खाली पड़ी हुई है। सीएचसी में फिलहाल एक चिकित्सा अधीक्षक, दो मेडिकल ऑफिसर, पांच स्टाफ नर्स, एक एएनएम, डेंटिस्ट, वार्डबॉय, के भरोसे अस्पताल चल रहा है।
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मयूर चौधरी
नारसन। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र नारसन खुद बीमार नजर आ रहा है। अस्पताल में 43 स्वीकृत पदों के सापेक्ष 25 पद खाली होने के कारण मरीजों को बेहतर इलाज नहीं मिल पा रहा है। आलम यह है कि विशेषज्ञ डॉक्टरों से लेकर तकनीकी स्टाफ तक की भारी कमी है, जिससे मरीजों को मजबूरन रुड़की के निजी अस्पतालों का रुख करना पड़ रहा है।
अस्पताल से मिले आंकड़ों के अनुसार, नारसन सीएचसी में कुल 43 पद स्वीकृत हैं, लेकिन वर्तमान में केवल 18 कर्मचारी ही कार्यरत हैं। विशेषज्ञ डॉक्टरों के लगभग सभी पद रिक्त पड़े हैं। इनमें फिजिशियन, सर्जन, गायनेकोलॉजिस्ट, बाल रोग विशेषज्ञ, रेडियोलॉजिस्ट और एनेस्थीसिया जैसे विशेषज्ञ डॉक्टरों के एक भी पद पर डॉक्टर नियुक्त नहीं है। इस कारण गंभीर बीमारियों, प्रसव व अन्य बीमारी हाेने पर मरीजों को रुड़की सिविल अस्पताल रेफर कर दिया जाता है। साथ ही अस्पताल में तकनीकी और सहायक स्टाफ का भी अभाव होने से एक्स-रे और अन्य जांच सेवाएं ठप पड़ी हुई हैं।
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स्थानीय निवासियों का कहना है कि सरकार बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं का दावा तो करती है लेकिन धरातल पर स्थिति इसके उलट है। हड्डी रोग, बच्चों की बीमारी या महिलाओं से संबंधित समस्याओं के लिए मरीजों को घंटों इंतजार के बाद रेफर कर दिया जाता है।
जिला स्तर पर डाक्टरों के पदों को भरने के लिए मांग की गई है, अस्पताल में डाक्टरों के जल्द आने की उम्मीद की जा रही है। डॉ. अचिंतन गर्ग सीएचसी प्रभारी नारसन
इंसेट
स्वास्थ्य पर्यवेक्षक के सात स्वीकृत पदों में से एक भी भरा नहीं गया है। एलएचवी (लेडी हेल्थ विजिटर) के तीनों पद रिक्त हैं। हैरानी की बात यह है कि सफाई कर्मचारी और फार्मासिस्ट के पदों पर स्वीकृत पद से एक-एक अधिक कर्मचारी हैं जबकि मुख्य स्वास्थ्य सेवाएं देने वाले पदों की कुर्सी खाली पड़ी हुई है। सीएचसी में फिलहाल एक चिकित्सा अधीक्षक, दो मेडिकल ऑफिसर, पांच स्टाफ नर्स, एक एएनएम, डेंटिस्ट, वार्डबॉय, के भरोसे अस्पताल चल रहा है।

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