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Tehri News: बारिश नहीं होने से सूखे के हालात बने
संवाद न्यूज एजेंसी, टिहरी
Updated Sat, 20 Dec 2025 05:44 PM IST
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खेताें में नमी खत्म होने से फसल सूखने के कगार पर
नई टिहरी। दिसंबर बीतने वाला है लेकिन अभी तक बारिश नहीं होने से लोगों की निगाहें आसमान पर टिकी हुई है। अक्तूबर में हल्की बारिश होने के बाद काश्तकारों ने गेहूं, मटर और सरसों आदि की बुवाई की थी लेकिन उसके बाद से अभी तक बारिश नहीं होने के कारण खेतों की नमी पूरी तरह से खत्म हो गई है। जल्द ही बारिश नहीं होती है तो फसल उत्पादन गिरना तय है।
कृषि-बागवानी के लिए पूरे दिसंबर माह में बारिश जरूरी है लेकिन 20 दिसंबर तक बारिश की एक बूंद नहीं टपकने से फसलों पर विपरीत असर दिखने लगा है। असिंचित खेतों में गेहूं, जौ, सरसों, मसूर और चना आदि फसल का एक पौधा नहीं दिख रहा है। ऊंचाई वाले इलाकों में भी यही स्थिति बनी हुई है। जो खेत अब तक मटर की फसल से हरे-भरे नजर आते थे, वह खेत भी सूखे नजर आ रहे है। सब्जी उत्पादन पर भी विपरीत असर दिखने लगा है।
बारिश का इंतजार जल्द खत्म नहीं होता है, तो हालात सूखे जैसे हो जाएंगे। इससे किसानों को भारी नुकसान होगा और खेती-बाड़ी पर निर्भर लोगाें को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ेगा। अभी तक बारिश नहीं होने के कारण तापमान में भी गिरावट नहीं आई है जिससे सेब की पैदावार खासी प्रभावित होने की उम्मीद है। सेब के अच्छे उत्पादन के लिए तापमान में गिरावट जरूरी है लेकिन अभी तक बारिश नहीं होने से ऊंचाई वाले इलाकों में बर्फबारी के भी कोई आसार नजर नहीं आ रहे हैं।
दिसंबर में बारिश का पिछला चार-पांच सालों का आंकड़ा देखें तो पिछले साल के अलावा अन्य सालों में कम ही बारिश रिकॉर्ड की गई है। दिसंबर 2024 में देखें तो उस समय दिसंबर माह में 52.4 एमएम बारिश हुई जबकि दिसंबर 2023 में 1.2 एमएम, 2022 में 1.3 और दिसंबर 2021 में 10.6 एमएम बारिश हुई थी। 20 दिसंबर को टिहरी जिले में दिनभर कोहरा छाया रहा। जिससे शाम को ठंड का प्रकोप बढ़ गया। बारिश का इंतजार कब खत्म होगा संस्पेंस बना हुआ है।
दिसंबर में औसतन 31 एमएम बारिश जरूरी है। लेकिन अभी तक बारिश नहीं होने के कारण खेतों में नमी खत्म हो गई है। इससे गेहूं, सरसों, मसूर और चना आदि फसल सूखने की कगार पर पहुंच गई है। बारिश के अभाव में सब्जी और सेब उत्पादन पर भी विपरीत असर पड़ेगा।
- अनिल काला, प्रभारी मौसम विज्ञान केंद्र रानीचौरी।
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नई टिहरी। दिसंबर बीतने वाला है लेकिन अभी तक बारिश नहीं होने से लोगों की निगाहें आसमान पर टिकी हुई है। अक्तूबर में हल्की बारिश होने के बाद काश्तकारों ने गेहूं, मटर और सरसों आदि की बुवाई की थी लेकिन उसके बाद से अभी तक बारिश नहीं होने के कारण खेतों की नमी पूरी तरह से खत्म हो गई है। जल्द ही बारिश नहीं होती है तो फसल उत्पादन गिरना तय है।
कृषि-बागवानी के लिए पूरे दिसंबर माह में बारिश जरूरी है लेकिन 20 दिसंबर तक बारिश की एक बूंद नहीं टपकने से फसलों पर विपरीत असर दिखने लगा है। असिंचित खेतों में गेहूं, जौ, सरसों, मसूर और चना आदि फसल का एक पौधा नहीं दिख रहा है। ऊंचाई वाले इलाकों में भी यही स्थिति बनी हुई है। जो खेत अब तक मटर की फसल से हरे-भरे नजर आते थे, वह खेत भी सूखे नजर आ रहे है। सब्जी उत्पादन पर भी विपरीत असर दिखने लगा है।
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बारिश का इंतजार जल्द खत्म नहीं होता है, तो हालात सूखे जैसे हो जाएंगे। इससे किसानों को भारी नुकसान होगा और खेती-बाड़ी पर निर्भर लोगाें को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ेगा। अभी तक बारिश नहीं होने के कारण तापमान में भी गिरावट नहीं आई है जिससे सेब की पैदावार खासी प्रभावित होने की उम्मीद है। सेब के अच्छे उत्पादन के लिए तापमान में गिरावट जरूरी है लेकिन अभी तक बारिश नहीं होने से ऊंचाई वाले इलाकों में बर्फबारी के भी कोई आसार नजर नहीं आ रहे हैं।
दिसंबर में बारिश का पिछला चार-पांच सालों का आंकड़ा देखें तो पिछले साल के अलावा अन्य सालों में कम ही बारिश रिकॉर्ड की गई है। दिसंबर 2024 में देखें तो उस समय दिसंबर माह में 52.4 एमएम बारिश हुई जबकि दिसंबर 2023 में 1.2 एमएम, 2022 में 1.3 और दिसंबर 2021 में 10.6 एमएम बारिश हुई थी। 20 दिसंबर को टिहरी जिले में दिनभर कोहरा छाया रहा। जिससे शाम को ठंड का प्रकोप बढ़ गया। बारिश का इंतजार कब खत्म होगा संस्पेंस बना हुआ है।
दिसंबर में औसतन 31 एमएम बारिश जरूरी है। लेकिन अभी तक बारिश नहीं होने के कारण खेतों में नमी खत्म हो गई है। इससे गेहूं, सरसों, मसूर और चना आदि फसल सूखने की कगार पर पहुंच गई है। बारिश के अभाव में सब्जी और सेब उत्पादन पर भी विपरीत असर पड़ेगा।
- अनिल काला, प्रभारी मौसम विज्ञान केंद्र रानीचौरी।

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