Uttarakhand News: सड़क पर नाले के पानी में डूब गया सिस्टम, घरों में घुस गया बारिश का पानी; जनजीवन प्रभावित
खटीमा में हुई बारिश ने ड्रेनेज सिस्टम की पोल खोल दी। शहर के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में नालों के उफनाने से जलभराव की समस्या रहीं। ऐंठा नाले का पानी उफना कर मेलाघाट मार्ग में घुस गया, जिससे यातायात बाधित हुआ।

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खटीमा क्षेत्र में मंगलवार को हुई बारिश ने ड्रेनेज सिस्टम की पोल खोल दी। शहर के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में नालों के उफनाने से जलभराव की समस्या रहीं। ऐंठा नाले का पानी उफना कर मेलाघाट मार्ग में घुस गया, जिससे यातायात बाधित हुआ। खटीमा में कुल 135 मिमी बारिश रिकॉर्ड की गई। बुधवार को हल्की बारिश होने की संभावना है। खटीमा में करीब सुबह पांच बजे शुरू हुई बारिश दोपहर करीब डेढ़ बजे तक जारी रही। बारिश के चलते ऐंठा नाला एक बार फिर उफना गया।

ऐंठा नाले का पानी मेलाघाट पर घुस गया। इससे राजीव नगर, आवास विकास, पकड़िया, झनकईया, मेलाघाट आदि क्षेत्रों को जाने वाले लोगों को काफी असुविधा हुई।
टूटे तटबंध से गांव में घुसा बैगुल नदी का पानी
शक्तिफार्म में मूसलाधार बारिश से मंगलवार को बैगुल नदी उफान पर आ गई। पहले से क्षतिग्रस्त तटबंध से नदी का पानी तेज बहाव के साथ अरविंदनगर ग्रामसभा के सात, आठ और नौ नंबर गांव में घुस गया। घरों में पानी घुसने से सात नंबर गांव के 33 परिवारों ने निर्माणाधीन मंदिर और रिश्तेदारों के घरों में शरण ली है।
मूसलाधार बारिश से सोमवार को बैगुल नदी का जलस्तर बढ़ने से पानी का बहाव पहले से ध्वस्त तटबंध से होकर गांवों में घुस गया। घरों में पानी घुसने से सात नंबर गांव के सभी 33 परिवारों ने सोमवार देर शाम को गांव छोड़ दिया था। इनमें से पांच परिवारों ने गांव के निर्माणाधीन मंदिर में और शेष अपने रिश्तेदारों के घर शरण ली है। प्रशासन इनके खाने पीने की व्यवस्था कर रहा है। नगर पंचायत अध्यक्ष सुमित मंडल ने प्रभावित परिवारों से मुलाकात की और प्रशासन से इन्हें मदद उपलब्ध कराने की मांग की।
बरसात का मौसम आते ही हमे बाढ़ की चिंता सताने लगती है। हर साल हमें कई दिनों तक शरणार्थी का जीवन जीना पड़ता है। घर बार नष्ट होता है वो अलग। वर्ष भर की कमाई का एक बड़ा हिस्सा बाढ़ से हुए नुकसान की भरपाई में चला जाता है। -बिजन विश्वास, ग्रामीण।
गांव को बसे हुए 50 साल से ज्यादा समय हो गया है, लेकिन हर वर्ष आने वाले बाढ़ की विभीषिका से बचाने का पुख्ता इंतजाम नहीं हो पाया है। बाढ़ के दौरान जनप्रतिनिधि सिर्फ संवेदनाएं व्यक्त कर अपना कर्तव्य पूरा करते हैं। - मनींद्र विश्वास, ग्रामीण।
हर साल बरसात के मौसम में कई दिनों के लिए बेघरों की तरह रहना जैसे नियति हो गई है। बाढ़ के समय हम तो दूसरी जगह शरण ले लेते हैं लेकिन घरों में रह गए पालतू पशुओं की स्थिति दयनीय हो जाती है। सरकार को बाढ़ से राहत का स्थाई समाधान निकालना चाहिए।- शांति विश्वास, ग्रामीण
बैगुल नदी का अंतिम पड़ाव बैगुल डैम है। नौ नंबर गांव से आगे नदी संकरी और उथली होने से पानी का तेज बहाव हर साल तटबंध को तोड़ती हुई गांव में बाढ़ लाती है। तटबंध की पक्की पीचिंग और बैगुल डैम तक सम्पूर्ण सफाई नहीं होने तक सैकड़ों लोगों को बाढ़ से राहत मिलने वाला नहीं है। -झोरू बाईन, ग्रामीण
बैगुल नदी की पक्की पीचिंग के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा गया था। शासन से उस पर आंशिक स्वीकृति ही मिली थी। वन विभाग की आपत्ति के कारण पक्की पीचिंग में दिक्कतें आ रही है। फिलहाल क्षतिग्रस्त तटबंध का मरम्मत का कार्य कराया जा रहा है। नदी का जलस्तर कम होने पर काम में तेजी आएगी।- डीसी पंत, एसडीओ सिंचाई विभाग।