देश के गांवों को आर्थिक रूप से संपन्न और समृद्ध बनाने के लिए महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना की शुरुआत हुई थी पर ऐसा लगता है मनरेगा में काम करने वाले लोगों की दिवाली इस बार बहुत फीकी रहने वाली है। एक रिपोर्ट के मुताबिक मनरेगा योजना के खजाने में अब रुपए नहीं बचे हैं जिससे 21 राज्यों में काम कर रहे मजदूरों के लिए मजदूरी देना भी संभव नहीं है।
पीपल्स एक्शन फॉर एंप्लॉयमेंट गारंटी के कार्यकारी समूह के सदस्य निखिल डे ने बताया कि इस वर्ष के लिए आवंटित बजट का लगभग 90% हिस्सा उपयोग किया जा चुका है और अभी भी 5 महीने बाकी है। ऐसे में मनरेगा से जुड़े लोगों को मजदूरी देना संभव नहीं लगता है। लॉकडाउन के दौरान मजदूरों के लिए यह मनरेगा संजीवनी साबित हुआ था लेकिन फिलहाल रिपोर्ट के मुताबिक मनरेगा कंगाली के कगार पर है।
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