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Family members enraged over SMS Hospital fire, Amar Ujala's ground report
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SMS अस्पताल अग्निकांड पर भड़के परिजन, अमर उजाला की ग्राउंड रिपोर्ट
अमर उजाला डिजिटल डॉट कॉम Published by: आदर्श Updated Mon, 06 Oct 2025 11:48 AM IST
राजस्थान की राजधानी जयपुर से सोमवार देर रात एक दिल दहला देने वाली खबर आई। प्रदेश के सबसे बड़े सवाई मानसिंह (SMS) अस्पताल के ट्रॉमा सेंटर के आईसीयू में सोमवार रात शॉर्ट सर्किट से आग लग गई। कुछ ही मिनटों में पूरा वार्ड धुएं से भर गया और भीतर भर्ती मरीजों के लिए वह कमरा मौत का जाल बन गया। इस हादसे में 6 मरीजों की दर्दनाक मौत हो गई, जबकि कई को गंभीर हालत में फायर ब्रिगेड की मदद से सुरक्षित बाहर निकाला गया।
रात करीब 11:15 बजे अचानक आईसीयू वार्ड से चिंगारियां निकलने लगीं। कुछ सेकंड में ही वहां से धुआं उठने लगा। धुएं की गंध और जहरीली गैसों से वेंटिलेटर पर पड़े मरीजों की सांसें और कमजोर हो गईं। अस्पताल के अंदर डॉक्टरों और नर्सों ने मरीजों को निकालने की कोशिश की, लेकिन घना धुआं और अंधेरा बीच में दीवार बन गया।
बाहर इंतजार कर रहे परिजनों ने जब धुआं देखा तो वे चीखते हुए अस्पताल के अंदर भागे, लेकिन उन्हें रोक दिया गया। आईसीयू के बाहर अफरातफरी मच गई कोई अपने मरीज का नाम पुकार रहा था, तो कोई बेहोश होकर गिर पड़ा।
हादसे के कुछ मिनटों बाद ही फायर ब्रिगेड की 6 गाड़ियां मौके पर पहुंचीं और आग पर काबू पाया गया, लेकिन तब तक कई जिंदगियां राख हो चुकी थीं।
पूरन सिंह, जिनका मरीज इस हादसे में नहीं बच पाया, ने बताया “जब चिंगारी निकली तो पास ही ऑक्सीजन सिलेंडर रखा था। धुआं पूरे आईसीयू में फैल गया। लोग घबराकर बाहर भागने लगे, लेकिन मेरा मरीज अंदर अकेला रह गया। जैसे-जैसे गैस फैली, उन्होंने गेट बंद कर दिए। हम बस बाहर खड़े रहे और अंदर से चीखें आती रहीं।”
एक अन्य रिश्तेदार नरेंद्र सिंह ने बताया “हमें शुरुआत में पता ही नहीं चला कि आग लगी है। मैं नीचे खाना खाने गया था। जब लौटा तो देखा धुआं निकल रहा है। न तो अलार्म बजे, न आग बुझाने की कोई व्यवस्था दिखी। मेरी मां वहीं भर्ती थीं।”
ओम प्रकाश, जिनके मामा का बेटा हादसे में मारा गया, ने कहा “रात करीब 11:20 पर मैंने डॉक्टरों से कहा कि धुआं फैल रहा है। लेकिन किसी ने गंभीरता से नहीं लिया। थोड़ी देर बाद सभी डॉक्टर और कंपाउंडर वहां से निकल गए। सिर्फ 4-5 मरीजों को ही बाहर निकाला गया। बाकी अंदर ही रह गए।”
एसएमएस अस्पताल ट्रॉमा सेंटर के इंचार्ज डॉ. अनुराग धाकड़ ने बताया “आग शॉर्ट सर्किट की वजह से लगी। हमारे अधिकांश मरीज कोमा में थे और वेंटिलेटर सपोर्ट पर थे। जहरीली गैसें फैलने के कारण मरीजों को उपकरणों के साथ शिफ्ट करना बेहद कठिन हो गया। हमने उन्हें निचले फ्लोर के आईसीयू में शिफ्ट करने की कोशिश की, लेकिन 6 मरीजों को नहीं बचा पाए।”
घटना की जानकारी मिलते ही मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा देर रात अस्पताल पहुंचे। उन्होंने अधिकारियों से रिपोर्ट ली और घायलों के इलाज की समीक्षा की। मुख्यमंत्री ने मृतकों के परिजनों के प्रति संवेदना जताई और कहा “यह घटना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। इसकी उच्चस्तरीय जांच होगी और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस हादसे पर गहरा शोक व्यक्त किया। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा-
(जयपुर के अस्पताल में आग की इस दुर्घटना में हुई जनहानि अत्यंत दुखद है। जिन्होंने अपने प्रियजनों को खोया है, उनके प्रति संवेदना। घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करता हूं।)
घटना के बाद सामने आई तस्वीरों में चारों ओर काला धुआं, जले हुए उपकरण और बिखरी हुई वेंटिलेटर पाइपें दिखाई दे रही हैं। आईसीयू की दीवारों पर जले निशान हैं और गलियारों में परिजनों की सिसकियां गूंज रही हैं।
यह हादसा एक बार फिर सरकारी अस्पतालों की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़ा करता है। परिजनों ने आरोप लगाया कि अस्पताल में न तो फायर अलार्म काम कर रहे थे, न ही आग बुझाने की पर्याप्त व्यवस्था थी।
घटना के बाद पूरे आईसीयू को सील कर दिया गया है। एफएसएल टीम जांच में जुटी है कि शॉर्ट सर्किट कहां से शुरू हुआ। मुख्यमंत्री ने मृतकों के परिवारों के लिए आर्थिक सहायता की घोषणा की है।
लेकिन सवाल यही है कि क्या इतनी बड़ी सुविधाओं वाले अस्पताल में भी सुरक्षा इंतजाम इतने नाकाफी हैं कि एक छोटी सी चिंगारी 6 जिंदगियां निगल जाए?
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