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संयुक्त राष्ट्र में भारत ने PoK पर पाकिस्तान को धो डाला
अमर उजाला डिजिटल डॉट कॉम Published by: आदर्श Updated Sat, 25 Oct 2025 11:24 AM IST
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संयुक्त राष्ट्र में भारत ने एक बार फिर पाकिस्तान को उसके अवैध कब्जे वाले कश्मीर यानी पीओके (पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर) में हो रहे मानवाधिकार उल्लंघन पर सख्त लहजे में घेरा। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि पर्वतनेनी हरीश ने कहा कि पाकिस्तान को जम्मू और कश्मीर के उन हिस्सों में जारी अत्याचार और उत्पीड़न को तुरंत रोकना चाहिए, जो वह अवैध रूप से कब्जा किए हुए है।
हरीश ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में आयोजित 80वें यूएन दिवस के अवसर पर हुई खुली बहस में अपने संबोधन के दौरान कहा – “हम मांग करते हैं कि पाकिस्तान अवैध रूप से कब्जाए गए इलाकों में जारी मानवाधिकार उल्लंघन को बंद करे। वहां की जनता पाकिस्तानी सेना के कब्जे, शोषण, निर्दयता और प्राकृतिक संसाधनों के अवैध दोहन के खिलाफ विद्रोह कर रही है।”
भारतीय प्रतिनिधि की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में हाल के दिनों में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए हैं। पीओके के नागरिक बिजली, पानी, और रोजगार जैसी बुनियादी मांगों को लेकर सड़कों पर उतर आए थे।
इन प्रदर्शनों को पाकिस्तानी सेना ने बर्बरता से कुचल दिया, जिससे कई लोगों की मौत हुई और सैकड़ों घायल हो गए। मानवाधिकार संगठनों ने भी पाकिस्तानी प्रशासन और सेना पर जनता की आवाज दबाने और शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाने के आरोप लगाए हैं।
भारत ने संयुक्त राष्ट्र के मंच से साफ कहा कि ये घटनाएं इस बात का सबूत हैं कि पाकिस्तान किस तरह से उन इलाकों में दमनकारी शासन चला रहा है, जो भारत का अभिन्न हिस्सा हैं लेकिन दशकों से कब्जे में हैं।
राजदूत हरीश ने अपने संबोधन में दोहराया कि जम्मू-कश्मीर हमेशा भारत का अभिन्न अंग रहा है और रहेगा।
उन्होंने कहा, “जम्मू-कश्मीर के लोग भारत की लोकतांत्रिक परंपरा के अनुरूप अपने मौलिक अधिकारों का इस्तेमाल करते हैं। बेशक यह बात पाकिस्तान के लिए अजूबा है, क्योंकि वहां लोकतंत्र केवल नाम का है।”
हरीश ने पाकिस्तान को चेतावनी देते हुए कहा कि अब वह अंतरराष्ट्रीय मंचों पर झूठ फैलाने और दुष्प्रचार बंद करे।
भारत ने यह भी स्पष्ट किया कि पाकिस्तान के कब्जे वाले क्षेत्रों में लोग अब खुलकर पाकिस्तानी सेना के खिलाफ बोल रहे हैं और उनका विरोध एक आंतरिक जनविद्रोह का रूप ले चुका है।
अपने भाषण के दौरान भारतीय राजदूत ने केवल पाकिस्तान को ही नहीं, बल्कि संयुक्त राष्ट्र की भूमिका पर भी प्रश्न उठाए। उन्होंने कहा कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद स्थापित संयुक्त राष्ट्र से दुनिया को शांति, सुरक्षा और न्याय की उम्मीद थी, लेकिन आज यह संगठन कई बार अपनी वैधानिकता और प्रभाव साबित करने में नाकाम साबित हुआ है।
हरीश ने कहा कि अगर संयुक्त राष्ट्र को प्रासंगिक बनाए रखना है, तो उसे मानवाधिकार उल्लंघन करने वाले देशों के खिलाफ ठोस कार्रवाई करनी होगी चाहे वह पाकिस्तान ही क्यों न हो।
संयुक्त राष्ट्र में भारत का यह सशक्त बयान न केवल पाकिस्तान को सीधी चेतावनी है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए भी एक संदेश है कि पीओके में हो रहे अत्याचारों को अब और अनदेखा नहीं किया जा सकता।
भारत ने साफ कर दिया है जम्मू-कश्मीर भारत का हिस्सा था, है और रहेगा, और पाकिस्तान को अपने कब्जे वाले हिस्सों से पीछे हटना ही होगा।
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