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Maulana Mehmood Madani Speech: Madani spoke again on Jihad, now said that Jihad should be taught in schools.
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Maulana Mehmood Madani Speech: जिहाद पर फिर बोले मदनी, अब बोले स्कूलों में पढ़ाई जाए जिहाद।
वीडियो डेस्क, अमर उजाला डॉट कॉम Published by: अभिलाषा पाठक Updated Wed, 03 Dec 2025 10:20 AM IST
महमूद मदनी का जिहाद पर एक और बड़ा बयान आया है...मदनी ने अपने बयान को लेकर सफाई दी और पहलगाम हमले को लेकर अपनी बात रखी। सबसे पहले मदनी ने कहा कि जिहाद मुल्क के लिए ज़रूरी है। देश के लोगों को मालूम होना चाहिए जिहाद क्या होता है कितनी तरह का होता है। जिहाद इस्लाम की एक धार्मिक पवित्र शब्दावली है लेकिन इसे गलत संदर्भ में पेश किया जा रहा है। जिहाद को गाली देने वाले इस्लाम के दुश्मन हैं। जिहाद का विरोध करने वाले ग़द्दार हैं..वे आतंकवाद फैला रहे हैं। मैने किसी को कहते सुना था कि जो टेरर से लड़े वो है जिहादी, आतंकवाद से लड़ाई ही जिहाद है वो नहीं जो लोग पेश कर रहे है। मदनी ने यहां तक कह दिया कि जिहाद को स्कूल के पाठ्यक्रम में पढ़ाया जाना चाहिए। ये सारे धर्मों में मौजूद है। वहीं दिल्ली व्लास्ट पर पूछे गे सवाल पर उन्होनें कश्मीरी डॉक्टरों की गिरफ़्तारी के बारे में बड़ा बयानदिया। कहा लॉ एन्फोर्समेंट एजेंसी को अपना काम करने देना चाहिए।वो सही है या गलत ये तो कोर्ट में तय होगा लेकिन हमें उन्हें अपना काम करने देना चाहिए। वहीं मदनी ने कांग्रेस को भी घेरा। कहा- कांग्रेस अपने ही मुद्दा नहीं उठा पा रही है तो किसी और के मुद्दे क्या उठाएगी? जिहाद पर उनका बयान क्यों चर्चा में आया जरा सुनिए .....
मदनी ने कहा, "आज जिहाद जैसे पवित्र शब्द को मीडिया और सरकार गलत तरीके से दुनिया के सामने पेश कर रहे हैं। जिहाद को लव जिहाद, थूक जिहाद, जमीन जिहाद जैसे शब्दों के साथ जोड़कर पेश किया जाता है। जिहाद हमेशा पवित्र था और रहेगा। जिस-जिस जगह पर भी कुरान में या दूसरी किताबों में जिहाद का जिक्र आया, वह हमेशा दूसरों की भलाई और बेहतरी के लिए आया। जब-जब जुल्म होगा, तब-तब जिहाद होगा। मैं फिर से इस बात को दोहराता हूं कि जहां जुल्म होगा, वहां जिहाद होगा।" मदनी ने कहा, "मैं ये साफ कर देना चाहता हूं कि भारत जैसे सेक्युलर देश में जहां जम्हूरी हुकूमत है, वहां जिहाद मौजूए बहस ही नहीं है। यहां मुसलमान संविधान की वफादारी के पाबंद हैं। यहां सरकार की जिम्मेदारी है कि वह संविधान के मुताबिक नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करें और अगर वह ऐसा नहीं करती तो इसके लिए वह खुद जिम्मेदार है।"मदनी ने कहा, "इस समय देश में 10% लोग ऐसे हैं जो मुसलमानों के फेवर में हैं। 30 फीसदी ऐसे हैं, जो मुसलमानों के खिलाफ हैं और 60% लोग ऐसे हैं जो खामोश हैं। मुसलमान को चाहिए कि जो 60% खामोश लोग हैं, उनसे बात करें। अपनी बातों को उनके सामने रखें। अपनी चीजों को उन्हें समझाएं। अगर यह 60% लोग मुसलमान के खिलाफ हुए तो फिर देश में बड़ा खतरा पैदा हो जाएगा।"
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