बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) में सीट बंटवारे का मामला फिर उलझ गया है। कुल सीटों पर सहमति बनने के बावजूद यह तय नहीं हो सका है कि कौन-सी विधानसभा सीटें किस दल के हिस्से में जाएंगी। अब भाजपा ने विवाद को सुलझाने के लिए नए सिरे से बातचीत की प्रक्रिया शुरू की है, ताकि सहयोगी दलों की नाराजगी शांत की जा सके।
सूत्रों के मुताबिक, कम सीटें मिलने से नाराज हम (HAM) के नेता जीतन राम मांझी और राष्ट्रीय लोक जनता मंच (RLAM) के प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा को भाजपा एक-एक अतिरिक्त सीट देने पर विचार कर रही है। भाजपा का मकसद है कि सीटों के बंटवारे के बाद भी राजग में एकजुटता की तस्वीर पेश की जा सके। फिलहाल, जिन सीटों को लेकर गतिरोध बना हुआ है, वहां उम्मीदवारों की घोषणा रोक दी गई है ताकि बातचीत का रास्ता खुला रहे।
राजग के घटक दलों के बीच यह सहमति बन चुकी थी कि भाजपा और जदयू 101-101 सीटों पर, जबकि मांझी और कुशवाहा की पार्टी छह-छह सीटों पर चुनाव लड़ेंगी। लेकिन विवाद इस बात पर हुआ कि कौन सी सीट किसके हिस्से में जाएगी।
जदयू का शीर्ष नेतृत्व कुछ सीटों को लेकर बेहद नाराज है। पार्टी का मानना है कि भाजपा ने पिछली बार की तरह इस बार भी जदयू की परंपरागत सीटों को सहयोगियों के लिए छोड़ दिया है। तारापुर, सोनबरसा, राजगीर और मोरवा जैसी सीटों पर भाजपा के दबाव में हुए समझौते से पार्टी का एक धड़ा असंतुष्ट है।
जदयू सूत्रों के अनुसार, भाजपा से बातचीत के लिए अधिकृत राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय झा को पार्टी के शीर्ष नेतृत्व की नाराजगी झेलनी पड़ी। कई नेताओं ने उन पर आरोप लगाया कि उन्होंने पार्टी हितों की अनदेखी की है। बताया जाता है कि सीएम नीतीश कुमार भी इस पूरे घटनाक्रम से खुश नहीं हैं।
विपक्ष के इस प्रचार से कि नीतीश अब कमजोर हो चुके हैं, भाजपा में भी बेचैनी बढ़ी है। यह धारणा बराबर सीटों पर चुनाव लड़ने और कई अहम सीटों पर समझौते से और मजबूत हुई है।
अब भाजपा अपने कोटे से मांझी और कुशवाहा को एक-एक अतिरिक्त सीट देने पर विचार कर रही है। ऐसा होने पर जदयू की सीट संख्या 101 के बजाय 102 हो जाएगी, जिससे पार्टी एक बार फिर ‘बड़े भाई’ की भूमिका में आ जाएगी। सूत्रों का कहना है कि यह फैसला प्रतीकात्मक तौर पर लिया जाएगा ताकि संदेश जाए कि राजग का चेहरा अब भी नीतीश कुमार ही हैं।
राजनीतिक गलियारों में यह भी चर्चा है कि मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से फोन पर बातचीत की है। हालांकि इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है।
सहयोगियों के बीच बढ़ती तनातनी को देखते हुए जदयू अध्यक्ष संजय झा को सोशल मीडिया के माध्यम से सफाई देनी पड़ी। उन्होंने लिखा, “राजग में सारे निर्णय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में लिए जा रहे हैं। भाजपा और अन्य सहयोगियों से संवाद उन्हीं के निर्देश पर हो रहा है।”
इसी बीच, चिराग पासवान, जीतन राम मांझी, और उपेंद्र कुशवाहा ने भी बयान जारी कर कहा कि गठबंधन में सबकुछ सामान्य है और कोई बड़ा मतभेद नहीं है। बताया जाता है कि भाजपा ने लोजपा (रामविलास) को फिलहाल उम्मीदवार घोषित करने से भी रोक दिया है ताकि तनाव और न बढ़े।
मतभेदों की खबरों के बीच गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को दिनभर सहयोगी दलों के नेताओं से बातचीत की। भाजपा के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि बहुत जल्द एक नया फार्मूला तैयार कर सभी दलों की सहमति ले ली जाएगी।
संभावना जताई जा रही है कि बुधवार को राजग की संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में सीट बंटवारे की आधिकारिक घोषणा हो सकती है। सूत्रों के मुताबिक, “अमित शाह का मकसद है कि चुनाव से पहले किसी भी स्थिति में गठबंधन में दरार न दिखे।”
बिहार एनडीए में सीट बंटवारे का यह नया झगड़ा बताता है कि सत्ता समीकरणों के बीच आपसी विश्वास की डोर कितनी नाजुक है। अब सारी निगाहें अमित शाह की मध्यस्थता और नीतीश-बीजेपी के नए समीकरण पर टिकी हैं क्या बुधवार को सब कुछ पटरी पर आएगा या फिर गठबंधन में नई खटपट की शुरुआत होगी?
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