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Nepal Crisis: From the riots in Nepal to the coup, what has happened so far? | GenZ
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Nepal Crisis: नेपाल में बवाल से तख्ता पलट तक, अब तक क्या क्या हुआ? | GenZ
वीडियो डेस्क, अमर उजाला Published by: तन्मय बरनवाल Updated Wed, 10 Sep 2025 12:22 PM IST
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नेपाल में सबकुछ ठीक नहीं है… संसद से सुप्रीम कोर्ट तक, नेताओं के घरों से लेकर जेल की दीवारों तक हर जगह आग, चीख-पुकार और अफरातफरी का माहौल है। भ्रष्टाचार के खिलाफ शुरू हुआ युवाओं का आंदोलन अब देश को हिंसा और अराजकता की आग में झोंक चुका है। ऐसे में अब तक नेपाल में क्या क्या हुआ है। चलिए विस्तार से बताते है। नेपाल इन दिनों सियासी और सामाजिक उथल-पुथल से गुजर रहा है। सरकारी भ्रष्टाचार के खिलाफ भड़का जन-आंदोलन अब हिंसक रूप में बदल गया। बीते मंगलवार को प्रदर्शनकारियों ने राजधानी काठमांडो सहित कई शहरों में सरकारी इमारतों, नेताओं के घरों और संवैधानिक संस्थानों पर हमला किया।
ध्यान दीजिए ये सिर्फ हमला नहीं बल्कि युवाओं का आक्रोश था जो काफी दिनों से पनप रहा था संसद भवन, सुप्रीम कोर्ट, सिंह दरबार सहित कई दफ्तरों को आग के हवाले कर दिया गया। हालात इतने बिगड़े कि त्रिभुवन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे को बंद करना पड़ा और सेना को सुरक्षा की कमान संभालनी पड़ी। इस बीच कई बैंकों में तोड़फोड़ और लूटपाट की गई। आंदोलनकारियों ने प्रदर्शन कर रहे युवाओं पर गोली चलाने का आदेश देने वाले डीएसपी की भी पीट-पीट कर कड़े कदम उठाए। पूर्व प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा, उनकी पत्नी व विदेश मंत्री आरजू राणा देउबा को घर में घुसकर पीटा। पूर्व प्रधानमंत्री झालानाथ खनल की पत्नी राजलक्ष्मी चित्रकार को घर के अंदर बंदकर जिंदा जला दिया गया।
वित्त मंत्री विष्णु पौडेल को भी घर के सामने सड़कों पर दौड़ा-दौड़ाकर पीटा गया। राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल और सेना प्रमुख अशोक राज सिगदेल ने आंदोलनकारियों से संयम बरतने और बातचीत के लिए आगे आने की अपील की है।
फेसबुक और यूट्यूब समेत 26 सोशल मीडिया मंचों पर पाबंदी के बाद सोमवार को शुरू हुआ जेन-जी आंदोलन सोमवार देर रात सरकार की ओर से पाबंदी हटाने के बावजूद मंगलवार को और उग्र हो गया। राजधानी काठमांडो में कर्फ्यू और भारी सुरक्षा व्यवस्था को धता बताते हुए प्रदर्शनकारियों ने सिंह दरबार, संसद भवन, सुप्रीम कोर्ट, विशेष अदालत, राष्ट्रपति आवास, शीर्ष नेताओं के घर और विभिन्न दलों के दफ्तरों में आगजनी और तोड़फोड़ की। सिंह दरबार पूरी तरह से राख हो गया है। इसमें पीएम व मंत्रियों के दफ्तर हैं। पीएम ओली के बालकोट और जनकपुर स्थित निजी घरों, पूर्व पीएम पुष्प कमल दहल प्रचंड, संचार मंत्री पृथ्वी सुब्बा गुरुंग, पूर्व गृह मंत्री रमेश लेखक, ऊर्जा मंत्री दीपक खड़का का बुढानीलकंठ घर और कांग्रेस महासचिव गगन थापा के रातोपुल निवास तक को निशाना बनाया।
आंदोलनकारियों ने नेताओं के घरों के साथ ही नेपाली कांग्रेस, सीपीएन-यूएमएल समेत कई राजनीतिक दलों के दफ्तरों में भी आग लगा दी। धनगढ़ी में प्रदर्शनकारियों ने जेल का फाटक तोड़ दिया, जिसके बाद सैकड़ों कैदी जेल से फरार हो गए। काठमांडो में जगह-जगह सड़कों पर टायर जलाकर रास्ता रोका गया। पूर्व पीएम झालानाथ की पत्नी राजलक्ष्मी चित्रकार की कीर्तिपुर बर्न अस्पताल में मौत होने के बाद देशव्यापी प्रदर्शनों के हिंसक होने की चिंताएं बढ़ गई हैं। नक्खू जेल में भ्रष्टाचार के आरोप में बंद राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी के अध्यक्ष और पूर्व उप प्रधानमंत्री रबि लामिछाने को प्रदर्शनकारियों ने जेल से छुड़ा लिया। उन्हें बीते साल 18 अक्तूबर को गिरफ्तार किया गया था। छात्रों के आंदोलन के बाद जेल प्रशासन ने लामिछाने की सुरक्षा सुनिश्चित करने से मना कर दिया। इसके बाद, उनकी पत्नी निकिता पौडेल ने व्यक्तिगत तौर पर सुरक्षा की जिम्मेदारी लेते हुए उन्हें जेल से बाहर निकाला। लामिछाने की रिहाई के बाद नक्खू जेल से सभी कैदी बाहर निकल गए। इस जेल में लगभग 1,500 कैदी बंद थे। बदले हालात में लामिछाने भी प्रधानमंत्री पद के दावेदार माने जा रहे हैं।
नेपाल में सियासी संकट गहराने के बीच काठमांडो के युवा मेयर बालेंद्र शाह बालेन का नाम चर्चा में आ गया है। भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन कर रहे जेन-जी के बीच लोकप्रिय बालेन को पीएम बनाने की मांग तेज हो गई है। सिविल इंजीनियर और रैपर रहे बालेन काठमांडो के 15वें मेयर हैं। लोगों का मानना है कि, उनके कार्यकाल में काठमांडो में कई बड़े सुधार किए गए है। बालेन की बड़ी ताकत उनकी बेदाग छवि और भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति है।
काठमांडो पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच कई जगह झड़पें हुई, लेकिन सोमवार की तुलना में पुलिस ने कार्रवाई में काफी संयम बरता। मंगलवार को विभिन्न झड़पों में पांच लोगों की मौत हो गई। प्रदर्शनकारियों ने कांतिपुर टीवी चैनल की इमारत को भी आग के हवाले कर दिया। इससे पहले सोमवार को 20 प्रदर्शनकारी मारे गए थे। दो दिन से जारी हिंसा में 400 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं, जिनमें कई की हालत गंभीर है। घायलों को विभिन्न अस्पतालों में भर्ती कराया गया है। ललितपुर में भी कई जगह प्रदर्शन हुए। नेपाल की राजनीति इस समय गहरे संकट में है। लगातार बढ़ती हिंसा, नेताओं के खिलाफ गुस्सा और भ्रष्टाचार से उपजा जनाक्रोश देश को एक अलग मोड पर ला खड़ा किया है अब देखना दिलक्सप होगा की आगे की राह कैसी होती है।
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