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नेपाल में बवाल के बीच भारतीयों के लिए एडवाइजरी जारी
वीडियो डेस्क अमर उजाला डॉट कॉम Published by: आदर्श Updated Tue, 09 Sep 2025 03:03 PM IST
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नेपाल की राजनीति इस वक्त अशांत दौर से गुजर रही है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर लगे बैन को हटाने के बावजूद ओली सरकार के खिलाफ गुस्सा शांत नहीं हुआ है। कथित भ्रष्टाचार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमले के आरोपों ने जनता के आक्रोश को और भड़का दिया है। सोमवार को हुए बड़े पैमाने के विरोध प्रदर्शन में 20 लोगों की मौत और 340 से अधिक घायल हुए। हिंसा और तनाव के बाद सरकार ने राजधानी काठमांडू सहित कई जिलों में अनिश्चितकालीन कर्फ्यू लगा दिया है।
काठमांडू जिला प्रशासन कार्यालय ने मंगलवार सुबह 8:30 बजे से अनिश्चितकालीन कर्फ्यू लागू कर दिया। आदेश में साफ कहा गया है कि लोगों की आवाजाही, किसी भी प्रकार की रैली, प्रदर्शन, धरना या सभा पर रोक रहेगी। हालांकि, आपातकालीन सेवाओं जैसे एम्बुलेंस, दमकल, स्वास्थ्यकर्मी, मीडिया, पर्यटक और हवाई यात्रियों को विशेष अनुमति दी गई है।
काठमांडू के अलावा भक्तपुर और ललितपुर जिलों के कई हिस्सों में भी प्रतिबंधात्मक आदेश लागू किए गए हैं। भक्तपुर प्रशासन ने पेप्सीकोला, राधेराधे चौक, सल्लाघारी, दुवाकोट और चांगु नारायण मंदिर क्षेत्र में कर्फ्यू लगाया है, जबकि ललितपुर महानगर के चापागांव और थेचो इलाके में भी कड़ी पाबंदियां लागू हैं।
कर्फ्यू के आदेशों के बावजूद मंगलवार सुबह होते ही छात्रों ने सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। काठमांडू के कलंकी और बानेश्वर इलाकों में छात्र जमावड़े हुए और उन्होंने “छात्रों की हत्या मत करो” जैसे नारे लगाए। कलंकी क्षेत्र में प्रदर्शनकारियों ने टायर जलाकर सड़कें जाम कर दीं। ललितपुर जिले के चापागांव और थेचो से भी उग्र विरोध की खबरें आई हैं।
कर्फ्यू के चलते राजधानी और आसपास के जिलों में भय का माहौल है। लोग जरूरी सामान खरीदने के लिए दुकानों और दवा की दुकानों पर उमड़ पड़े। सार्वजनिक परिवहन पूरी तरह ठप हो गया है और शैक्षणिक संस्थान बंद कर दिए गए हैं। आम नागरिकों में इस बात की चिंता है कि हालात जल्द सामान्य होंगे या नहीं।
बीते दिन का प्रदर्शन नेपाल के हालिया इतिहास का सबसे हिंसक साबित हुआ। संसद गेट पर प्रदर्शनकारियों ने तोड़फोड़ की और पुलिस के साथ सीधी भिड़ंत हुई। सुरक्षा बलों ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए लाठीचार्ज और आंसू गैस के गोले छोड़े। इसी दौरान हुई झड़पों में कम से कम 20 लोगों की मौत हुई, जबकि 340 से ज्यादा लोग घायल हुए।
प्रदर्शनकारी सरकार पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगा रहे हैं। साथ ही फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर प्रतिबंध को जनता ने अपनी आवाज दबाने की साजिश बताया। भले ही बाद में सरकार ने यह प्रतिबंध हटा दिया, लेकिन गुस्से की आग ठंडी नहीं हुई।
नेपाल की बिगड़ती स्थिति को देखते हुए भारत के विदेश मंत्रालय ने वहां रह रहे भारतीय नागरिकों के लिए एडवाइजरी जारी की है। इसमें भारतीयों को सावधानी बरतने और अनावश्यक रूप से भीड़भाड़ वाले इलाकों से दूर रहने की सलाह दी गई है। साथ ही कहा गया है कि यात्रा करने से पहले सुरक्षा हालात की जानकारी जरूर लें।
नेपाल की विपक्षी पार्टियां सरकार पर लगातार हमलावर हैं। उनका आरोप है कि ओली सरकार जनता की आवाज को दबाने की कोशिश कर रही है। विपक्ष ने मृतकों के परिवारों के लिए मुआवजे और हिंसा की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है। वहीं, सरकार की मुश्किलें इसलिए भी बढ़ रही हैं क्योंकि सोशल मीडिया बैन ने युवाओं और छात्रों में गुस्से को चरम पर पहुंचा दिया है।
ओली सरकार अब दोहरी चुनौती का सामना कर रही है एक तरफ उसे बढ़ते जनाक्रोश को शांत करना है और दूसरी तरफ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि अगर हालात जल्द काबू में नहीं आए, तो यह संकट नेपाल की राजनीतिक स्थिरता पर गहरा असर डाल सकता है।
नेपाल इस समय एक संवेदनशील मोड़ पर खड़ा है। सोशल मीडिया बैन का फैसला सरकार के खिलाफ चिंगारी साबित हुआ है, जिसने भ्रष्टाचार के आरोपों की आग को और भड़का दिया। अब कर्फ्यू के बावजूद सड़कों पर उतर रहे लोग यह संदेश दे रहे हैं कि उनकी नाराजगी गहरी है। सवाल यह है कि ओली सरकार जनता का विश्वास कैसे वापस पाएगी और क्या नेपाल जल्द इस संकट से बाहर निकल पाएगा?
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