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UP Flood: Hundreds of houses submerged in Agra, Mathura and Vrindavan, people helpless
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UP Flood: आगरा, मथुरा और वृंदावन में डूबे सैकड़ों घर, लोग बेबस
वीडियो डेस्क अमर उजाला डॉट कॉम Published by: आदर्श Updated Mon, 08 Sep 2025 03:59 PM IST
उत्तर प्रदेश इन दिनों बाढ़ के सबसे भयावह दौर से गुजर रहा है। राज्य के दर्जनों जिलों में नदियां उफान पर हैं और सैकड़ों गांव टापू में तब्दील हो चुके हैं। लाखों की आबादी बाढ़ की चपेट में है। एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें राहत और बचाव कार्य में जुटी हुई हैं, लेकिन हालात अब भी बेहद चिंताजनक बने हुए हैं।
यमुना में उफान से ताजनगरी आगरा सबसे ज्यादा प्रभावित जिलों में से एक है। यहां दयालबाग से जीवनी मंडी तक और यमुना पार के टेढ़ी बगिया से कछपुरा तक 50 से ज्यादा कॉलोनियों और मोहल्लों में पानी भर गया है। करीब एक लाख लोग बाढ़ की चपेट में हैं। सदर, एत्मादपुर, फतेहाबाद और बाह तहसील के 60 गांव जलमग्न हो चुके हैं। घरों में पहली और दूसरी मंजिल तक पानी पहुंच चुका है। लोग पलायन करने को मजबूर हैं।
मथुरा में यमुना का पानी हालात बिगाड़ चुका है। लक्ष्मीनगर इलाके में घरों की एक-एक मंजिल तक पानी भर गया है। सदर बाजार और जयसिंहपुरा समेत वृंदावन की दर्जनों कॉलोनियां लबालब हैं। जिले के 45 गांव पूरी तरह टापू बन गए हैं। प्रशासन ने अब तक 9 हजार से ज्यादा लोगों का रेस्क्यू किया है और उन्हें राहत शिविरों में भेजा गया है। हालांकि राहत शिविरों में भी लोगों को खाने-पीने और सुविधाओं की भारी किल्लत झेलनी पड़ रही है।
अलीगढ़ के महाराजगढ़ गांव में 30 से 40 परिवार घरों की छतों पर रह रहे हैं। कई परिवारों ने अब भी पलायन शुरू कर दिया है। जो लोग शिविरों में पहुंचे हैं, वे भी परेशान हैं। हालांकि प्रशासन की ओर से लगातार राहत सामग्री बांटी जा रही है, लेकिन यह जरूरत से कम है। ग्रामीणों का कहना है कि वे दिन-रात छतों पर ही जिंदगी गुजारने को मजबूर हैं, क्योंकि चारों ओर सिर्फ पानी ही पानी है।
शाहजहांपुर में नदियों का जलस्तर कुछ कम जरूर हुआ है, लेकिन खतरा बरकरार है। गर्रा और खन्नौत नदियां अब भी खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं। कॉलोनियों में पानी भरा हुआ है और लोग अपने घरों में कैद जैसे हालात में जी रहे हैं।
पीलीभीत के गजरौला कला सहराई गांव में तो एक अलग ही दृश्य देखने को मिला। नदी-नाले उफान पर थे कि अचानक एक मगरमच्छ गांव की गली में आ गया। ग्रामीणों ने हिम्मत दिखाकर रस्सियों से उसे काबू कर लिया और बाद में वन विभाग की टीम ने उसे सुरक्षित पकड़ लिया। मगरमच्छ का यह मंजर गांव में दहशत का कारण बन गया।
कानपुर व आसपास के जिलों में गंगा, रामगंगा, यमुना और चंबल नदियों का जलस्तर तीसरी बार खतरे के निशान को पार कर गया। कानपुर देहात के मूसानगर में 13 गांवों का संपर्क कट गया है। करीब 12 हजार लोग प्रभावित हैं।
कन्नौज में गंगा नदी खतरे के निशान से 50 सेंटीमीटर ऊपर बह रही है। कटरी क्षेत्र के 60 से अधिक गांव जलमग्न हो चुके हैं। लोग नावों के सहारे आ-जा रहे हैं। वहीं, फर्रुखाबाद में बाढ़ की स्थिति भयावह है। यहां 350 गांव प्रभावित हैं। लोग घरों की छतों और ऊंचे स्थानों पर शरण लिए हुए हैं।
हरदोई जिले में गर्रा नदी के बढ़ते पानी से 99 गांव प्रभावित हुए हैं। करीब 10 हजार लोगों की जिंदगी बाढ़ ने अस्त-व्यस्त कर दी है। वहीं फतेहपुर के बिंदकी तहसील में गंगा और पांडु नदियों का जलस्तर बढ़ गया है। इसके चलते 18 गांव बाढ़ की चपेट में हैं। फसलें डूब गई हैं और लोगों का रोजमर्रा का जीवन ठप हो गया है।
इटावा में यमुना का पानी लगातार बढ़ रहा है। हालात यह हैं कि इटावा-ग्वालियर हाईवे के नजदीक तक पानी पहुंच चुका है। इससे हाईवे यातायात पर भी खतरा मंडरा रहा है। ग्रामीण इलाकों में स्थिति गंभीर बनी हुई है और प्रशासन लगातार रेस्क्यू अभियान चला रहा है।
अभी हालात सामान्य होने में वक्त लगेगा। लाखों की आबादी प्रभावित है और बड़ी संख्या में लोग शिविरों में शरण लिए हुए हैं। खाने-पीने से लेकर चिकित्सा तक हर स्तर पर चुनौतियां सामने हैं। सरकार ने राहत सामग्री भेजने का दावा किया है, लेकिन ग्रामीण इलाकों में जरूरतें इससे कहीं अधिक हैं।
उत्तर प्रदेश के बाढ़ प्रभावित जिलों में तस्वीर बेहद डरावनी है। आगरा से लेकर फर्रुखाबाद और कन्नौज से लेकर इटावा तक लोग चारों ओर पानी से घिरे हैं। राहत और बचाव का काम जारी है, लेकिन लाखों प्रभावित लोगों के सामने जिंदगी फिर से पटरी पर लाना एक बड़ी चुनौती है।
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