पंजाब में बाढ़ से हाहाकार मचा हुआ है, घर, सड़क, दुकान सबकुछ बाढ़ की चपेट में हैं। पंजाब के सभी 23 जिलों में बाढ़ से जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। अमृतसर में स्थिति काफी खराब है। अमृतसर जिले में हर तरफ बर्बादी नजर आ रही है। सैकड़ों एकड़ फसल बाढ़ में डूब चुकी है और गलियों में भी तीन से चार फीट पानी भरा है। कई घरों के भीतर भी दो-दो फीट पानी है। लोगों का कहना है कि उन्हें पहली बार ऐसी बाढ़ का सामना करना पड़ रहा है। बाढ़ ने फसल बचने की रही सही उम्मीद भी मिट्टी में मिला दी है।
अमृतसर जिले के कई गांवों में घर जर्जर हो चुके हैं। लोगों को कीमती सामान तिरपाल के सहारे सड़कों के किनारे रखना पड़ रहा है। कुछ घर मलबे में तब्दील हो गए हैं। आशियानों के उजड़ने से कई गांवों के लोग राहत टेंटों में रहने को मजबूर हैं। अजनाला इलाके के लगभग 45 गांव पानी में डूब चुके हैं। डीसी साक्षी साहनी, सेना, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, बीएसएफ और स्थानीय प्रशासन की टीमें राहत कार्यों में जुटी हैं। लोगों को दवाइयां, राशन, टेंट व अन्य जरूरी सामान उपलब्ध करवाया जा रहा है।
गांव के लोगों का कहना है कि तिरपाल के सहारे रात गुजारना बहुत मुश्किल है। अस्थायी झोपड़े बारिश की मार नहीं सह पा रहे हैं। पशु बीमार हैं। उनमें से कुछ को पांवों की बीमारी हो गई है। नदी का पानी धीरे-धीरे घट रहा है लेकिन हर तरफ मलबा फैल गया है। इसे निकालने में महीनों लगेंगे। आपदा की चपेट में आए पंजाब में नदियों के उफान से तबाही का मंजर है। इतिहास की सबसे बड़ी बाढ़ त्रासदी ने सबको झकझोर कर रख दिया है। अब तक 46 लोगों की जानें जा चुकी हैं। 1.74 लाख हेक्टेयर फसल बर्बाद हो चुकी है। सभी 23 जिलों के करीब 1500 गांव और 3.87 लाख से अधिक आबादी बाढ़ की चपेट में है। लोगों के आशियाने, सामान और पशुधन बाढ़ में बह चुके हैं।
आपको बता दें कि रावी, व्यास व सतलुज नदी पंजाब की लाइफलाइन मानी जाती हैं। इनकी सहायक नदियों व रजवाहों के जरिये हरियाणा, राजस्थान और दिल्ली तक जलापूर्ति होती है। यहीं से कुछ पानी पाकिस्तान में भी प्रवेश करता है। पहाड़ों से आने वाले पानी के प्रबंधन के लिए रूपनगर व बिलासपुर सीमा पर सतलुज नदी पर भाखड़ा डैम, पठानकोट में रावी नदी पर रणजीत सागर डैम और शाहपुर कंडी डैम व कांगड़ा में ब्यास नदी पर पौंग डैम बने हुए हैं। हिमाचल व पंजाब में सामान्य से अधिक बारिश के चलते बांधों के गेट कई बार खोलने पड़े।