भारत के आसमान में देर रात का नजारा बेहद अनोखा रहा। चांद का रंग बदलकर लाल हो गया और देशभर में लोग इस ‘ब्लड मून’ को देखते रह गए। सोशल मीडिया पर भी इस खगोलीय घटना को लेकर चर्चा तेज रही। आज साल का दूसरा और आखिरी चंद्र ग्रहण लग चुका है, जो कि रात 9 बजकर 58 मिनट पर शुरू हुआ. इस ग्रहण को भारत समेत दुनिया के कई देशों में देखा गया. पूर्ण चंद्र ग्रहण के दौरान चंद्रमा ने लाल रंग बदला, जिसे ब्लड मून कहते हैं.पूर्ण चंद्र ग्रहण देशभर में इस समय जारी है और अलग-अलग हिस्सों में ग्रहण की प्रक्रिया देखने को मिली। दिल्ली-एनसीआर, लखनऊ, गुवाहाटी, तिरुवनंतपुरम और चेन्नई जैसे शहरों से चांद और 'ब्लड मून' की अलग-अलग छवियां सामने आईं।
सूतक काल, हिन्दू धर्म में एक ऐसा समय माना जाता है जो किसी ग्रहण (चंद्र या सूर्य) से पूर्व शुरू होता है। चंद्रग्रहण के मामले में, सूतक काल ग्रहण के लगभग 9 घंटे पहले शुरू होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस काल में वातावरण में नकारात्मक ऊर्जा अधिक सक्रिय हो जाती है क्योंकि राहु और केतु ग्रहों का प्रभाव चंद्रमा पर पड़ता है। इसी कारण से इसे अशुभ समय माना जाता है। इस अवधि में पूजा-पाठ, भोजन, श्रंगार और किसी भी शुभ कार्य को निषिद्ध माना गया है। यह समय आध्यात्मिक साधना, जप, ध्यान और आत्मचिंतन के लिए उपयुक्त होता है। सूतक काल का मुख्य उद्देश्य आत्मा और वातावरण को शुद्ध बनाए रखना है, ताकि ग्रहण के दुष्प्रभावों से बचा जा सके। इसलिए ज्योतिष और धर्मशास्त्र दोनों में इस समय का विशेष महत्व बताया गया है। लाल चंद्रमा परिवर्तन, शक्ति और संघर्ष का संकेत माना जाता है। राहु और गुरु के प्रभाव वाले नक्षत्रों में होने से यह मानसिक तनाव, भावनात्मक अस्थिरता और सामाजिक उथल-पुथल ला सकता है। उच्च पदस्थ नेता, अधिकारी और बड़े व्यवसायी के बीच टकराव की स्थिति बन सकती है। आम लोगों के लिए भी यह समय सतर्कता का है। कार्यस्थल पर वरिष्ठों से विवाद, रिश्तों में गलतफहमी और योजनाओं में बाधा संभव है।