Hindi News
›
Video
›
India News
›
Shibu Soren Passed Away: The end of an era for Jharkhand, the story of Dishom Guru is memorable. Explainer Vid
{"_id":"6890754eaa2a3c28060356b6","slug":"shibu-soren-passed-away-the-end-of-an-era-for-jharkhand-the-story-of-dishom-guru-is-memorable-explainer-vid-2025-08-04","type":"video","status":"publish","title_hn":"Shibu Soren Passed Away: झारखंड के एक युग का अंत, दिशोम गुरु की कहानी यादगार है। Explainer Video","category":{"title":"India News","title_hn":"देश","slug":"india-news"}}
Shibu Soren Passed Away: झारखंड के एक युग का अंत, दिशोम गुरु की कहानी यादगार है। Explainer Video
वीडियो डेस्क, अमर उजाला डॉट कॉम Published by: अभिलाषा पाठक Updated Mon, 04 Aug 2025 03:00 PM IST
झारकंड के आदिवासी समाज के लिए शिबू सोरेन सबसे बड़े गुरु थे. उन्होंने आदिवासियों को सिखाया कि अपने हक को छोड़ने की गलती नहीं करनी है, बल्कि उसे प्राप्त करना है. उन्होंने झारखंड अलग राज्य का सपना देखा ताकि इस क्षेत्र और यहां के लोगों का विकास हो सके और उन्होंने अपने सपने को जनांदोलन के जरिए साकार करवाया, जब 15 नवंबर 2000 को झारखंड अलग राज्य का गठन हुआ. झारखंड के महानायक और तीन बार के मुख्यमंत्री शिबू सोरेन ने काफी संघर्ष किया।. शिबू सोरेन 19 जून से अस्पताल में भर्ती थे और संघर्ष कर रहे थे, सोमवार 4 अगस्त की सुबह को उनका निधन हो गया. शिबू सोरेन आदिवासियों के सर्वमान्य नेता थे और उन्होंने अपना पूरा जीवन ही आदिवासी कल्याण के लिए लगाया. झारखंड अलग राज्य का संघर्ष उन्होंने किया और तब तक लड़े जबतक कि उनका यह सपना पूरा नहीं हुआ.शिबू सोरेन संताल आदिवासी हैं और इनका पैतृक निवास रामगढ़ जिले के नेमरा गांव में है. इनके पिता सोबरन सोरेन पेशे से शिक्षक थे और इलाके में महाजनी प्रथा, सूदखोरी और शराबबंदी के खिलाफ आंदोलन चला रखा था. शिबू सोरेन का जन्म नेमरा में ही 11 जनवरी 1944 को हुआ था. जब वे महज 13 साल के थे तब उनके पिता सोबरन सोरेन की 1957 में हत्या कर दी गई थी. पिता की हत्या के बाद शिबू सोरेन के बाल मन पर इसका गहरा प्रभाव पड़ा और उन्होंने साहूकारों और महाजनों के खिलाफ संघर्ष शुरू कर दिया.
टुंडी प्रखंड के पलमा से शिबू सोरेन ने महाजनों और सूदखोरों के खिलाफ अपना आंदोलन शुरू किया था. संताल समाज को जागरूक करने और लोगों को शिक्षित करने के लिए सोनोत संताल समाज का गठन किया. शिबू सोरेन ने आदिवासी समाज को अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करने और नशे से दूर रखने के लिए काफी प्रयास किए. 1970 के दशक में झारखंड में महाजनों का आतंक कायम था. वे आदिवासी किसानों को अपने ऋण के जाल में फंसा लेते थे और उनसे मनमाना सूद वसूलते थे. सूद ना दे पाने की स्थिति में वे आदिवासियों की जमीन पर कब्जा कर लेते थे. जमीन पर से हक खत्म हो जाने के बाद आदिवासी बदहाल हो जाते थे क्योंकि जमीन ही उनकी जीविका का साधन था. शिबू सोरेन के पिता की हत्या में भी इन महाजनों का ही हाथ माना जाता था, इसलिए शिबू सोरेन ने महाजनों के आतंक से मुक्ति दिलाने के लिए शिबू सोरेन ने उन जमीनों पर धान काटो अभियान चलाया, जिसे ऋण के बदले में महाजन कब्जाए बैठे थे.
इस अभियान के दौरान आदिवासी महिलाएं जमीन से धान काट लेती थीं और धनकटनी के दौरान आदिवासी पुरुष तीर-धनुष लेकर सुरक्षा में तैनात रहते थे. इस तरह महाजनों को शिबू सोरेन ने टक्कर दी. इतना ही नहीं उन्होंने आदिवासियों को सामूहिक खेती और सामूहिक पाठशाला के लिए प्रेरित किया.शिबू सोरेन ने आदिवासी अधिकारों को सुरक्षित करने और उन्होंने शोषण से मुक्ति दिलाने के लिए उन लोगों को एक मंच पर लाने का काम किया, जो एक ही तरह के कार्यों के लिए अलग-अलग संघर्ष कर रहे थे.‘झारखंड मुक्ति मोर्चा’ नामक नया संगठन बनाने का निर्णय हुआ. इसके बाद झारखंड मुक्ति मोर्चा का गठन हुआ. झामुमो के गठन के साथ ही विनोद बिहारी महतो इसके पहले अध्यक्ष बने थे और शिबू सोरेन को महासचिव बनाया गया था.झारखंड मुक्ति मोर्चा के गठन के बाद उन्होंने पहली बार 1977 में लोकसभा और टुंडी विधानसभा क्षेत्र का चुनाव लड़ा, लेकिन दोनों ही चुनाव में उन्हें हार मिली. उसके बाद गुरुजी ने संताल परगना का रुख किया और 1980 में दुमका लोकसभा क्षेत्र से चुनाव जीतकर जेएमएम के पहले सांसद बने.वहीं जेएमएम की एक बड़ी उपलब्धि यह रही कि 1980 के विधानसभा चुनाव में संताल परगना के 18 में से 9 सीटों पर जेएमएम को जीत मिली. उस वक्त झारखंड बिहार का हिस्सा था और जेएमएम की जीत से बिहार की राजनीति में बड़ा बदलाव हुआ.
एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें
Next Article
Disclaimer
हम डाटा संग्रह टूल्स, जैसे की कुकीज के माध्यम से आपकी जानकारी एकत्र करते हैं ताकि आपको बेहतर और व्यक्तिगत अनुभव प्रदान कर सकें और लक्षित विज्ञापन पेश कर सकें। अगर आप साइन-अप करते हैं, तो हम आपका ईमेल पता, फोन नंबर और अन्य विवरण पूरी तरह सुरक्षित तरीके से स्टोर करते हैं। आप कुकीज नीति पृष्ठ से अपनी कुकीज हटा सकते है और रजिस्टर्ड यूजर अपने प्रोफाइल पेज से अपना व्यक्तिगत डाटा हटा या एक्सपोर्ट कर सकते हैं। हमारी Cookies Policy, Privacy Policy और Terms & Conditions के बारे में पढ़ें और अपनी सहमति देने के लिए Agree पर क्लिक करें।