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धमाके से पहले का आतंकी डॉ. उमर का वीडियो आया सामने
अमर उजाला डिजिटल डॉट कॉम Published by: आदर्श Updated Tue, 18 Nov 2025 04:42 PM IST
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दिल्ली के लाल किला क्षेत्र को 10 नवंबर को दहलाने वाले कार ब्लास्ट मामले में एक और बड़ा खुलासा सामने आया है। जैश-ए-मोहम्मद से जुड़े फिदायीन हमलावर डॉ. उमर मोहम्मद नबी का एक नया वीडियो सामने आया है, जिसमें वह अंग्रेजी में आत्मघाती हमलों को जायज ठहराते हुए भड़काऊ भाषण दे रहा है। इस वीडियो ने सुरक्षा एजेंसियों की चिंता बढ़ा दी है, क्योंकि यह न केवल उसकी कट्टरपंथी सोच को उजागर करता है, बल्कि यह भी साबित करता है कि हमला किसी दुर्घटना का नतीजा नहीं, बल्कि एक सुनियोजित साजिश का हिस्सा था।
वीडियो में उमर शांत स्वर में बैठकर कहता है कि लोग आत्मघाती हमलों की “अवधारणा को गलत समझते हैं।” उसके अनुसार, यह किसी व्यक्ति की “नियति” से जुड़ा कदम है और इस्लाम में इसे ‘शहादत अभियान’ कहा जाता है। वह दावा करता है कि “मौत से डरने की जरूरत नहीं,” और व्यक्ति तब सबसे “खतरनाक मानसिक अवस्था” में पहुंचता है जब वह यह मान लेता है कि उसकी मौत एक तय समय और स्थान पर होना निश्चित है। यह बयान उसके आतंकी प्रशिक्षण और गहरी जड़ें जमा चुके कट्टरपंथ को उजागर करता है।
वीडियो की भाषा, उमर का लहजा और उसकी तर्कशक्ति बताती है कि वह पढ़ा-लिखा और विचारधारात्मक रूप से पूरी तरह कट्टर बना हुआ व्यक्ति था। विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे शिक्षित, तकनीक-जानकार और विचारधारात्मक रूप से चरमपंथी तत्व सुरक्षा एजेंसियों के लिए नई चुनौती हैं, क्योंकि ये न केवल आतंकी विचारधारा फैलाते हैं बल्कि तकनीक का इस्तेमाल कर हमलों को अधिक घातक और योजनाबद्ध बनाते हैं।
10 नवंबर के कार ब्लास्ट में 14 लोगों की मौत हुई और 20 से अधिक घायल हुए। घटना के बाद से पुलिस और केंद्रीय एजेंसियां लगातार तकनीकी जांच में जुटी हुई हैं।
डिजिटल डेटा विश्लेषण के दौरान कई चौंकाने वाली जानकारियां सामने आई हैं:
68 संदिग्ध मोबाइल नंबर जांच के केंद्र में
• सुनहरी बाग पार्किंग और धमाके की जगह दोनों जगहों पर एक ही समय पर 68 मोबाइल नंबर सक्रिय पाए गए।
• कई नंबरों पर पाकिस्तान और तुर्किये से कॉल आई थीं।
• कई फोन विदेशी सर्वर से जुड़े थे और आईपी लगातार पाकिस्तान–तुर्किये के बीच स्विच हो रहा था।
• इससे मजबूत संकेत मिलते हैं कि ब्लास्ट के पीछे एक संगठित अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क सक्रिय था।
पुलिस ने दोनों इलाकों से मोबाइल टावर का डंप डेटा उठाया। जांच में पाया गया कि:
• धमाके से ठीक पहले कई संदिग्ध नंबरों पर असामान्य डेटा ट्रांसफर हुआ।
• सुनहरी बाग पार्किंग में उमर की आई-20 कार तीन घंटे खड़ी रही और उसके 30 मीटर क्षेत्र में 187 मोबाइल सक्रिय मिले।
• धमाके के पांच मिनट पहले और बाद ब्लास्ट साइट पर 912 मोबाइल नंबर सक्रिय थे।
इन दोनों जगहों की लोकेशन हिस्ट्री मिलान में 68 नंबर ऐसे मिले जो दोनों जगह मौजूद थे यानी इन्हें सीधे साजिश से जोड़ने की संभावना अधिक है।
जांच में दो फोन ऐसे मिले हैं जिनकी लोकेशन हर मिनट बदल रही थी, जो ‘स्पूफिंग’ यानी फोन के नेटवर्क को कृत्रिम रूप से दूसरे आईपी पर डालने की तकनीक का इस्तेमाल होने का संकेत देती है।
इससे साफ है कि हमलावर तकनीकी रूप से सक्षम थे और उन्होंने अपनी गतिविधियों को छिपाने के लिए कई लेयर वाली साइबर रणनीति अपनाई थी।
एजेंसियां अब इन 68 नंबरों, विदेशी सर्वरों और पाकिस्तान–तुर्किये लिंक को खंगाल रही हैं। उमर के भड़काऊ वीडियो ने यह साफ कर दिया है कि यह हमला किसी आकस्मिक विस्फोट का परिणाम नहीं, बल्कि एक सोच-समझकर रचा गया आत्मघाती मिशन था।
लाल किले का यह ब्लास्ट न केवल दिल्ली की सुरक्षा में सेंध है, बल्कि भारत के सामने आतंकवाद के एक नए, डिजिटल रूप की भयावह चुनौती भी पेश करता है।
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