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Khajuraho Dance Festival: महोत्सव के दूसरे दिन बिखरा शास्त्रीय नृत्यों का वैभव, मंत्रमुग्ध हुए दर्शक
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, छतरपुर Published by: अंकिता विश्वकर्मा Updated Wed, 22 Feb 2023 02:32 PM IST
नृत्य जीवन के आनंद की अनुभूति कराते हैं। फिर चाहे वे लोक नृत्य हों या शास्त्रीय नृत्य। फिर भारतीय नृत्यकला तो हमारी धर्म और संस्कृति से जुड़ी है सो यह और भी आनंददायी हो जाती है। खजुराहो नृत्य महोत्सव के दूसरे दिन मंगलवार को ऐसे ही आनंद की अनुभूति हुई। लक्ष्मी गोवर्धनन के कुचिपुड़ी, मैथिल देविका और संगियों के मोहिनीअट्टम तथा वैभव आरेकर व साथियों के भरतनाट्यम नृत्य की चपल थिरकन से एक बार फिर खजुराहो का वैभव दमक उठा। साथ ही पर्यटन की साहसिक गतिविधियों में विशेषकर हॉट एयर बैलूनिंग ने पर्यटकों को रोमांच से भर दिया। पर्यटकों ने उत्सव में ग्लैंपिंग, विलेज टूर, वॉक विद पारधी, ई-बाइक टूर, सेग-वे टूर, वाटर एडवेंचर जैसी रोमांचक गतिविधियों का मजा लिया। विशेषकर स्थानीय संस्कृति, कला और स्थानीय बुंदेली व्यंजनों के स्वाद का भी पर्यटक ने लुत्फ उठाया।
समारोह के दूसरे दिन की शुरुआत कुचिपुड़ी नृत्य से हुई। ख्याति प्राप्त नृत्यांगना लक्ष्मी गोवर्धनन ने नृत्य में लयात्मक और गत्यात्मक पद व अंग संचालन से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। कुचिपुड़ी के विशेष तरंगम प्रारूप में उन्होंने कृष्ण स्तुति से नृत्य की शुरुआत की। दरअसल यह स्तुति पूतना के कथानक पर थी। पूतना को कंस ने कृष्ण को मारने के लिए भेजा था। उत्कृष्ट नृत्यकला भाव प्रवण अभिनय से लक्ष्मी ने पूतना के चरित्र को बड़े ही सलीके से निभाया। वृन्दावन में कृष्ण के आने की खुशियां और उन खुशियों में पूतना का खो जाना, बाल कृष्ण से मिलकर मातृत्व भाव का पैदा होना ये सब लक्ष्मी ने नृत्य भावों में ऐसे पिरोया कि दर्शक भाव विभोर हो गए। अंत में कृष्ण द्वारा पूतना वध करने और उसे मोक्ष प्रदान करने के अभिनय ने भी दर्शकों को एक अलग ही अनुभूति कराई। लक्ष्मी ने तरंगम से अपने नृत्य का समापन किया। कर्नाटक शैली के विभिन्न रागों और तालों से सजी यह प्रस्तुति अदभुत थी। कुचिपुड़ी में तरंगम एक हैरत अंगेज प्रदर्शन है। इसमें लक्ष्मी ने पीतल की थाली की रिम यानी किनारी पर लयबद्ध होकर पैरों की गति को निष्पादित किया। इसमें उनका कौशल देखने लायक था। इस प्रस्तुति में नटवांगम पर वरुण राजशेखरन, गायन पर वेंकटेश्वरन, मृदंगम पर श्रीरंग सीटी एवम वायलिन पर राघवेंद्र प्रसाद ने साथ दिया।
दूसरी प्रस्तुति मैथिल देविका और उनके साथी धनुक़ एवं अर्जुन की मोहिनीअट्टम की थी। देविका और उनके साथियों ने तीन प्रस्तुतियां दीं। पहली प्रस्तुति आदि शंकराचार्य कृत सौंदर्य लहरी से थी। सौंदर्य लहरी केवल काव्य ही नहीं यह तंत्र ग्रंथ भी है। मैथिल देविका और उनके दोनों साथियों ने इस कृति में माँ भगवती के अद्वैत से लेकर भक्ति की तांत्रिक क्रियाओं को बखूबी नृत्य मुद्राओं के साथ पेश किया। अगली कड़ी में उन्होंने नारायण गुरु कृत भद्रकाली अष्टकम पर प्रस्तुति दी। इसमें उन्होंने माँ भद्रकाली के रूपों को नृत्यभावों में समाहित कर पेश किया। नृत्य का समापन उन्होंने उच्चशिला रचना से किया। मैथिल वेणुगोपाल की इस रचना पर मैथिल देविका और उनके साथियों ने संगीत की सोपान शैली में विभिन्न लयों में हस्त एवं पदमुद्राओं के साथ बखूबी पेश किया।
सभा का समापन वैभव आरेकर और उनके नौ साथियों के भरतनाट्यम नृत्य से हुआ। सांख्य डांस कंपनी के जरिये वैभव आरेकर और उनके साथी ने खजुराहो के वैभवशाली मंच पर "अभंग रंग" की प्रस्तुति दी। इस प्रस्तुति को रामायण से लिया गया था। विष्णु जी के अवतार भगवान राम की महिमा को बखान करते तीन कथानकों में ताड़का वध, अहिल्या उद्धार और सीता स्वयम्बर की कथा को वैभव और उनके साथियों ने नृत भावों अंग और पद संचालन से बखूबी पेश किया। ये सम्पूर्ण प्रस्तुति मराठी अभंगों पर की गई। नृत्य का समापन आपने मराठी अभंग में विट्ठल दर्शन रचना से किया। इस पूरी प्रस्तुति का संगीत संयोजन अरुणा साईंराम ,के गणेशन एवं जयंत निरडकर का था।
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