जयपुर जिले के मनोहरपुर थाना क्षेत्र में मंगलवार सुबह एक दर्दनाक हादसे ने तीन परिवारों की जिंदगी उजाड़ दी। टोड़ी गांव के पास मजदूरों से भरी एक निजी बस 11 हजार वोल्ट की हाईटेंशन लाइन के संपर्क में आ गई, जिससे बस में आग लग गई। हादसे में तीन मजदूरों की मौके पर मौत हो गई, जबकि करीब 12 मजदूर गंभीर रूप से झुलस गए। घायलों को मनोहरपुर के सरकारी अस्पताल से जयपुर एसएमएस अस्पताल रेफर किया गया है। सभी मृतक उत्तर प्रदेश के रहने वाले बताए जा रहे हैं, जो पास के ईंट-भट्ठे में काम करने जा रहे थे।
छत पर रखा सामान बना खतरा
जानकारी के मुताबिक, बस की छत पर मजदूरों ने अपना सामान, मोटरसाइकिलें, बकरियां और गैस सिलेंडर तक रखे थे। रास्ते में बस की छत पर रखा सामान ऊपर से गुजर रही हाईटेंशन लाइन से टकरा गया। संपर्क होते ही जोरदार धमाका हुआ और बस में आग भड़क उठी। सिलेंडरों में विस्फोट से आग और तेजी से फैल गई। कुछ ही सेकंड में पूरी बस आग के गोले में बदल गई और उसमें सवार मजदूरों में अफरातफरी मच गई।
ग्रामीणों ने दिखाया साहस, कई मजदूरों की बची जान
धमाके की आवाज सुनकर आसपास के ग्रामीण मौके पर दौड़े। उन्होंने बिना देर किए बस की खिड़कियां तोड़कर मजदूरों को बाहर निकाला। कई लोग गंभीर रूप से झुलस गए। फायर ब्रिगेड की दो गाड़ियों ने करीब 45 मिनट की मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया। प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि अगर ग्रामीण समय पर नहीं पहुंचते, तो मौतों का आंकड़ा कहीं अधिक होता।
जांच शुरू, लेकिन जिम्मेदारी तय नहीं
हादसे की जानकारी मिलते ही शाहपुरा एसडीएम, मनोहरपुर थाना अधिकारी और जयपुर डिस्कॉम के इंजीनियर मौके पर पहुंचे। डिस्कॉम की प्रारंभिक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि लाइन की ऊंचाई मानक के अनुसार थी, लेकिन बस की छत पर भारी सामान और गैस सिलेंडर रखे जाने से हादसा हुआ। हालांकि ग्रामीणों ने इस रिपोर्ट को औपचारिक सफाई बताते हुए खारिज किया है। उनका कहना है कि कई बार शिकायत करने के बावजूद विभाग ने हाईटेंशन लाइनों की ऊंचाई नहीं बढ़ाई।
मुख्यमंत्री ने जताया दुख, जांच रिपोर्ट मांगी
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने हादसे पर गहरा दुख जताया और मृतकों के परिवारों के प्रति संवेदना प्रकट की। उन्होंने घायलों के समुचित इलाज और दोषियों की जवाबदेही तय करने के निर्देश दिए हैं। जिला प्रशासन ने 48 घंटे में जांच रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया है।
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ग्रामीणों की नाराजगी, विभागों पर सवाल
टोड़ी गांव के ग्रामीणों ने कहा कि सड़क के ऊपर से गुजरती हाईटेंशन लाइनें लंबे समय से खतरा बनी हुई हैं, लेकिन बिजली विभाग ने कभी स्थायी समाधान नहीं किया। ग्रामीणों ने पूछा कि अगर लाइनें मानक के अनुसार थीं, तो करंट बस तक कैसे पहुंचा? और विभाग ने पहले सुरक्षा जांच क्यों नहीं की?
परिवहन विभाग की लापरवाही भी उजागर
कुछ समय पहले जयपुर आरटीओ ने ‘नो लगेज अभियान’ चलाया था, जिसके तहत बसों की छत पर सामान रखने पर रोक लगाई गई थी। बावजूद इसके, इस बस में सिलेंडर और सामान खुलेआम लादे गए। यह हादसा इस बात का प्रमाण है कि अभियान केवल कागजों तक सीमित रहा।
आगे की कार्रवाई
प्रशासन ने जांच समिति गठित कर दी है, लेकिन अब तक किसी अधिकारी की जवाबदेही तय नहीं हुई है। ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि दोषियों पर कार्रवाई नहीं की गई, तो वे बिजली विभाग के खिलाफ आंदोलन करेंगे।
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