सनातन धर्म में हर दिन कोई ना कोई व्रत त्योहार होते ही है। महिलाएं परिवार ,जीवनसाथी और अपनी संतान के लिए कई व्रत उपवास रखती हैं।अहोई अष्टमी कार्तिक महीने का ऐसा व्रत है जिसको महिलाएं विधि विधान से करती हैं। संतान के अच्छे स्वास्थ्य और लंबी आयु के लिए रखा जाने वाला एक महत्वपूर्ण व्रत अहोई अष्टमी आने वाली 28 को है। ये व्रत महिलाएं अपने बच्चों की सलामती के लिए रखती हैं। इस बार ये व्रत बेहद शुभ तिथि में है। ज्योतिष शास्त्र में गुरु पुष्य तिथि बेहद शुभ मानी जाती है और इस बार अहोई अष्टमी इस तिथि में है। आपको बता दें कि 28 अक्टूबर को दोपहर 12 बजकर 49 मिनट से अष्टमी तिथि आरंभ हो जाएगी जो 29 अक्तूबर की दोपहर 02 बजकर 10 मिनट तक रहेगी। अहोई अष्टमी पर पूजा का शुभ मुहूर्त 28 अक्तूबर को शाम 05 बजकर 40 मिनट से शाम 06 बजकर 56 मिनट तक रहेगा।
अहोई अष्टमी के दिन सुबह उठकर स्नान आदि से नृवृत होकर निर्जला व्रत का अनुष्ठान करें और दिनभर भजन जप आदि करेंइसके बाद माता पार्वती और भगवान गणेश की मूर्ति को स्थापित करें। अहोई माता की तस्वीर को रोली,चावल, फूल और गंगाजल से पूजन करें। पूजन के बाद माताएं अहोई माता की आरती और कथा सुनें और अंत में अपने बुजुर्गों का आशीर्वाद प्राप्त करते हुए व्रत का पारण करें।
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