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बांग्लादेश में क्यों जारी है हिंसा: कहां गायब हादी को मारने वाला, सरकार क्या कर रही? जानें भारत के लिए मायने

स्पेशल डेस्क, अमर उजाला Published by: कीर्तिवर्धन मिश्र Updated Tue, 23 Dec 2025 12:49 PM IST
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सार

बांग्लादेश में उस्मान हादी की मौत के बाद हालात कैसे बिगड़े हैं? हादी को मारने वालों के बारे में अब तक क्या जानकारी सामने आई है? यह घटनाएं कैसे बांग्लादेश में चुनावी प्रक्रिया को प्रभावित कर रही हैं? भारत अपने पड़ोसी मुल्क को लेकर क्यों चिंतित है और इस पूरी स्थिति के क्या मायने हैं? आइये जानते हैं...

Bangladesh Sharif Osman Hadi Crisis student Leader shot Muhammad Yunus Govt NCP BNP Awami League Violence
बांग्लादेश में चरम पर हिंसा। - फोटो : PTI/Amar Ujala
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विस्तार
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बांग्लादेश में हिंसा बदस्तूर जारी है। ढाका से लेकर चटगांव तक भीड़ के प्रदर्शन और उससे जुड़ी हिंसा की खबरें सामने आ रही हैं। 12 दिसंबर को इंकलाब मंच के छात्र नेता उस्मान हादी को गोली मार दी गई थी। इसके बाद 18 दिसंबर को हादी का सिंगापुर में निधन हो गया और तब से लेकर अब तक बांग्लादेश में लगातार माहौल तनावपूर्ण बना हुआ है। इसके ठीक बाद चटगांव में एक हिंदू शख्स की लिंचिंग की घटना ने पूरी दुनिया को चौंका दिया। अब बांग्लादेश के नए राजनीतिक दल नेशनल सिटीजन पार्टी (एनसीपी) के एक नेता पर भी हमला हुआ है। सोमवार को एनसीपी के मोहम्मद मुतालिब सिकदर को खुलना में गोली मार दी गई। इस हमले में सिकदर के सिर पर चोट आई है। बताया गया है कि उसे गंभीर स्थिति में अस्पताल में भर्ती कराया गया है। 
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माना जा रहा है कि हादी की हत्या की घटना के बाद बांग्लादेश में जो हिंसा भड़की थी, अब सिकदर पर हमले की घटना से वह स्थिति और बिगड़ सकती है। ऐसे में यह जानना अहम है कि आखिर बांग्लादेश में उस्मान हादी की मौत के बाद हालात कैसे बिगड़े हैं? हादी को मारने वालों के बारे में अब तक क्या जानकारी सामने आई है? यह घटनाएं कैसे बांग्लादेश में चुनावी प्रक्रिया को प्रभावित कर रही हैं? भारत अपने पड़ोसी मुल्क को लेकर क्यों चिंतित है और इस पूरी स्थिति के क्या मायने हैं? आइये जानते हैं...
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बांग्लादेश में हिंसा की ताजा घटनाओं की वजह क्या है?

बांग्लादेश के छात्र नेता शरीफ उस्मान हादी की मौत 18 दिसंबर को हुई थी, हादी ने ढाका में गोली मारे जाने के छह दिन बाद इलाज के दौरान सिंगापुर में उन्होंने दम तोड़ दिया था। हादी इंकलाब मंच के संयोजक थे और पिछले साल जुलाई में शेख हसीना शासन के खिलाफ विद्रोह से जुड़े एक प्रमुख व्यक्ति थे। उन्हें 12 दिसंबर को ढाका के बिजोयनगर क्षेत्र में गोली मारी गई थी। बताया जाता है कि वह अपने चुनावी अभियान की शुरुआत कर रहे थे। इसी दौरान ई-रिक्शा से जाते वक्त उन्हें मोटरसाइकिल पर सवार नकाबपोश हमलावरों ने सिर में गोली मार दी थी। गोली लगने के बाद उन्हें पहले ढाका के एक स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया गया। हालांकि, हालत बिगड़ने के बाद उन्हें चिकित्सा देखभाल के लिए सिंगापुर ले जाया गया।



अधिकारियों ने फैसल करीम मसूद को इस हत्या का मुख्य संदिग्ध बताया है, जो अपदस्थ आवामी लीग की छात्र इकाई (स्टूडेंट लीग) का एक पूर्व नेता है। इस बीच बांग्लादेश की कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में पुलिस और जांच एजेंसियों के सूत्रों के हवाले से दावा किया गया कि हादी के हमलावर सीमा पार करके भारत भाग गए थे। ऐसी खबरें सामने आने के बाद हादी के समर्थकों में गुस्सा भड़क गया। देखते ही देखते बांग्लादेश में हादी के समर्थन में प्रदर्शन और हिंसा भड़क उठी। कई प्रदर्शनकारियों ने इस दौरान बांग्लादेश में स्थित भारतीय मिशनों को निशाना बनाया और पत्थरबाजी की।

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हादी को मारने वालों के बारे में अब तक क्या जानकारी सामने आई है?

उस्मान हादी की हत्या के मामले में शुरुआती जांच में आरोपियों के भारत भागने की झूठी रिपोर्ट्स चलीं, जिससे पूरे देश में भारत विरोधी प्रदर्शन हुए। हालांकि, बाद में पुलिस ने कहा कि उनके पास ऐसा कोई इनपुट नहीं है कि घटना को अंजाम देने वाले बांग्लादेश से बाहर भाग पाए हैं।

अधिकारियों ने मसूद के लिए देशव्यापी लुकआउट नोटिस और यात्रा प्रतिबंध जारी किया है। पुलिस ने उसकी गिरफ्तारी के लिए जानकारी देने वाले को 50 लाख टका इनाम देने की पेशकश भी की है। फिलहाल मसूद के ठिकाने के बारे में कोई खास जानकारी अब तक पुलिस को नहीं मिली है। अधिकारी यह तक पुष्टि नहीं कर पाए हैं कि वह देश छोड़कर भागा है या बांग्लादेश में ही छिपा है।

पुलिस ने अब तक इस हत्या के सिलसिले में मसूद के परिवार के सदस्यों को गिरफ्तार किया है, जिनमें उसके पिता, मां, पत्नी और बहनोई शामिल हैं।

यह घटनाएं कैसे बांग्लादेश में चुनावी प्रक्रिया को प्रभावित कर रही हैं?

ये घटनाएं बांग्लादेश की चुनावी प्रक्रिया को कई तरीकों से प्रभावित कर रही हैं, खासकर फरवरी में होने वाले राष्ट्रीय चुनावों के संबंध में।

1. चुनावों के स्थगन की आशंका
सबसे बड़ी चिंता यह है कि कानून और व्यवस्था की बिगड़ती स्थिति के कारण फरवरी में होने वाले चुनावों में देरी हो सकती है। बांग्लादेश ने हादी की हत्या से एक दिन पहले ही चुनावों की तारीख की घोषणा की गई थी। हादी की मौत के बाद भड़की हिंसा को बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) ने आगामी राष्ट्रीय चुनावों में बाधा डालने के लिए एक सुनियोजित साजिश बताया है। मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार ने भी चेतावनी दी है कि हिंसा के ये कार्य देश की लोकतांत्रिक प्रक्रिया को पटरी से उतारने के प्रयास हैं।

चौंकाने वाली बात यह है कि भारत के खिलाफ तमाम आरोप लगाने और सुरक्षा व्यवस्था कड़ी करने के दावों के बावजूद सोमवार को एक बार फिर छात्र नेता पर हमला हुआ है। ऐसे में बांग्लादेश के अंतरिम प्रमुख की भूमिका को लेकर भी चर्चाएं तेज हैं। 

2. उम्मीदवार को चुनावी दौड़ से हटाना
उस्मान हादी खुद आगामी चुनावों में ढाका-8 निर्वाचन क्षेत्र से एक स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ने की योजना बना रहे थे। उनकी हत्या, जो चुनावी अभियान शुरू करते समय की गई थी, ने विपक्ष के एक प्रमुख व्यक्ति को चुनावी दौड़ से हटा दिया। अब एक और छात्र नेता पर हमला बाकी उम्मीदवारों में डर बैठाने की साजिश के तौर पर देखा जा रहा है।

3. अस्थिरता और कानून-व्यवस्था की विफलता
हादी की हत्या और उसके बाद हुई हिंसा, जिसमें मीडिया संगठनों पर हमले और अन्य राजनीतिक नेताओं पर हमला शामिल है, ने देश में नई अस्थिरता पैदा की है। पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने कार्यवाहक सरकार पर ढाका में हिंसा को नियंत्रित करने में विफल रहने का आरोप लगाया है, जिससे आंतरिक स्थिरता प्रभावित हो रही है। भारत को भी इस बात की गहरी चिंता है कि पड़ोस में अस्थिरता का माहौल फरवरी चुनावों को प्रभावित कर सकता है।

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4. चुनावी विश्वसनीयता पर सवाल
हादी की हत्या के बाद फैली अराजकता के बीच, भारत और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय इन चुनावों को इस बात के लिए करीब से देख रहे हैं कि क्या ये स्वतंत्र, निष्पक्ष, समावेशी और विश्वसनीय होंगे। अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना की पार्टी आवामी लीग को चुनाव लड़ने की अनुमति नहीं दी गई है। ऐसे में वह खुद इन चुनावों की विश्वसनीता पर सवाल उठा रही हैं। भारत की तरफ से भी लगातार एक समावेशी चुनाव की मांग की गई है, जिसमें सभी की आवाज शामिल हो।

5. भय और स्वतंत्र मतदान का अभाव
अशांति और हिंसा के माहौल ने यह सुनिश्चित करने की चुनौती बढ़ा दी है कि नागरिक स्वतंत्र रूप से और बिना किसी डर के अपने अधिकारों का इस्तेमाल कर सकें। हालांकि, जुलाई क्रांति के बाद हिंदुओं के खिलाफ हुई हिंसा और अब दीपू दास की हत्या से अल्पसंख्यकों में डर बैठा है। इस बीच कार्यवाहक सरकार, जिसका मकसद लोगों को मतदान के लिए प्रोत्साहित करना था, अब कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए संघर्ष कर रही है। इससे बांग्लादेश में संदेश जा रहा है कि मौजूदा स्थिति में चुनाव कराना असुरक्षित है और इनमें देरी कराई जा सकती है। खुद मोहम्मद यूनुस ने नागरिकों से भीड़ की हिंसा का विरोध करने का आग्रह किया है, जो बिगड़ती स्थिति को दर्शाता है।

भारत अपने पड़ोसी मुल्क को लेकर क्यों चिंतित है?

भारत अपने पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश में बढ़ती अस्थिरता और हालिया हिंसक घटनाओं को लेकर गहरी चिंता जाहिर करता रहा है। हालांकि, उस्मान हादी की हत्या के बाद बांग्लादेश में हुई हिंसा और अशांति के दौरान, ढाका में भारतीय उच्चायोग और पूरे बांग्लादेश में उसके सहायक उच्चायोगों को खतरों का सामना करना पड़ा है। भारत के चार सहायक उच्चायोग चटगांव, राजशाही, खुलना और सिलहट में स्थित हैं, जहां सुरक्षा चिंताएं जाहिर की जा चुकी हैं। भारत ने इस संबंध में बांग्लादेश के दूत को दिल्ली में तलब किया और ढाका के अधिकारियों से भारतीय मिशनों की सुरक्षा सुनिश्चित करने को कहा है। साथ ही बहकाने वाली रिपोर्ट्स को लेकर भी चिंताएं जाहिर की हैं।

दिल्ली की चिंता है कि हिंसा और बिगड़ती कानून-व्यवस्था की स्थिति के कारण फरवरी में होने वाले चुनावों में देरी कराई जा सकती है और इस स्थिति का इस्तेमाल बांग्लादेश में नैरेटिव गढ़ने के लिए किया जा सकता है। खासकर पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के भारत में शरण लेने के बाद से दोनों देशों के संबंधों में तेजी से गिरावट आई है, और बांग्लादेश ने बार-बार हसीना के प्रत्यर्पण की मांग की है। माना जा रहा है कि यूनुस सरकार आवामी लीग और शेख हसीना पर बार-बार आरोप लगाकर अपनी जिम्मेदारियों से बचने की कोशिश कर सकती है। 

कट्टरपंथी तत्वों का उदय और घरेलू राजनीति पर प्रभाव

  • भारत इस बात से चिंतित है कि पड़ोस में अस्थिरता का माहौल है और जमात-ए-इस्लामी जैसे दलों का प्रमुख विश्वविद्यालयों के छात्र संघ चुनावों में उदय हो रहा है। भारत को डर है कि हिंसा के माहौल में कट्टरपंथ से जुड़ी अस्थिरता की स्थिति अच्छी नहीं है। 
  • एक वरिष्ठ भारतीय अधिकारी ने भारतीय मीडिया समूह को बताया कि नई दिल्ली पश्चिमी बंगाल में अगले साल (अप्रैल-मई) होने वाले चुनावों के कारण भी स्थिति पर कड़ी नजर रख रहा है, ताकि हिंसा और स्थिति का घरेलू राजनीति पर कोई बुरा प्रभाव न पड़े।

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