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बांग्लादेश में उन्माद पर अमेरिका तक चिंता: सांसद बोले- अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और कानून का राज बहाल करे सरकार

वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, वॉशिंगटन Published by: शिवम गर्ग Updated Tue, 23 Dec 2025 12:25 PM IST
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सार

US lawmakers on Bangladesh Violence: बांग्लादेश में हिंदू युवक दीपू चंद्र दास की मॉब लिंचिंग पर अमेरिकी सांसदों ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। अमेरिकी नेताओं ने अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और कानून व्यवस्था बहाल करने की मांग की।

Bangladesh Unrest: Outrage in America over mob lynching of Hindu youth, US lawmakers strongly condemn
बांग्लादेश में अशांति - फोटो : ANI Photos
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विस्तार
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बांग्लादेश में एक हिंदू युवक की कथित मॉब लिंचिंग को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चिंता बढ़ गई है। अमेरिका के सांसदों ने इस घटना की कड़ी निंदा करते हुए बांग्लादेश सरकार से धार्मिक अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और कानून का राज बहाल करने की मांग की है।

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इलिनॉय से डेमोक्रेट सांसद राजा कृष्णमूर्ति ने हिंदू युवक दीपू चंद्र दास की हत्या को लक्षित हिंसा करार देते हुए कहा कि यह घटना देश में बढ़ती अस्थिरता और अशांति का संकेत है। उन्होंने कहा कि दोषियों के खिलाफ पारदर्शी जांच और सख्त कार्रवाई बेहद जरूरी है। कृष्णमूर्ति ने अपने बयान में कहा मैं बांग्लादेश में दीपू चंद्र दास की मॉब लिंचिंग से बेहद आहत हूं। सरकार को न केवल दोषियों को सजा देनी चाहिए, बल्कि हिंदू समुदाय और अन्य अल्पसंख्यकों को आगे की हिंसा से बचाने के लिए तुरंत कदम उठाने चाहिए।
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वहीं, न्यूयॉर्क स्टेट असेंबली की सदस्य जेनिफर राजकुमार ने भी इस घटना को बेहद भयावह बताते हुए कहा कि यह बांग्लादेश में धार्मिक उत्पीड़न के एक चिंताजनक पैटर्न को दर्शाता है। उन्होंने बताया कि भीड़ ने युवक की बेरहमी से पिटाई की, फिर उसे आग के हवाले कर दिया और शव को सड़क पर छोड़ दिया गया।

राजकुमार के अनुसार, बांग्लादेश हिंदू बौद्ध ईसाई एकता परिषद के आंकड़े बताते हैं कि अगस्त 2024 से जुलाई 2025 के बीच अल्पसंख्यकों पर 2,400 से अधिक हमले हुए और 150 से ज्यादा मंदिरों में तोड़फोड़ की गई।



गौरतलब है कि घटना 19 दिसंबर की है, जब मायमेनसिंह शहर में एक फैक्ट्री में काम करने वाले दीपू चंद्र दास को कथित रूप से ईशनिंदा के आरोप में भीड़ ने मार डाला। अब तक इस मामले में 12 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है। अमेरिकी सांसदों ने स्पष्ट कहा है कि धार्मिक स्वतंत्रता और मानवाधिकारों की रक्षा केवल बांग्लादेश ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया की साझा जिम्मेदारी है।

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