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Bangladesh: बांग्लादेशी विद्रोह के 'मास्टरमाइंड' ने ही एनसीपी से तोड़ा नाता, जमात के साथ गठबंधन से हैं नाराज
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, ढाका
Published by: नितिन गौतम
Updated Mon, 29 Dec 2025 07:53 AM IST
सार
बांग्लादेश में जब से आम चुनाव की तारीखों का एलान हुआ है, तब तक बांग्लादेश में राजनीतिक घटनाक्रम तेजी से बदल रहा है। पहले छात्र नेता उस्मान हादी की हत्या हुई, जिसके बाद बांग्लादेश में हिंसा भड़की। अब जुलाई हिंसा के पीछे के असल दिमाग और एनसीपी के गुरु महफूज आलम ने ही पार्टी छोड़ने का एलान कर दिया है।
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मोहम्मद यूनुस के साथ महफूज आलम (सबसे बायीं तरफ)
- फोटो : X/@ClintonGlobal
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विस्तार
बांग्लादेश में बीते साल हुए विद्रोह और हिंसा के जरिए शेख हसीना की सरकार गिराने के पीछे जिस व्यक्ति का दिमाग बताया जाता है, अब उसने ही एनसीपी से इस्तीफा दे दिया है। वह व्यक्ति है महफूज आलम। रविवार को महफूज आलम ने एनसीपी से इस्तीफा दे दिया। बताया जा रहा है कि जमात ए इस्लामी के साथ एनसीपी के गठबंधन से आलम नाराज हैं और इसलिए उन्होंने एनसीपी छोड़ने का फैसला किया है।
अंतरिम सरकार में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की जिम्मेदारी संभाली
एक फेसबुक पोस्ट के जरिए महफूज आलम ने एनसीपी छोड़ने का एलान किया। जुलाई 2024 में शेख हसीना सरकार के खिलाफ हुई हिंसा स्टूडेंट अगेंस्ट डिस्क्रिमिनेशन के बैनर तले हुई थी। बाद में इस संगठन का राजनीतिक चेहरा एनसीपी बनी, जो मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार का हिस्सा भी बनी। महफूज आलम अंतरिम सरकार में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के सलाहकार के तौर पर, जो कि मंत्री स्तर का पद है, उस पर काम कर रहे थे। बांग्लादेश में चुनाव की घोषणा होने से कुछ समय पहले ही उन्होंने मंत्री पद छोड़ा था।
मोहम्मद यूनुस ने अमेरिका में बताया था जुलाई हिंसा के पीछे का असली दिमाग
बीते साल अमेरिका में एक कार्यक्रम में मोहम्मद यूनुस ने महफूज आलम को शेख हसीना सरकार को सत्ता से बेदखल करने के पीछे का मास्टरमाइंड बताया था और पूरी कथित क्रांति के पीछे का दिमाग बताकर उनकी तारीफ की थी। अब एनसीपी छोड़ने के बाद महफूज आलम के फरवरी में होने वाले आम चुनाव में भी हिस्सा लेने पर संशय पैदा हो गया है। एनसीपी संयोजक नाहिद इस्लाम ने जैसे ही आगामी चुनाव में जमात ए इस्लामी के साथ गठबंधन करने का एलान किया, उसके कुछ घंटे बाद ही महफूज आलम ने एनसीपी छोड़ने का एलान कर दिया।
ये भी पढ़ें- बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हमले: 'यह अलग-अलग आपराधिक घटनाएं..', भारत की चिंताओं पर ढाका ने दी सफाई
जमात के विवादित इतिहास से एनसीपी नेता नाराज
जमात से गठबंधन के बाद एनसीपी के दो बड़े नेता इस्तीफा दे चुके हैं और 30 से ज्यादा नाराज बताए जा रहे हैं। ये नेता एनसीपी के जमात से गठबंधन का विरोध कर रहे हैं और उनका कहना है कि यह पार्टी की लोकतांत्रिक नैतिकता और विचारधारा के खिलाफ है। इन नेताओं का कहना है कि जमात का राजनीतिक इतिहास विवादित रहा है। खासकर बांग्लादेश की आजादी में जमात की भूमिका, वहां हुए नरसंहार में भी जमात की भूमिका थी, जिससे एनसीपी के कई नेता नाराज हैं। हाल ही में हुई हिंसा में भी जमात की छात्र शाखा छात्र शिबिर की भूमिका और झूठा प्रोपेगैंडा फैलाए जाने से भी कई एनसीपी नेता नाराज हैं।
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अंतरिम सरकार में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की जिम्मेदारी संभाली
एक फेसबुक पोस्ट के जरिए महफूज आलम ने एनसीपी छोड़ने का एलान किया। जुलाई 2024 में शेख हसीना सरकार के खिलाफ हुई हिंसा स्टूडेंट अगेंस्ट डिस्क्रिमिनेशन के बैनर तले हुई थी। बाद में इस संगठन का राजनीतिक चेहरा एनसीपी बनी, जो मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार का हिस्सा भी बनी। महफूज आलम अंतरिम सरकार में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के सलाहकार के तौर पर, जो कि मंत्री स्तर का पद है, उस पर काम कर रहे थे। बांग्लादेश में चुनाव की घोषणा होने से कुछ समय पहले ही उन्होंने मंत्री पद छोड़ा था।
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मोहम्मद यूनुस ने अमेरिका में बताया था जुलाई हिंसा के पीछे का असली दिमाग
बीते साल अमेरिका में एक कार्यक्रम में मोहम्मद यूनुस ने महफूज आलम को शेख हसीना सरकार को सत्ता से बेदखल करने के पीछे का मास्टरमाइंड बताया था और पूरी कथित क्रांति के पीछे का दिमाग बताकर उनकी तारीफ की थी। अब एनसीपी छोड़ने के बाद महफूज आलम के फरवरी में होने वाले आम चुनाव में भी हिस्सा लेने पर संशय पैदा हो गया है। एनसीपी संयोजक नाहिद इस्लाम ने जैसे ही आगामी चुनाव में जमात ए इस्लामी के साथ गठबंधन करने का एलान किया, उसके कुछ घंटे बाद ही महफूज आलम ने एनसीपी छोड़ने का एलान कर दिया।
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जमात के विवादित इतिहास से एनसीपी नेता नाराज
जमात से गठबंधन के बाद एनसीपी के दो बड़े नेता इस्तीफा दे चुके हैं और 30 से ज्यादा नाराज बताए जा रहे हैं। ये नेता एनसीपी के जमात से गठबंधन का विरोध कर रहे हैं और उनका कहना है कि यह पार्टी की लोकतांत्रिक नैतिकता और विचारधारा के खिलाफ है। इन नेताओं का कहना है कि जमात का राजनीतिक इतिहास विवादित रहा है। खासकर बांग्लादेश की आजादी में जमात की भूमिका, वहां हुए नरसंहार में भी जमात की भूमिका थी, जिससे एनसीपी के कई नेता नाराज हैं। हाल ही में हुई हिंसा में भी जमात की छात्र शाखा छात्र शिबिर की भूमिका और झूठा प्रोपेगैंडा फैलाए जाने से भी कई एनसीपी नेता नाराज हैं।
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