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बड़े खेल की तैयारी: तालिबान और पाकिस्तानी उलेमाओं का मेल जोल, कैसे शहबाज-मुनीर के लिए बन गया सिर दर्द?

वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, काबुल Published by: शुभम कुमार Updated Mon, 29 Dec 2025 01:28 PM IST
सार

पाकिस्तान-अफगानिस्तान तनाव के बीच तालिबानी गृहमंत्री ने पाकिस्तानी पार्टी JUI-F की खुलकर तारीफ की है। यह बयान ऐसे वक्त आया है जब मौलाना फजलुर रहमान ने पाकिस्तान की सैन्य कार्रवाई और शरणार्थियों की नीति पर सवाल उठाए। ऐसे में सवाल खड़ा हो रहा है कि क्या पाकिस्तानी उलेमा अब शहबाज और मुनीर के खिलाफ हो रहे है?

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Afghanistan-Pakistan relations Find out why a Taliban minister praised JUI-F News In Hindi
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और पाकिस्तान के सेनाध्यक्ष असीम मुनीर - फोटो : ANI
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विस्तार
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पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच अफगानिस्तान के अंतरिम तालिबानी शासन के गृहमंत्री सिराजुद्दीन हक्कानी का बड़ा बयान सामने आया है। रविवार को काबुल में एक कार्यक्रम के दौरान हक्कानी ने पाकिस्तान समेत उन सभी संगठनों और नेताओं का आभार जताया, जो अफगानिस्तान के प्रति सकारात्मक सोच और सहयोग का संदेश दे रहे हैं। उन्होंने खास तौर पर पाकिस्तानी पार्टी जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम फजल (JUI-F) और उसके प्रमुख मौलाना फजलुर रहमान की भूमिका की सराहना की, जिन्होंने दोनों देशों से संवाद और शांति बनाए रखने की अपील की थी।

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बता दें कि हक्कानी का यह बयान ऐसे समय में आया है जब जेयूएल-एफ के नेता मौलाना फजलुर रहमान ने 23 दिसंबर को पाकिस्तान की ही आलोचना की थी। उन्होंने कहा था कि पाकिस्तान ने अफगानिस्तान में आतंकवादियों पर हमला किया और अफगान शरणार्थियों को देश से निकाल दिया। ऐसे में फजलुर रहमान का ये बयान खूब चर्चा में रहा। 
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कैसे मुनीर और शहबाज के लिए बने सिर दर्द?
इस बात को ऐसे समझा जा सकता है कि जेयूएल-एफ पार्टी पाकिस्तानी सरकार के गठबंधन दल का हिस्सा है। दूसरी ओर अफगानिस्तान और पाकिस्तान में हाल के दिनों भीषण तनाव भी देखने को मिला। ऐसे में मौलाना फजलुर रहमान का अफगानिस्तान की तारीफ और पाकिस्तान की आलोचना करना। फिर सोमवार को तालिबानी मंत्री सिराजुद्दीन हक्कानी का रहमान और उनकी पार्टी का सराहना करना, कई बड़े संकेत दे रहे हैं। विषेशज्ञों की माने तो ऐसी अटकलें तेज हो रही है कि फजलुर रहमान शहबाज शरीफ और आसीम मुनीर के खिलाफ जाकर तालिबान का समर्थन कर सकते है। 

आगर ऐसा हुआ तो पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और पाकिस्तान के 'सो कॉल्ड' सेना प्रमुख फील्ड मार्शल आसीम मुनीर की मुश्किलें सातवें आसमान पर पहुंच गई है। ऐसे में सवाल ये खड़ा हो रहा है कि क्या पाकिस्तानी उलेमाओं ने सरकार के विरोध अपना रुख कर पीएम शहबाज और मुनीर को किसी बड़े गेम का संकेत दिया है? 

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पाकिस्तान-अफगानिस्तान से की रिश्ते ठीक करने की अपील
मौलाना फजलुर रहमान ने कहा था कि जब शरणार्थी लंबे समय तक किसी देश में रहते हैं, तो उन्हें निकालने के बजाय समस्या का हल निकालना चाहिए। उन्होंने पाकिस्तान और अफगानिस्तान से दोस्ताना रिश्ते बनाए रखने की अपील की और कहा कि तनाव किसी देश के हित में नहीं है, बल्कि यह सिर्फ विरोधी ताकतों को फायदा पहुंचाएगा।

मौलान फजल और मौफ्ती उस्मानी को किया धन्यवाद
इस दौरान सिराजुद्दीन हक्कानी ने कहा कि 23 दिसंबर को हुए सम्मेलन में मौलाना फजल और धर्मशास्त्री मौफ़्ती तकी उस्मानी ने अफगानिस्तान के प्रति अपने अच्छे इरादे दिखाए, जिसके लिए अफगानिस्तान उनका धन्यवाद करता है। उन्होंने यह भी कहा कि पाकिस्तान के उपप्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक दर ने भी अफगानिस्तान के प्रति सकारात्मक बयान दिए हैं।

गृहमंत्री हक्कानी ने आगे कहा कि अफगानिस्तान शांति, स्थिरता और सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है और अफगान लोग किसी देश या समुदाय को नुकसान पहुंचाना नहीं चाहते। उन्होंने सभी से कहा कि अफगानिस्तान अब अपने देश को फिर से बनाने और विकसित करने के रास्ते पर है और बाकी देशों को इसमें साथ देना चाहिए। उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान के बारे में गलत सोच और नकारात्मक इरादों को छोड़ देना चाहिए।

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पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच तनाव

गौरतलब है कि हाल के समय में पाकिस्तान और अफगानिस्तान के संबंध तनावपूर्ण रहे हैं। इसका मुख्य कारण पाकिस्तान में प्रतिबंधित तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) है। दोनों देशों के बीच हुए संघर्ष को क्रमबद्ध तरीके से समझने की कोशिश करें तो बीते 11 अक्तूबर को दोनों देशों के बीच सीमा पर झड़पें हुई थीं। इसके बाद 15 अक्तूबर को अस्थायी संघर्ष विराम हुआ और दोबारा बातचीत शुरू की गई।

फिर 25 अक्तूबर को इस्तांबुल में दूसरी बातचीत हुई, लेकिन 29 अक्तूबर को पाकिस्तान के सूचना मंत्री अत्ता उल्लाह तारार ने कहा कि बातचीत सफल नहीं रही। दूसरी ओर तुर्किय और कतर ने बीच-बचाव किया और 31 अक्तूबर को एक संयुक्त बयान जारी हुआ। इसमें कहा गया कि 6 नवंबर को मुख्य बैठक में आगे की कार्ययोजना तय की जाएगी। लेकिन तीसरी बैठक के बाद, पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने कहा कि सीमा पार आतंकवाद को लेकर बातचीत अब अनिश्चितकालीन हो गई है। इसके बाद अफगान तालिबान ने पाकिस्तान के साथ व्यापारिक संबंध रोक दिए और पाकिस्तान ने पहले ही सीमा बंद कर दी थी।

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